
तिहाड़ जेल के नियमों में बड़ा बदलाव
दिल्ली की तिहाड़ जेल में कैदियों से जुड़े नियमों में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।आमतौर पर सख्त नियमों और पाबंदियों के लिए जानी जाने वाली तिहाड़ जेल में प्रशासन अब अच्छे आचरण वाले कैदियों को मोबाइल फोन इस्तेमाल करने की अनुमति देने की तैयारी कर रहा है। इसे जेल सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। ओपन जेल में रह रहे कैदियों को इस फेसिलिटी से परिवार और कामकाज से जुड़े रहने में मदद मिलेगी। हालांकि यह सुविधा पूरी तरह नियमों और देखरेख के दायरे में दी जाएगी। इसके लिए एक विस्तृत स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) तैयार की जा रही है। जेल अधिकारियों का कहना है कि इससे कैदियों को दोबारा समाज में घुलने-मिलने में मदद मिलेगी।
इस बदलाव की शुरुआत दिल्ली हाईकोर्ट के अक्टूबर में दिए हुए निर्देश देने के बाद हुई। कोर्ट ने जेल प्रशासन को ओपन जेल के कैदियों के लिए मोबाइल एक्सेस की संभावनाओं पर सोचने को कहा गया था। अदालत का कहना था कि सेफ्टी के साथ समझौता किए बिना कैदियों के पुनर्वास की दिशा में यह एक सकारात्मक कदम हो सकता है। यह मोबाइल उन कैदियों को देने का बात की जा रही है, जिनको 20 साल से ज्यादा या आजीवन कारावास की सजा मिली हुई है और जेल में उनका आचरण सही हो गया है।
ओपन जेल की फेसिलिटी को सुधार की एक खास व्यवस्था मानी जाती है। यहां पर उन्हीं कैदियों को रखा जाता है, जिनका आचरण अच्छा होता है और जिन्हें समाज के लिए ज्यादा खतरा नहीं माना जाता है। ओपन जेल में रहने वाले लोग दिन के समय काम करने के लिए बाहर जाते हैं और शाम को निर्धारित समय तक वापस आ जाते हैं। तिहाड़ की ओपन जेल को साल 2026 में दस साल होने वाले हैं। अभी यहां सिर्फ 3 कैदी रह रहे हैं, जबकि यहां पर 25 से 30 कैदियों के रहने की व्यवस्था है। इस तरह की जेल का मकसद कैदियों को सजा के साथ धीरे-धीरे बाहर की नॉर्मल जिंदगी के लिए तैयार करना होता है। पहले यहां जेसिका लाल हत्याकांड के दोषी मनु शर्मा और अपनी पत्नी की हत्या के मामले में दोषी पूर्व कांग्रेस नेता सुशील शर्मा जैसे कैदी भी रह चुके हैं।
जेल अधिकारियों के अनुसार, मोबाइल फोन की अनुमति सख्त नियमों के साथ दी जाएगी। इसके लिए तिहाड़ जेल का लीगल सेल एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) तैयार कर रहा है, जो तैयार होने वाला है और अब अंतिम चरण में है। अधिकारियों के अनुसार कैदी सिर्फ उन्हीं मोबाइल नंबरों पर बात कर सकेंगे, जो पहले से जेल प्रशासन के पास रजिस्टर हैं और वेरिफाई किया हुए हैं। इसके अलावा मोबाइल इस्तेमाल करने की लिमिट भी तय रहेगी। सुबह काम पर निकलते समय उन्हें फोन दिया जाएगा और शाम को वापस आते ही फोन अधिकारियों को जमा कराना होगा। अधिकारियों का कहना है कि यह पूरी तरह से सुनिश्चित किया जाएगा कि इस सुविधा का दुरुपयोग नहीं किया जाएगा।
तिहाड़ जेल के पूर्व लीगल एडवाइजर सुनील गुप्ता का भी मानना है कि इसमें कोई बड़ा खतरा नहीं है। उनके अनुसार, ओपन जेल के कैदी पहले ही बिना पहरे के बाहर जाते हैं, इसलिए मोबाइल फोन की अनुमति देना एक सुरक्षित कदम है। यह फैसला सुधार और पुनर्वास की सोच को मजबूत करता है।
Published on:
20 Dec 2025 06:30 pm
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