
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।
Supreme Court: दिल्ली-एनसीआर में लगातार बढ़ रहा वायु प्रदूषण सोमवार को एक बार फिर चर्चा में आ गया। इस बार सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सीजेआई ने सुनवाई के दौरान अहम टिप्पणी की। दिल्ली में तो जहरीली हवा से हालात इतने गंभीर हो चुके हैं कि यह मुद्दा अब क्षेत्रीय से राष्ट्रीय लेवल पर आ गया। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जॉयमाल्या बागची और जस्टिस विपुल एम पंचोली की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि पहले से जारी आदेशों के बावजूद कई स्कूलों में खेल गतिविधियां जारी हैं, जो बच्चों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकती हैं। अब अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी।
सोमवार को दिल्लीघनी धुंध और स्मॉग की चादर में लिपटी रही। राजधानी में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 498 तक पहुंच गया, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। दिल्ली के 38 निगरानी केंद्रों पर वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ दर्ज की गई, जबकि दो केंद्रों पर यह ‘बेहद खराब’ श्रेणी में रही। जहांगीरपुरी में AQI 498 रिकॉर्ड किया गया, जो दिल्ली के सभी 40 निगरानी केंद्रों में सबसे खराब स्थिति वाला इलाका रहा। कुल मिलाकर, दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है और सुप्रीम कोर्ट की आगामी सुनवाई से इस दिशा में सख्त और प्रभावी कदम उठाए जाने की उम्मीद की जा रही है।
दिल्ली स्थित सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने सोमवार को दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण पर गहरी चिंता जताई। इस दौरान न्याय मित्र (एमिकस क्यूरी) के रूप में पेश हुईं वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वायु प्रदूषण से निपटने के लिए एहतियाती कदम और प्रोटोकॉल पहले से मौजूद हैं, लेकिन असली समस्या उनका ठीक से पालन न होना है। उन्होंने कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट सख्त आदेश नहीं देता, तब तक संबंधित एजेंसियां और प्राधिकरण पहले से बने नियमों को गंभीरता से लागू नहीं करते। अधिवक्ता की बात सुनकर चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि बुधवार को यह मामला तीन जजों की बेंच के सामने रखा जाएगा, जहां इस मामले पर गहन चर्चा होगी।
इस दौरान एक अन्य वकील ने बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़ी याचिका का हवाला देते हुए कहा कि पुराने अदालती आदेशों के बावजूद खुले में खेल गतिविधियां कराई जा रही हैं। इसमें कई स्कूल हैं, जो मानकों का पालन नहीं कर रहे। जबकि प्रदूषित वातावरण बच्चों के लिए बेहद नुकसानदेह हैं। इसपर न्याय मित्र अपराजिता सिंह ने कहा कि अदालत के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद स्कूलों ने खेल गतिविधियां जारी रखने के लिए रास्ते निकाल लिए हैं। उन्होंने बताया कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए इन गतिविधियों पर सवाल उठाया है।
इस पर चीफ जस्टिस ने स्पष्ट करते हुए कहा "हम समस्या को जानते हैं और अब हम ऐसे आदेश पारित करेंगे, जिनका पालन किया जा सके। कुछ निर्देश ऐसे हैं जिन्हें बलपूर्वक लागू किया जा सकता है। इन शहरी महानगरों में लोगों की अपनी जीवनशैली होती है। लेकिन गरीबों का क्या होगा…।" सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताते हुए कहा कि प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर गरीबों और दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ता है, जिनके पास खुद को बचाने के पर्याप्त साधन नहीं होते। इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि वायु प्रदूषण से जुड़ी याचिकाओं को केवल सर्दियों के मौसम तक सीमित कर ‘सामान्य मामला’ नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने कहा था कि यह एक गंभीर और स्थायी समस्या है, जिसके अल्पकालिक और दीर्घकालिक समाधान तलाशने के लिए महीने में दो बार सुनवाई की जाएगी।
इससे पहले रविवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की स्थिति देखते हुए वकीलों को हाइब्रिड मोड में पेश होने का आदेश दिया था। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने परिपत्र जारी किया था। दरअसल, दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता सूचकांक रविवार को भी 461 दर्ज किया गया, जो बेहद खराब श्रेणी में आता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो राष्ट्रीय राजधानी के लिए यह समय किसी आपातकाल से कम नहीं है। इसी को देखते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश ने सभी वकीलों को हाइब्रिड मोड में अदालती कार्य करने के निर्देश दिए। हालांकि इससे पहले भी 26 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने वर्चुअल सुनवाई पर विचार किया था। सोमवार से सुप्रीम कोर्ट में प्रत्यक्ष, वर्चुअल दोनों तरीकों से हाइब्रिड मोड में काम भी शुरू कर दिया है।
Updated on:
15 Dec 2025 11:27 pm
Published on:
15 Dec 2025 06:32 pm
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