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चैटजीपीटी से दिमाग होने लगा कमजोर, याददाश्त पर भी असर

एआइ टूल्स पर चेतावनी : मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के शोध में खुलासा

न्यूयॉर्क. अमरीका में एक ताजा शोध में दावा किया गया कि चैटजीपीटी जैसे एआइ टूल्स लोगों के दिमाग को कुंद कर रहे हैं। मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी) के शोधकर्ताओं के मुताबिक लेखन प्रक्रिया की शुरुआत में जेनरेटिव एआइ टूल्स के इस्तेमाल से दिमाग पर असर पड़ सकता है। दिमाग की याद रखने की क्षमता कम होने के साथ रचनात्मक सोच भी सीमित हो सकती है।शोध के दौरान 18 से 39 साल के 54 प्रतिभागियों को तीन अलग-अलग समूह में विभाजित किया गया। एक समूह ने चैटजीपीटी का इस्तेमाल कर निबंध लिखे, दूसरे ने गूगल सर्च पर भरोसा किया, जबकि आखिरी समूह ने किसी सहायता के बगैर खुद निबंध पूरा किया। शोधकर्ताओं ने यह मापने के लिए कि हर प्रतिभागी दिमागी तौर पर कितना व्यस्त था, ईईजी हेडसेट का इस्तेमाल किया। इसके नतीजे हैरान करने वाले थे। चैटजीपीटी का इस्तेमाल करने वालों ने 32 विभिन्न क्षेत्रों में मस्तिष्क उत्तेजना के निम्नतम स्तर प्रदर्शित किए। उनके निबंध में गहराई और भावना की कमी थी। समय के साथ उनकी मौलिकता, एकाग्रता और प्रयास में लगातार गिरावट देखी गई।

रचनात्मकता और एकाग्रता से मौलिकता

निबंध लिखने में किसी डिजिटल टूल का सहारा नहीं लेने वाले समूह में उच्चतम मानसिक गतिविधि दर्ज की गई। खास तौर से दिमाग के रचनात्मकता, एकाग्रता और याददाश्त से जुड़े क्षेत्र में। उनके निबंध में मौलिकता और संतुष्टि ज्यादा थी। जिन लोगों ने गूगल सर्च का इस्तेमाल किया, उन्होंने भी चैटजीपीटी वाले समूह के मुकाबले ज्यादा रचनात्मक कोशिश का प्रदर्शन किया।

अत्यधिक निर्भरता विकास में बाधा

एमआइटी की वैज्ञानिक नतालिया कोस्मिना ने कहा, हालांकि एआइ टूल्स सुविधाजनक हैं, लेकिन इन पर अत्यधिक निर्भरता दिमाग के संज्ञानात्मक विकास में बाधा बन सकती है। शोध में पाया गया कि जो लोग चैटजीपीटी पर निर्भर थे, उनकी मस्तिष्क गतिविधि कम हो गई। उन्हें अपने काम में भावनात्मक रूप से कम जुड़ाव महसूस हुआ।