
दिल्ली में सेवा क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी कम हुई है। (प्रतीकात्मक फोटो: IANS)
Women Working in service sector fallen: राजधानी दिल्ली को लेकर जारी की गई रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि कोविड महामारी के बाद पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिंगानुपात और जन्मदर में कमी दर्ज की गई। इतना ही नहीं दिल्ली सरकार की रिपोर्ट में कई और चौंकाने वाले खुलासे सामने आए है। राजधानी में विभिन्न सेवा क्षेत्र से जुड़ी नौकरियों में कार्यरत महिलाओं की संख्या में तेज़ी से गिरावट आई है। आइए विस्तार से समझते हैं।
राजधानी दिल्ली में विभिन्न सेवा क्षेत्रों से जुड़ी नौकरियों में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या में कमी आती जा रही है। इतना ही नहीं, महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले वेतन या दिहाड़ी में भी गिरावट दर्ज की गई है। दिल्ली सरकार द्वारा जारी एक रिपोर्ट के आंकड़ों से पता चलता है कि "पेशेवर और तकनीकी कार्य" श्रेणी में पुरुषों की तुलना में महिलाओं का प्रतिशत 2020-21 में 28.5% से घटकर 2022-23 में 21.3% हो गया।
दिल्ली में वेतनभोगी कर्मचारियों के बीच पुरुषों की तुलना में महिलाओं की औसत कमाई कम हुई है। यह अनुपात 2021-22 में 1.13 पर पहुंचने के बाद 2023-24 में घटकर 0.87 रह गई है। आंकड़ों से पता चलता है कि 2017-18 में 11.2% से बढ़कर यह 2023-24 में 14.5% हो गया था। यानी नौकरी करने वाली या नौकरी करने को इच्छुक महिलाओं को उपयुक्त नौकरी नहीं मिलने का प्रतिशत भी बढ़ा है। ये निष्कर्ष दिल्ली सरकार की सांख्यिकीय आंकड़ों के लिए नोडल एजेंसी अर्थशास्त्र और सांख्यिकी निदेशालय द्वारा जारी ‘दिल्ली राज्य संकेतक फ्रेमवर्क 2024 की स्थिति रिपोर्ट’ का हिस्सा हैं।
इस रिपोर्ट में यह बताया गया है कि दिल्ली विधानसभा में बीते एक दशक में दिल्ली विधानसभा में महिलाओं का प्रतिशत सबसे कम है। दिल्ली विधानसभा चुनावों में महिलाओं द्वारा जीती गई सीटों का प्रतिशत इस साल घटकर 7.14% रह गया। हालांकि चुनाव लड़ने वाली महिलाओं का प्रतिशत 2015 के मुकाबले 2025 में 9.8% से बढ़कर 13.73% हो गया। वर्ष 2015 में राष्ट्रीय राजधानी की विधानसभा में 70 विधायकों में से 6 महिलाएं थीं, जो 2025 में घटकर 5 हो गई।
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि देश भर के शहरी क्षेत्रों में अगस्त 2025 के दौरान नौकरी करने की इच्छा रखने वाली महिलाओं का प्रतिशत 26.1% था। राष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 2020-21 की तुलना में 2022-23 में नौकरियों में महिलाओं का प्रतिशत 29.5% से बढ़कर 34.2% हो गया।
देश में सबसे विस्तृत और व्यवस्थित रूप से संचालित रोजगार सर्वेक्षण माने जाने वाले आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) में यह सामने आया था कि केरल राज्य में कुल कार्यबल 2020-21 में 1.30 करोड़ से बढ़कर 2023-24 में 1.51 करोड़ हो गया, जो तीन साल की अवधि में 16% से अधिक की वृद्धि है। इसमें सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि इस वृद्धि के प्रमुख कारकों में महिलाओं को नियमित रोज़गार के अवसर प्रदान किया जाना शामिल था। सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य में कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी 2020-21 में 32.3% से बढ़कर 2023-24 में 36.4% हो गई।
केरल में वामपंथी शासन के दौरान बेरोज़गारी दर पिछले आठ वर्षों में 11.4% से घटकर 7.2% तक रह गई। राज्य में श्रम बाज़ार में महिलाओं की भागीदारी भी तेज़ी से बढ़ रही है। केरल में दूसरी बार चुनकर आई पिनाराई सरकार के दौरान, तीन लाख से अधिक नए उद्यम पंजीकृत किए गए जिसमें से 93,000 यानी 31% के करीब महिला उद्यमियों के स्वामित्व में थे।
Updated on:
19 Sept 2025 01:22 pm
Published on:
17 Sept 2025 01:27 pm
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