Funeral Procession Journey : यहां अंतिम यात्रा भी चुनौती- कीचड़, नाले और फिसलन से होकर गुजरती है शवयात्रा, विकास की नींद अब भी अधूरी।' शर्मसार करने वाला वीडियो हुआ वायरल।
महेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट
Funeral Procession Journey : आजादी के 78 साल बाद भी मध्य प्रदेश के नीमच जिले के कई गांवों में विकास अब तक दस्तक नहीं दे पाया है। इनमें से एक है ग्राम पंचायत बधावा का बंजारा बाहुल्य गांव बिरमपुरा, जहां इन दिनों किसी मृत्यु के बाद अंतिम यात्रा भी मुश्किलों भरी साबित हो रही है। बरसात के मौसम में इस गांव से श्मशान तक की शवयात्रा जान जोखिम में डालकर निकालनी पड़ती है।
कीचड़, दलदल, फिसलन और एक उफनते बरसाती नाले से होकर गुजरना पड़ता है। ऐसा ही एक वीडियो हालही में सामने आया, जिसमें ग्रामीण एक शवयात्रा को कीचड़ और 3 से 4 फीट गहरे पानी से निकालते नजर आ रहे हैं। ये वीडियो सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि वर्षों से चली आ रही व्यवस्था की विफलता की तस्वीर है।
गांव के लोगों ने बताया कि, ये हालात यहां हर साल बरसात के दिनों में दोहराया जाता है। जब नाले में बहाव तेज होता है तो शव को घंटों अंतिम संस्कार के लिए इंतजार में रखना पड़ता है। कभी-कभी मजबूरी में निजी खेतों पर ही अंतिम संस्कार करना पड़ता है। लगभग 500 से अधिक की आबादी वाले इस गांव में मूलभूत सुविधाएं तक नहीं हैं, और विकास कार्यों की दिशा में अब तक कोई ठोस पहल नहीं हुई है।
ग्रामीणों का कहना है कि, वे कई बार सरपंच, सचिव और स्थानीय प्रशासन से शिकायत कर चुके हैं, मगर स्थिति जस की तस बनी हुई है। गांव के बुजुर्गों का कहना है कि, मौत के बाद भी चैन नहीं और अंतिम विदाई भी संघर्षपूर्ण है। ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि, या तो शवयात्रा मार्ग को जल्द पक्का और सुरक्षित बनाया जाए या श्मशान के लिए वैकल्पिक स्थान उपलब्ध कराया जाए, जहां तक सड़क और सुविधाएं हों। आज जब देश डिजिटल युग की ओर बढ़ रहा है, तब एक गांव ऐसा भी है, जहां मृत्यु के बाद भी रास्ता नहीं, सिर्फ इंतजार है। ये सिस्टम की अंतिम परीक्षा है, जो बार-बार फेल होती है।आखिर कब खुलेगी प्रसाशन की नींद ? क्या अंतिम यात्रा भी सुगम बनाने के लिए 'विकास' का इंतजार करना होगा?