28 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को दिए निर्देश, मुआवजे के लिए मोटर वाहन नियम में करें संशोधन

कोर्ट ने कहा है कि दुर्घटना में संलिप्त बिना बीमा वाले वाहन की नीलामी की जाएगी और मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) द्वारा पीड़ितों को मुआवजा देने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।

2 min read
Google source verification
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को दिए निर्देश, मुआवजे के लिए मोटर वाहन नियम में करें संशोधन

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को दिए निर्देश, मुआवजे के लिए मोटर वाहन नियम में करें संशोधन

नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत ने गुरुवार को सभी राज्यों को यह निर्देश दिया है कि मोटर वाहन अधिनियम में संसोधन किया जाए। इसके अलावे कोर्ट ने कहा है कि दुर्घटना में संलिप्त बिना बीमा वाले वाहन की नीलामी की जाएगी और मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) द्वारा पीड़ितों को मुआवजा देने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। अभी फिलहाल यह नियम सिर्फ दिल्ली में है। बता दें कि मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने सभी राज्यों को 12 हफ्तों के अंदर अपने नियमों में संशोधन करने के निर्देश दिए।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश: इसरो जासूसी केस में पूर्व वैज्ञानिक एस. नंबी नारायणन दोषमुक्त, मिलेगा 50 लाख का मुआवजा

थर्ड-पार्टी बीमा अनिवार्य

आपको बता दें कि एक दुर्घटना से पीड़ित व्यक्ति की पत्नी ने अदालत में याचिका दायर की थी। जिसपर अदालत ने सुनवाई करते हुए ये बातें कही। याचिका में कहा गया था कि मोटर वाहन अधिनियम के अंतर्गत वाहनों के लिए थर्ड-पार्टी बीमा अनिवार्य है और बिना बीमा के वाहन चलाना एक अपराध है। याचिकाकर्ता उषा देवी की तरफ से पेश वकील राधिका गौतम ने कहा कि कानून के पीछे उद्देश्य था कि दुर्घटना में मारे गए या घायल हुए लोगों के परिवारों को संबंधित वाहनों के मालिक/चालकों से मुआवजा लेने के लिए वर्षो तक मुकदमा न लड़ना पड़े। उषा देवी के पति की जनवरी 2015 में सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी और बेटा घायल हो गया था। जब वह मुआवजे के लिए एमएसीटी गई, तो न्यायाधिकरण ने पाया कि दुर्घटना में संलिप्त वाहन का बीमा नहीं है। इसके बाद वह पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय गई और राज्य को उसके क्लेम प्रक्रिया के लिए पार्टी बनाने की मांग की, लेकिन उसकी याचिका खारिज कर दी गई। उन्होंने उच्च न्यायालय के निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी। बता दें कि भारत के तमाम हिस्सों में सड़क दुर्घटना में हर वर्ष हजारों लोगों की मौत हो जाती है। इन मौतों के लिए कई कारण हैं, जिनमें मोटर वाहन नियम का सही नहीं होना भी एक है।