
Ladakh Protest: लद्दाख की राजधानी लेह में युवाओं के नेतृत्व में राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची की मांग को लेकर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया। प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी कार्यालय और पुलिस वाहनों को आग लगा दी, जबकि पुलिस ने आंसू गैस और लाठीचार्ज का सहारा लिया। कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने इसे जनरेशन जेड क्रांति करार देते हुए कहा कि 3-4 युवाओं की मौत हुई है, लेकिन हिंसा से आंदोलन कमजोर होगा। लेह एपेक्स बॉडी (LAB) की युवा शाखा ने बुलाए गए बंद के दौरान यह तनाव चरम पर पहुंचा, जब दो भूख हड़तालियों की हालत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया।
दो दिन पहले LAB ने चेतावनी दी थी कि जनता का सब्र टूट रहा है। 10 सितंबर से चली 35 दिनों की भूख हड़ताल में 15 लोग शामिल थे, जिसमें सोनम वांगचुक प्रमुख थे। LAB और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) ने गृह मंत्रालय से तत्काल बातचीत की मांग की, लेकिन मंत्रालय ने 6 अक्टूबर की तारीख तय की। LAB सह-अध्यक्ष चेरिंग दोरजे ने इसे 'डिक्टेशन' बताते हुए कहा, लोग भूख हड़ताल पर हैं, फिर भी बिना चर्चा के तारीख थोपी जा रही है। वांगचुक ने सोमवार को कहा, 'शांतिपूर्ण विरोध से कुछ नहीं मिल रहा, लोग अधीर हो रहे हैं।' मंगलवार को दो वृद्ध प्रदर्शनकारियों के बेहोश होने के बाद युवाओं का गुस्सा भड़क उठा।
लद्दाख भारत के लिए रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह चीन से लगी सीमा पर स्थित है और 2020 से सीमा विवाद तनावपूर्ण बना हुआ है। 2019 में जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के बाद लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया, लेकिन अनुच्छेद 370 हटने से स्थानीय सुरक्षा और भूमि अधिकार प्रभावित हुए। बौद्ध और मुस्लिम समुदायों ने LAB-KDA के बैनर तले एकजुट होकर चार साल से आंदोलन चला रहे हैं। यह मांगें केवल राज्य का दर्जा की नहीं, बल्कि आदिवासी संस्कृति, भूमि और रोजगार की सुरक्षा की हैं।
बुधवार का प्रदर्शन LAB की युवा शाखा ने बुलाया था, जिसमें स्कूल-कॉलेज छात्र, भिक्षु और बेरोजगार युवा शामिल हुए। NDS मेमोरियल ग्राउंड से शुरू हुई रैली लेह की सड़कों पर मार्च में बदल गई। दो हड़तालियों के अस्पताल पहुंचने के बाद बंद का आह्वान हुआ, जो हिंसा में बदल गया। प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया, बीजेपी कार्यालय में आग लगाई। पुलिस ने धारा 163 के तहत चार से अधिक लोगों के जमावड़े पर रोक लगाई। वांगचुक ने वीडियो संदेश में कहा, मेरा शांतिपूर्ण रास्ते का संदेश विफल हो गया। युवाओं से अपील है, यह बकवास बंद करें।
2019 के बाद से ये मांगें तेज हुईं, जब जम्मू-कश्मीर को विधानसभा मिली लेकिन लद्दाख को नहीं। गैर-स्थानीयों को भूमि खरीदने का अधिकार मिलने से स्थानीय चिंतित हैं। मुख्य मांगें हैं:
1 राज्य का दर्जा: केंद्र शासित प्रदेश से अधिक स्वशासन के लिए।
2 छठी अनुसूची में शामिल: जनजातीय क्षेत्रों को स्वायत्तता, भूमि-कानूनों पर स्थानीय नियंत्रण। असम, मेघालय जैसे राज्यों में लागू, जहां स्वायत्त जिला परिषदें (ADC) विधायी शक्तियां रखती हैं।
3 अलग लोक सेवा आयोग: बेरोजगारी से निपटने के लिए स्थानीय नौकरियों में आरक्षण।
4 दो संसदीय सीटें: लेह-कारगिल के लिए, वर्तमान में एक।
गृह मंत्रालय अंतिम दो पर सहमत, लेकिन राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची पर अड़ंगा। वांगचुक ने कहा, बीजेपी ने वादा किया था, हिल काउंसिल चुनाव से पहले पूरा करें।
अनुच्छेद 244 के तहत छठी अनुसूची जनजातीय क्षेत्रों को विशेष सुरक्षा देती है। ADC भूमि उपयोग, उत्तराधिकार और रीति-रिवाजों का प्रबंधन करती हैं, कर वसूल सकती हैं। राज्यपाल की मंजूरी से स्थानीय कानून बना सकती हैं। लद्दाख के शीत मरुस्थल चरित्र और जनजातीय बहुलता के लिए यह जरूरी है, अन्यथा गैर-स्थानीय प्रभाव बढ़ेगा।
वांगचुक ने 15 दिनों की हड़ताल समाप्त कर दी, कहा, सरकार ने शांतिपूर्ण विरोध को हिंसा में बदल दिया। युवा बेरोजगार हैं, अधिकार छिन गए। उन्होंने कहा, यह जनरेशन जेड का विद्रोह है, लेकिन हिंसा से पांच साल की मेहनत बर्बाद। चार मौतें, 30 घायल होने से स्थिति गंभीर। लेह प्रशासन ने कर्फ्यू जैसी पाबंदियां लगाईं।
Published on:
24 Sept 2025 07:41 pm
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