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बिहार: मतदाता बने रहने के लिए जरूरी दस्तावेजों की सूची से ‘आधार’ बाहर

जन्म प्रमाण पत्र, एनआरसी को किया शामिल

नई दिल्ली। बिहार में मतदाता गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम के तहत मतदाता सूची को अपडेट करने का काम जोर-शोर से चल रहा है। चुनाव आयोग ने बिहार में मतदाता बने रहने के लिए 11 दस्तावेजों की सूची जारी की है। इसमें आधार, ड्राइविंग लाइसेंस, मनरेगा जॉब कार्ड जैसे प्रमाण पत्र शामिल नहीं है। जबकि एनआरसी, जन्म प्रमाण पत्र, मैट्रिक का प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेजों को शामिल किया है।

दरअसल, चुनाव आयोग पारदर्शी मतदाता सूची तैयार करने के लिए इस विशेष पुनरीक्षण कार्यक्रम को चला रहा है। ऐसे में स्थायी निवास के सटीक प्रमाण पर जोर दिया गया है। इससे बिहार की मतदाता सूची से अवैध विदेशी घुसपैठियों को हटाने में मदद मिलेगी, लेकिन मतदाता होने के लिए मांगे जा रहे दस्तावेजों पर विवाद हो रहा है। कांग्रेस, राजद समेत अन्य विपक्षी दल चुनाव आयोग के मनमाने तरीके से काम करने का आरोप लगा रहे हैं।

एनआरसी लागू नहीं, फिर भी दस्तावेजों की सूची में

चुनाव आयोग की ओर से मतदाताओं के लिए जारी किए गए आवेदन में 11 दस्तावेजों की सूची दी गई है। इसमें एनआरसी को शामिल किया गया है। विपक्षी दल आरजेडी का कहना है कि बिहार में एनआरसी अब तक नहीं की गई है। ऐसे में यह दस्तावेजों की सूची में शामिल करना चुनाव आयोग की मंशा पर सवाल खड़ा करता है।

लोकसभा चुनाव में वोट देने वाले अयोग्य कैसे हो गए? : कांग्रेस

कांग्रेस के संगठन महासचिव के.सी.वेणुगोपाल ने बिहार में मतदाता गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम को लोगों को परेशानी बढ़ाने वाला बताया है। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले लोगों से नागरिकता साबित करने के लिए कागज मांगे गए हैं। जो कागज नहीं दिखा पाएगा, उसे वोटर लिस्ट से हटा दिया जाएगा। लोगों के पास खुद की नागरिकता साबित करने के लिए आधार कार्ड है, जिसे चुनाव आयोग मानने को तैयार नहीं है। अब बिहार के लोग चुनाव आयोग के मांगे गए कागज जुटाने के लिए भटक रहे हैं और सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। कांग्रेस ने सवाल किया कि एक महीने में 8 करोड़ लोगों की नागरिकता की जांच कैसे संभव है? जिन्होंने एक साल पहले लोक सभा चुनाव में वोट दिया था, वो एक साल बाद अयोग्य कैसे हो गए? बिहार के दलितों, वंचितों, पिछड़ों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों से उनका मताधिकार छीनने की साजिश है।

इन 11 दस्तावेजों के आधार पर तय होगा मतदाता

1. नियमित कर्मचारी या पेंशनभोगी कर्मियों का पहचान पत्र

2. पासपोर्ट

3. भारत सरकार, राज्य सरकार या स्थानीय निकाय, बैंक, डाकघर, एलआईसी का 1 जुलाई 1987 से पहले का कोई भी प्रमाण पत्र,

4. सक्षम प्राधिकार द्वारा निर्गत जन्म प्रमाण पत्र

5. मान्यता प्राप्त बोर्ड या विवि द्वारा निर्गत शैक्षिक प्रमाण पत्र

6. मूल निवास प्रमाण पत्र

7. वन अधिकार प्रमाण पत्र

8. एससी, एसटी या ओबीसी का प्रमाण पत्र

9. राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी)-जहां यह लागू होता हो

10. सरकार की कोई भी भूमि या मकान आवंटन का प्रमाण पत्र

11. राज्य सरकार या स्थानीय प्राधिकार द्वारा तैयार पारिवारिक रजिस्टर