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ऑर्गेनिक खेती की ओर आकर्षित हो रहे किसान, इम्युनिटी सिस्टम को बढ़ाने में कारगार

- कृषि विभाग से मिल रहा लगातार मार्गदर्शन -आर्गेनिक सब्जी, फल और औषधि फसलो का दिख रहा क्रेज - विश्व खाद्य दिवस पर विशेष

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ऑर्गेनिक खेती की ओर आकर्षित हो रहे किसान, इम्युनिटी सिस्टम को बढ़ाने में कारगार

ऑर्गेनिक खेती की ओर आकर्षित हो रहे किसान, इम्युनिटी सिस्टम को बढ़ाने में कारगार

नीमच। कोरोना काल में इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए अब नीमच किसानों ने आर्गेनिक की ओर रूख किया है। इतना ही नहीं अब लोगों को आर्गेनिक सब्जी, फल और औषधि फसल करने के लिए डॉक्टर भी सलाह दे रहे हैं। एक्सपर्ट्स और डॉक्टर्स का मानना है कि आर्गेनिक फूड स्वास्थ्य के साथ इम्यूनिटी को भी बूस्ट करती है। नीमच जिले में करीब 600 किसान करीब 1000 हेक्टेयर भूमि पर जैविक खेती कर विभिन्न प्रकार की फसलों का उत्पादन किया जा रहा है। जिसमें खासकर गेंहू, मक्का, लहसुन, चीया, अश्वगंधा, धनिया, मैथी, चना और मसूर की फसल बोई जा रही है।

आपको बता दें कि ऑर्गैनिक फूड वे फूड आइट्म होते हैं, जो केमिकल-फ्री होते हैं। इनमें किसी तरह के पेस्टिसाइड्स या रासायनिक खाद इस्तेमाल नहीं होता। इन फल और सब्जियों की उपज के दौरान उनका आकार बढ़ाने या वक्त से पहले पकाने के लिए किसी तरह के केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाता। इसे जैविक खेती भी कहा जाता है। ऑर्गैनिक फूड ऑर्गैनिक फार्म में उगाए जाते हैं। वैसे, आम फूड आइटम्स और ऑर्गैनिक फूड आइटम्स के बीच फर्क कर पाना मुश्किल है क्योंकि रंग और आकार में ये एक जैसे ही दिखते हैं। बाजार में तमाम तरह के फल और सब्जियां उपलब्ध हैं, जो देखने में कुछ ज्यादा ही फ्रेश लगते हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि वे ऑर्गैनिक हैं। ऑर्गैनिक फूड आइटम्स सर्टिफाइड होते हैं या छपे होते हैं। इन पर सर्टिफाइड स्टिकर्स लगे होते हैं या छपे होते हैं। इनका स्वाद भी नॉर्मल फूड से थोड़ा अलग होता है। ऑर्गैनिक मसालों की गंध नॉर्मल मसालों की तुलना में तेज होती है। इसी तरह ऑर्गैनिक सब्जियां गलने में ज्यादा टाइम नहीं लेतीं। जल्दी पक जाती हैं।

शुगर फ्री गेंहू की बाजार में मंाग
नीमच जिले के कुकडेश्वर के किसान हरिशंकर राठौर ने बताया कि कोराना संक्रमण महामारी के बाद आर्गेनिक अनाज और फलो की मांग है। उन्होंने बताया कि वह खासकर रबी सीजन में गेंहू की फसल करते है। जिसमें गेंहू भी शुगर फ्री बोते है। खासकर बंशी, सोनामोती और १५४४ किस्म के गेंहू का उत्पादन करते है। जिसकी बाजार में भी अच्छी मांग है। ४५ रुपए प्रति किलो बिकता है।वह दो साल से आर्गेनिक खेती कर रहें हैं। इसके अलावा औषधि में चीया की खेती करते है। जिससे कोलेस्ट्रोल कम होता है। यह बाजार में ३५ से ४० हजार रुपए प्रति क्विंटल की दर से बिकती है। दो बीघा की खेती में करीब ३ क्विंटल चीया प्राप्त हो जाती है। वहीं नलखेड़ा गांव के किसान हरिशंकर राठौर ने बताया कि जैविक खेती में वह खासकर गेंहू, लहसुन, धनिया मैथी, चना, मसूर और रबी की फसल में लहसुन और धनिया इस बार बोया है। इस खेती में रसायन खाद का उपयोग नहीं होता है। जिससे खेती में खर्चा भी कम और उपज के दाम भी अच्छे मिलते है। वहीं व्यक्ति का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।

