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कोर्ट ने किस महत्वपूर्ण मामले में कहा, अगर फाइलें गुम जाएं या दीमक खा लें तो सुनवाई बंद करना ही विकल्प

कोर्ट में कई मामलों सालों से चलते रहते है। काफी लंबा समय हो जाने से फाइलें गुम जाए या दीमक खा ले तो कोर्ट के पास सुनवाई को बंद करना एकमात्र विकल्प रहता है।

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पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने 22 साल पुरानी एक याचिका पर सुनवाई यह कहते हुए बंद कर दी कि सभी संभव प्रयासों के बावजूद रिकॉर्ड का पता नहीं लगाया जा सका। जस्टिस अनूप चितकारा ने कहा कि फाइलों के ढेर से अगर कुछ फाइलें गुम जाती हैं, चोरी हो जाती हैं, दीमकें खा लेती हैं या दूसरों के साथ मिल जाती हैं तो यह असामान्य नहीं है। इसे देखते हुए अदालत के पास एकमात्र विकल्प यही है कि याचिका पर सुनवाई बंद करे। कोई भी पक्ष पुनर्निर्मित रिकॉर्ड के साथ आवेदन दायर कर मामले को पुनर्जीवित करने के लिए स्वतंत्र है।


आरोपी के खिलाफ नहीं मिला कोई रिकॉर्ड

पंजाब सरकार ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम से संबंधित मामले में 2000 में पुनर्विचार याचिका दायर की थी। इसमें बताया गया कि आरोपी को 2012 में दोषी ठहराया गया और दो साल कैद की सजा सुनाई गई। हाईकोर्ट को सूचित किया गया कि तमाम कोशिशों के बावजूद इस मामले के रिकॉर्ड का पता नहीं लगाया जा सका। दलीलों पर विचार करते हुए हाईकोर्ट ने कहा, रिकॉर्ड के पुनर्निर्माण के प्रयासों और उठाए गए कदमों की रिपोर्ट से पता चलता है कि सभी संभावित प्रयासों के बावजूद रिकॉर्ड पुनर्गठित करने के लिए उपलब्ध नहीं है।

इरादों पर संदेह

जस्टिस चितकारा ने कहा कि शायद शुरुआती देरी और उचित समय पर फैसला करने में विफलता ने न्याय की उम्मीदों को विफल कर दिया। मामला इतना पुराना होने के बावजूद याचिकाकर्ता ने इसके फैसले में तेजी लाने के लिए कभी कोई आवेदन दायर नहीं किया। यह इस पुराने मामले पर बहस करने के उसके गंभीर इरादे पर संदेह पैदा करता है।

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