
साल 2025 की बड़ी राजनीतिक घटनाएं (फोटो- पत्रिका ग्राफिक्स)
Year Ender 2025: साल 2025 कुछ ही दिनों में खत्म होने जा रहा है। राजनीतिक परिदृश्य से देखा जाए तो यह साल काफी यादगार रहा। इस साल पक्ष और विपक्ष के बीच कई मुद्दों को लेकर भारी बवाल मचा और खींचतान चलती रही। जनता ने भी इन मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और ये मुद्दे अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचे। इस साल घरेलू चुनावी मुद्दों के साथ-साथ कानूनी सुधार और समाज से जुड़े मामले और अंतरराष्ट्रीय तनाव की घटनाएं चर्चा में रही। आइए जानते हैं कि इस साल देश की राजनीति में क्या टॉप ट्रेंडिंग रहा।
सत्ताधारी NDA दल और विपक्षी पार्टियों के बीच वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को लेकर भारी बवाल मचा। कानून मुस्लिम धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन को बदलने वाला यह कानून विपक्ष के लिए सरकार पर हमला करने का एक हथियार बन गया। विपक्षी पार्टियों और मुस्लिम संगठनों ने इसे मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर हमला बताया और इसे असंवैधानिक करार दिया, जबकि सरकार ने इसे पारदर्शिता बढ़ाने का कदम कहा। इस विवाद ने संसद से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक खूब सुर्खियां बटोरीं।
इस साल हुए चुनावों में निष्पक्षता एक बड़ा मुद्दा रही। विपक्ष ने कई मौकों पर सरकार पर वोट चोरी का आरोप लगाया और फिर सत्ताधारी गठबंधन के नेताओं ने भी इस पर जमकर बयानबाजी की। अगस्त में लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने 2024 लोकसभा चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग के भाजपा के साथ मिले होने का दावा किया। इसी कड़ी में 'वोट चोरी से आजादी' अभियान चलाया गया और मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ महाभियोग की चर्चाएं भी उठी। वहीं भाजपा ने इसे विपक्ष की हार का गुस्सा बताया। इसी तरह यह विवाद पूरे साल चर्चाओं में बना रहा।
केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर विपक्ष ने कड़ी आपत्ति जताई और इस साल इसे लेकर काफी बड़े राजनीतिक विवाद हुए। चुनाव आयोग ने बिहार से इसे शुरू किया और फिर देश के 12 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में यह अभियान चलाया। लेकिन विपक्ष शुरुआत से ही इसके खिलाफ रहा। विपक्षी पार्टियों ने इसे 'वोट चोरी' करार दिया। उनका दावा था कि इसके जरिए सरकार अल्पसंख्यक और विपक्षी वोटरों को निशाना बना रही है। वहीं, सत्ता पक्ष ने इसे मतदाता सूची को शुद्ध करने के लिए जरूरी कदम बताया और फर्जी वोटर हटाने पर जोर दिया।
ऑपरेशन सिंदूर इस साल की सबसे बड़ी राजनीतिक हाइलाइट रहा। अप्रैल में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जवाबी कार्रवाई में भारतीय सेना ने मई में ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया था। इस दौरान पाकिस्तानी ठिकानों को निशाना बनाया गया और उन पर मिसाइल हमले किए गए। दोनों देशों के बीच भयंकर ड्रोन युद्ध हुआ और भारत ने सिंधु जल संधि निलंबित कर दी। भारत और पाकिस्तान के बीच हर तरह का व्यापार भी रोक दिया गया। यह एक अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बना रहा। राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में भी इसका असर देखने को मिला। विपक्ष ने जहां पहले आतंकी हमले के खिलाफ कार्रवाई पर सरकार के साथ खड़े रहने का दावा किया तो बाद में फिर सरकार पर अमेरिका के दबाव में आकर पीछे हटने का भी आरोप लगाया।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के दावों ने भी इस साल काफी सुर्खियां बटोरी। ट्रंप ने कई मौकों पर यह बात कही कि उनकी मध्यस्थता के बाद ही दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम संभव हो पाया। इसे लेकर विपक्ष ने भी मोदी सरकार पर जमकर बयान बाजी की और संसद में इस पर चर्चा की मांग भी उठाई। हालांकि सरकार ने हर मौके पर ट्रंप के मध्यस्थता के दावों को खारिज किया।
इस साल भारत में हुए राजनीतिक विवादों में ट्रंप का नाम कई बार सामने आया। ऑपरेशन सिंदूर पर बयान देने के बाद ट्रंप ने रूसी तेल आयात करने को लेकर भारत पर दबाव बनाया। लेकिन ट्रंप के जोर देने के बाद भी जब भारत ने रूसी तेल आयात बंद नहीं किया तो ट्रंप ने भारत की इकोनॉमी को लेकर यह बयान दिया। ट्रंप के भारत को 'डेड इकोनॉमी' बताने के बयान ने देश में राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया। राहुल गांधी समेत अन्य विपक्षी नेताओं ने ट्रंप के इस बयान को सही बताते हुए केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना की।
लद्दाख को पूर्ण राज्य दर्जा और छठी अनुसूची की मांग को लेकर इस साल एक बड़ा विरोध प्रदर्शन किया गया। इस दौरान लेह में हुई हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई। इसी मामले में सरकार ने जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक पर लोगों को भड़काने का आरोप लगाया और फिर सितंबर 2025 में एनएसए के तहत वांगचुक को गिरफ्तार कर लिया गया। विपक्ष ने इस मामले को लेकर जमकर सरकार को घेरा और इसे लोकतंत्र पर हमला बताया। कांग्रेस और अन्य दलों ने गिरफ्तारी की निंदा की और सरकार पर शांतिपूर्ण आंदोलन को दबाने का आरोप लगाया।
इस साल बिहार में विधानसभा चुनावों का आयोजन किया गया और इन चुनावों में पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव का पारिवारिक विवाद सुर्खियों में बना रहा। इन चुनावों से पहले लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने अपनी नई पार्टी की घोषणा की और परिवार और RJD से अलग हट कर अपनी नई पार्टी JJD के बैनर तले चुनाव लड़ा। हालांकि चुनावों में तेज प्रताप को करारी हार का सामना करना पड़ा। चुनाव परिणामों के बाद लालू की बेटी रोहिणी आचार्य ने भाई तेजस्वी यादव और उनके सहयोगियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए परिवार त्याग देने और राजनीति छोड़ने की घोषणा की। रोहिणी का यह फैसला राजनीतिक गलियारों में चर्चा का मुद्दा बन गया। रोहिणी ने दावा किया कि उनके ऊपर चप्पल तक फेंककर मारी गई। सोशल मीडिया से संसद तक इस मुद्दे पर काफी चर्चा हुई।
राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम' के 150 साल पूरे होने के मौके पर इस शीतकालीन सत्र में इस पर चर्चा हुई। एनडीए दल के नेताओं ने बहस के दौरान कांग्रेस पर आरोप लगाया कि नेहरू ने मुस्लिम लीग की मांग पर इस गीत के छंद हटा दिए थे और इससे देश के विभाजन के बीज बोए गए। विपक्ष ने इन आरोपों पर पलटवार करते हुए दावा किया कि टैगोर की सलाह पर गीत में यह बदलाव किए गए थे ताकि हिंदू-मुस्लिम एकता बनी रहे।
Updated on:
19 Dec 2025 05:49 pm
Published on:
19 Dec 2025 05:48 pm
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