ये हैं खासियतें
ऑर्गैनिक फूड्स में आमतौर पर जहरीले तत्व नहीं होते क्योंकि इनमें केमिकल्स, पेस्टिसाइड्स, ड्रग्स, प्रिजर्वेटिव जैसी नुकसान पहुंचाने वाली चीजों का इस्तेमाल नहीं किया जाता। आम फूड आइटम्स में पेस्टिसाइड्स यूज किए जाते हैं। ज्यादातर पेस्टिसाइड्स में ऑर्गेनो-फॉस्फोरस जैसे केमिकल होते हैं, जिनसे कई तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

सेहत के लिए फायदेमंद
- पारंपरिक फूड के मुकाबले ऑर्गैनिक फूड आइटम्स में 10 से 50 फीसदी तक अधिक पौष्टिक तत्व होते हैं। इसमें विटमिन, मिनरल्स, प्रोटीन, कैल्शियम और आयरन भी ज्यादा होते हैं। इनमें मौजूद न्यूट्रिशंस दिल की बीमारी, माइग्रेन, ब्लड प्रेशर, डायबीटीज और कैंसर जैसी बीमारियों से बचाते हैं।
- ऑर्गैनिक फार्म्स में उपजाए जाने वाले फलों और सब्जियों में ज्यादा एंटि-ऑक्सिडेंट्स होते हैं क्योंकि इनमें पेस्टिसाइड्स नहीं होते इसलिए ऐसे पोषक तत्व बरकरार रहते हैं जो आपकी सेहत के लिए अच्छे हैं और आपको बीमारियों से बचाते हैं।
- ये शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं और स्किन में निखार लाने में मदद करते हैं। ये शरीर में चर्बी नहीं बढऩे देते क्योंकि ऑर्गैनिक फूड को प्रोसेस्ड करते वक्त सैचुरेटेड फेट का इस्तेमाल नहीं किया जाता। इनसे मोटापा नहीं बढ़ता। ये सुरक्षित भी लंबे समय तक रहते हैं।
- ऑर्गैनिक फूड में आम तरीके से उगाई जानेवाली फसल के मुकाबले ज्यादा पोषक तत्व होते हैं क्योंकि इन्हें जिस मिट्टी में उगाया जाता है, वह अधिक उपजाऊ होती है।
- ऑर्गैनिक खेती शुरू करने से पहले जमीन को 2 साल के लिए खाली छोड़ा जाता है ताकि मिट्टी में पहले से मिले पेस्टिसाइड्स का असर पूरी तरह खत्म हो सकते। इस वजह से इन उत्पादों में विटमिन और मिनरल अधिक होते हैं।
- आजकल लोगों में एंटि-बायॉटिक को लेकर प्रतिरोध बढ़ रहा है। इसकी वजह जरूरत न पडऩे पर भी एंटि-बायॉटिक लेने के अलावा उन चीजों का सेवन भी है, जो हम खाते हैं क्योंकि उन्हें खराब होने से बचाने के लिए एंटि-बायॉटिक दिए जाते हैं। जब हम ऐसी चीजों को खाते हैं तो हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। ऑर्गैनिक फूड्स की वजह से इस नुकसान से हम बच जाते हैं।

इनका यह कहना है
अब इंसान जैविक खेती की ओर बढ़ रहा है, जैविक कीटनाशक आदि यूज कर रहा है, इससे कहीं न कहीं इंसान की बीमारी से बचाव होगा। रासायनिक कीटनाशक इतने नुकसान दायक होते हैं कि वह इंसान को बीमारी की ओर ले जाते हैं।
- डॉ. निलेश पाटीदार, सीनियर फिजिशियन

इस वक्त में हर चीज में हाइजीन का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। इसके अलावा इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए फल व सब्जियां खाना भी उतना ही जरूरी है। इस समय रासायनिक खाद से उगाई फल व सब्जियां रोग प्रतिरोधी क्षमता घटा सकती हैं। ऐसे में लोगों का विश्वास ऑर्गेनिक चीजों के प्रति बढ़ा है। इस महामारी ने मजबूरी में ही सही लोगों को जड़ों से जोड़ दिया है। लोग फिर से जैविक खेती से उपजे अनाज को खाने में रुचि दिखाने लगे हैं। हम भी इस दौर की परेशानियों को ध्यान में रखते हुए किसानों से लेकर ग्राहकों तक सामान पहुंचाने में स्वच्छता के सभी पैमानों का ध्यान रख रहे हैं। नीमच में करीब एक हजार हेक्टेयर में जैविक खेती से विभिन्न प्रकार की उपज हो रही है।
- यतीन्द्र मेहता, कृषि परिययोजना अधिकारी आत्मा नीमच।