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पानी से दूर हो जाता है लकवा और चर्मरोग, जानिये कहां है ये अमृत कुंड

मध्यप्रदेश के नीमच जिले में स्थित मां भादवामाता के मंदिर में ऐसा कुंड है, जहां के पानी से लकवे सहित चर्मरोग दूर होते हैं।

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पानी से दूर हो जाता है लकवा और चर्मरोग, जानिये कहां है ये अमृत कुंड

पानी से दूर हो जाता है लकवा और चर्मरोग, जानिये कहां है ये अमृत कुंड

नीमच. मध्यप्रदेश के नीमच जिले में स्थित मां भादवामाता के मंदिर में ऐसा कुंड है, जहां के पानी से लकवे सहित चर्मरोग दूर होते हैं। इस कारण यहां सालभर ही दूर-दराज से आनेवाले श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। ऐसे में नवरात्रि में तो यहां हर दिन हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं, आश्चर्य की बात तो यह है कि यहां के पानी में कुछ मिलाया नहीं जाता है, सिर्फ कुंड के पानी से स्नान करने और पीने से ही कष्ट दूर होने लगते हैं।

चांदी के सिंहासन पर विराजी मां भादवामाता मालवा की वैष्णोदेवी के नाम से पहचानी जाती है। यहां माता के दर्शन करने लिए श्रद्धालु देश-विदेश से पहुंचते हैं। यहां का पानी अमृत माना जाता है, जिससे लकवे और चर्म रोगियों को काफी फायदा होता है। वैसे तो सालभर ही भक्त माता के दर्शन करने के लिए आते हैं। लेकिन नवरात्रि में श्रद्धालुओं की संख्या हजारों की तादात में रहती है।

आरोग्य की देवी मां भादवामाता में 2 अप्रैल से घट स्थापना के साथ ही नवरात्रि का शुभारंभ हो जाएगा। यहां नवरात्रि का मेला भी लगता है, जो कोरोना महामारी के कारण पिछले दो साल से नहीं लगा था, लेकिन इस बार मेला लगने से अच्छी चहल पहल रहेगी।

अमृत कुंड के पानी का महत्व

भादवामाता में मंदिर के समीप ही अमृत कुंड के नाम से एक कुंड है, इसी कुंड का पानी अमृत माना जाता है, कहते हैं यहां के पानी का उपयोग चर्म रोग व लकवे से पीडि़त लोग करते हैं, तो उन्हें काफी फायदा होता है, यही कारण है कि माता के दरबार में हजारों की संख्या में श्रद्धालु आरोग्य की इच्छा लेकर आते हैं। जिससे उन्हें फायदा भी पहुंचता है, खास बात तो यह है कि यह पानी भी आसानी से उपलब्ध हो जाता है, जिसे नित्य लगाने या नहाने से दिनों दिनों चर्म रोग और लकवे की समस्या से निजात मिलने लगती है।

ऐसे पहुंचे भादवामाता

भादवामाता पहुंचने के लिए मध्यप्रदेश में सबसे सबसे पहले नीमच पहुंचना होता है, यहां बस और ट्रेन दोनों के माध्यम से पहुंचा जा सकता है। वहीं फ्लाईट से आने वालों के लिए मध्यप्रदेश में इंदौर और राजस्थान में उदयपुर पहुंचना होता है। फिर इन स्थानों से नीमच व्हाया बस, ट्रेन या टेक्सी से पहुंचना है, नीमच पहुंचने के बाद आपको भादवामाता गांव जाना होता है, जो नीमच जिला मुख्यालय से करीब 18 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां बस, ऑटो रिक्शा या टेक्सी के माध्यम से जाया जा सकता है।

ठहरने की व्यवस्था

भादवामाता में श्रद्धालुओं के रूकने के लिए कई धर्मशालाएं हैं। अगर आप चाहे तो नीमच भी रूक सकते हैं, यहां लॉज व होटलों की व्यवस्था भी अच्छी है। वैसे तो भादवामाता आने वाले श्रद्धालु मंदिर में ही ठहरते हैं। नीमच में भी ठहरने की काफी सुविधाएं हैं। नवरात्रि में आने वाले श्रद्धालु तो मंदिर में ही ठहरते हैं। वहीं मंदिर के समीप भी कई धर्मशालाएं हैं, जहां आप ठहर सकते हैं।

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नि:शुल्क होते हैं दर्शन

भादवामाता में आनेवाले श्रद्धालुओं के लिए कोई स्पेशल कतार नहीं होती है, यहां महिला एवं पुरूष की दो कतार रहती है, ऐसे में यहां दर्शन करने के लिए किसी प्रकार का कोई पैसा नहीं देना पड़ता है, केवल अपनी अपनी कतार में खड़े होना रहता है। यहां दर्शन करने में भी अधिक समय नहीं लगता है। क्योंकि मंदिर प्रांगण काफी बड़ा है, ऐसे में कुछ ही देर में हजारों श्रद्धालु दर्शन कर लेते हैं।