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Working Women के बच्चे ज्यादा जिम्मेदार और आत्मनिर्भर, इनकी बेटियां कैरियर बनाने में अव्वल

Working Moms Kids: भारत में 78 फीसदी बच्चे अपने भाई-बहनों के कामों में हाथ बंटाते हैं। वहीं एक अध्ययन के मुताबिक, कामकाजी माताओं की बेटियों में 40 फीसदी अधिक आत्मविश्वास और कैरियर में आगे बढ़ने की संभावना होती है।

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Working Women Kids

वर्किंग वुमन के बच्चे ज्यादा जिम्मेदार और आत्मनिर्भर होते हैं (Photo: IANS)

Working Women Kids: कामकाजी महिलाओं के बच्चों में स्वतंत्रता, आत्मनिर्भरता और जिम्मेदारी की भावना जल्दी विकसित होती है। विभिन्न शोध और मनोवैज्ञानिक अध्ययनों से यह साबित हुआ है कि जिन बच्चों की माताएं कामकाजी होती हैं, वे न केवल जल्दी समझदार बनते हैं, बल्कि अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में अधिक सफल भी होते हैं।

Working Women Smart Kids : भारतीय श्रम मंत्रालय की रिपोर्ट (2024) के अनुसार, महिलाओं की बढ़ती कार्यक्षमता का प्रभाव बच्चों पर सकारात्मक रूप से पड़ रहा है, जिससे वे समय प्रबंधन और नेतृत्व कौशल जल्दी सीख रहे हैं। वहीं, एनसीईआरटी (2023) के अध्ययन में पाया गया कि शहरी क्षेत्रों में कामकाजी माताओं के 78 फीसदी बच्चे अपने छोटे भाई-बहनों की देखभाल और घरेलू कामों में हाथ बंटाते हैं।

Working Moms के बच्चे अच्छे मैनेजर बनते हैं: ILO

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के एक अध्ययन के मुताबिक, कामकाजी माताओं की बेटियों में 40 फीसदी अधिक आत्मविश्वास और कैरियर में आगे बढ़ने की संभावना होती है। वे मैनेजरियल पदों पर बेहतर प्रदर्शन करती हैं। वहीं, अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन की रिपोर्ट के मुताबिक, कामकाजी माताओं के बेटे घरेलू जिम्मेदारियों में अधिक सहयोगी होते हैं।

कामकाजी महिलाएं बच्चों की कर रही बेहतर परवरिश

पहले यह धारणा थी कि कामकाजी महिलाएं बच्चों पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे पातीं, लेकिन बदलते आर्थिक दौर में शोध और वास्तविक अनुभवों ने इस मिथक को तोड़ दिया है। कामकाजी महिलाओं के बच्चों की परवरिश न केवल बेहतर हो रही है, बल्कि वे अच्छे नागरिक और सफल प्रोफेशनल बनकर उभर रहे हैं।

भारतीय बच्चों में क्या आ रहे बदलाव

  • स्वतंत्र निर्णय क्षमता : कामकाजी माताओं के बच्चों को जल्दी यह समझ आ जाता है कि छोटे-बड़े निर्णय कैसे लेने हैं।
  • बेहतर समय प्रबंधन : बच्चे समय प्रबंधन में कुशल होते हैं और समय की कीमत समझते हुए अपने निर्णय लेते हैं। उन्हें यह पता होता है कि निर्णय उन्हें ही लेना है।
  • भावनात्मक समझ : कामकाजी माताओं के बच्चे सामाजिक और भावनात्मक रूप से मजबूत होते हैं, जो उन्हें जीवन की चुनौतियों का सामना करने में मदद करता है।

Working Moms की बेटियों में नेतृत्व की क्षमता ज्यादा

कामकाजी महिलाओं की बेटियां आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से सशक्त बनने की ओर प्रेरित होती हैं। वे व्यावसायिक और व्यक्तिगत स्तर पर बेहतर प्रदर्शन करती हैं और उच्च पदों पर पहुंचती हैं। उनमें मुश्किलोंं को धैर्य के साथ सुलझाने की क्षमता होती है।

बेटे लैंगिक समानता के पक्षधर

बेटे घर के कामों में सहयोगी होते हैं और लिंग समानता की बात को को बेहतर समझते हैं। वे पारिवारिक जिम्मेदारियों में बराबरी से भागीदारी निभाने को तैयार रहते हैं। घर-परिवार के लिए माता-पिता के आपसी समझौतों से वे बहुत कु़छ सीखते हैं।

यूपी-बिहार में सबसे कम भागीदारी

भारत में कामकाजी महिलाओं का राष्ट्रीय औसत 27.2 फीसदी है, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में 32.8 फीसदी और शहरी क्षेत्रों में 21.1 फीसदी महिलाएं कार्यरत हैं। छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश और मिजोरम जैसे राज्यों में महिला श्रम भागीदारी दर सबसे अधिक 38-45 फीसदी है। वहीं, बिहार और उत्तर प्रदेश में यह भागीदारी सबसे कम 8.4 और 11.5 फीसदी है।