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नीमच. अफीम की खेती किसान के लिए काफी सम्मान का विषय है। जिस किसान के पास अफीम का पट्टा होता है उसे बिरादरी में अधिक सम्मान से देखा जाता है। ऐसे में अफीम फसल में चिराई से पहले शुभ मुहूर्त निकालकर मां काली की पूजा अर्चना की जाती है। जिले में जिन हिस्सों में पहले बोवनी हो गई थी वहां डोडो में चिराई का काम शुरू हो गया है।
पांच मूर्तियां बैठाकर की मां काली की पूजा
ग्राम सावन के अफीम काश्तकार प्रहलाद शर्मा ने बताया कि अफीम फसल प्रत्येक किसान के लिए मान सम्मान का विषय होता है। ऐसे में डोडो पर पहला चीरा लगाने से पूर्व पांच मूर्तियां स्थापित कर मां काली की पूरे विवि विधान से शुभ मुहूर्त में पूजा की जाती है। इस अवसर पर गुड़ का प्रसाद बांटा जाता है। अफीम खेत को तीन हिस्सों में बांटा जाता है। पूजा के बाद पांच डोडो में टांका (चीरा) लगाया जाता है। इसके बाद दूसरे दिन जिस क्षेत्र में डोडो में चीरे लगाए गए थे वहां से चीरा लगाने का कार्य प्रारंभ होता है। इस प्रकार दूसरे दिन दूसरे और तीसरे शेष बचे हिस्से में खड़े डोडो में चीरा लगाया जाता है। इससे होता यह है कि पहले दिन जिस हिस्से में चीरा लगाया जाता है उसका फिर से नंबर दो दिन बाद आता है। तब तक डोडे में और दूध जमा हो जाता है।
अनुकूल मौसम में शुरू की चिराई
यूं तो अफीम वर्ष २०१७-१८ में काफी विलम्ब से पट्टे जारी किए गए, लेकिन जिन लोगों को पूरा विश्वास था कि उन्हें पट्टे मिलना तय है। ऐसे अफीम काश्तकारों ने निश्चित समय पर अफीम की बोवनी शुरू कर दी थी। समय पर बोवनी करने से पर फसल भी अन्य किसानों की अपेक्षा जल्दी बड़ी हो गई। ऐसे किसानों ने डोडो में चिराई भी शुरू कर दी है। डोडो पर चीरा लगाना का काम दोपहर १2 से शाम करीब ६ बजे के मध्य किया जाता है। बेहद छोटे औजार की मदद से काफी सवाधानी पूर्वक (ताकी डोडे टूटे नहीं) चीरा लगाया जाता है। डोडो में चीरा लगाने से पहले हवा की दिशा और धूप की स्थिति को विशेष रूप से ध्यान में रखा जाता है। सामान्यत: डोडे में पूर्व दिशा की ओर पहला चीरा लगाया जाता है। इसी प्रकार डोडो में लुनाई का काम सामान्त: चीरा लगाने के दूसरे दिन किया जाता है। प्रतिदिन सुबह 6 से अफीम लुनाई का काम शुरू कर दिया जाता है। इसमें लोहे के एक औजार की मदद से डोडो पर जमा अफीम को एकत्रित किया जाता है।
बादल छाए रहने पर नहीं करें चिराई
जिले में इस साल करीब ५१० गांवों में अफीम के पट्टे बांटे गए हैं। जिन क्षेत्रों में अफीम की बोवनी समय पर हो गई थी, वहां लुनाई-चिराई का काम भी शुरू हो गया है। जिन किसानों ने अब तक लुनाई-चिराई शुरू नहीं की है वे बादल छटने का इंतजार करेंगे। जब तक दिन में तेज धूप नहीं निकलेगी तबतक नए सिरे से किसान डोडो में चीरा नहीं लगाएंगे।
- नेमीचंद पाटीदार, वरिष्ठ ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी
Published on:
07 Feb 2018 01:26 pm
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