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विशेष टेस्ट से दिल के दौरे का पता चलेगा 30 साल पहले

अमरीकी डॉक्टरों ने शोध में किया नया तरीका खोजने का दावा

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लंदन. किसी व्यक्ति के दिल के दौरे या स्ट्रोक के जोखिम की भविष्यवाणी करना अब तक काफी मुश्किल था। अमरीकी डॉक्टरों की टीम ने नए शोध में ऐसा तरीका खोजने का दावा किया है, जिसके जरिए 30 साल पहले दिल की बीमारी और स्ट्रोक के जोखिम की सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है।द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित शोध में बताया गया कि यह एक तरह का ब्लड टेस्ट है, जिसमें तीन मार्कर्स की जांच की जाती है। डॉक्टर दिल की बीमारी की जांच के लिए अब तक सिर्फ एक मार्कर पर निर्भर थे, जिसे एलडीएल कोलेस्ट्रॉल या बैड कोलेस्ट्रॉल के तौर पर जाना जाता है। एलडीएल कोलेस्ट्रॉल आर्टरी की दीवारों में जमा हो सकता है। यह आर्टरी को संकीर्ण और सख्त कर देता है। एथेरोस्क्लेरोसिस के नाम से जानी जाने वाली इस दशा से दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

तीन दशक लंबे शोध में जोड़े दो मार्कर

शोध के मुख्य लेखक डॉ. पॉल रिडकर का कहना है कि एलडीएल कोलेस्ट्रॉल टेस्ट से यह पता नहीं चलता कि किसी का दिल कितना स्वस्थ है। तीन दशक लंबे शोध के दौरान डॉक्टरों ने दो और बायोमार्कर सी-रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी) और लिपोप्रोटीन जोड़े। सीआरपी आर्टरी में सूजन का संकेत देता है, जबकि लिपोप्रोटीन का स्तर ज्यादा होने पर भविष्य में दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा है।

हार्ट अटैक की भविष्यवाणी में गेमचेंजर

शोध में करीब 30,000 अमरीकी महिलाओं को शामिल किया गया। जिन महिलाओं में हाई एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के अलावा सीआरपी और लिपोप्रोटीन का स्तर ज्यादा था, उनमें दिल की बीमारी होने का खतरा ज्यादा पाया गया। नया ब्लड टेस्ट हार्ट अटैक की भविष्यवाणी में गेमचेंजर साबित हो सकता है। इससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक के खतरे को कम किया जा सकता है।