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महिला को पता ही नहीं, उसके नाम से दाखिल हो गई याचिका! हाईकोर्ट में फर्जीवाड़े का बड़ा खुलासा

दिल्ली हाईकोर्ट ने फर्जी रिट याचिका के मामले में सख्त रुख अपनाते हुए पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने महिला की पहचान का गलत इस्तेमाल और फर्जी दस्तावेजों का उपयोग किए जाने पर कड़ी नाराजगी जताई।

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Delhi High Court

दिल्ली हाईकोर्ट।

दिल्ली हाईकोर्ट में एक ऐसे मामले की सुनवाई हुई, जिसमें एक महिला को बिना बताए उसके नाम से रिट याचिका दाखिल कर दी गई। हैरानी की बात यह रही कि याचिका के साथ जो दस्तावेज लगाए गए थे, वह भी फर्जी थे। शुरुआत में यह केस अवैध निर्माण को लेकर था, लेकिन सुनवाई के दौरान हुए खुलासों ने इसे फर्जीवाड़े का केस बना दिया। इस केस में वकालों की भूमिका पर भी कड़े साल खड़े हुए हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले को लेकर पर सख्त रुख अपनाते हुए इसे न्यायिक प्रक्रिया का गंभीर दुरुपयोग बताया है। इसके अलावा जांच को बरकरार रखने के निर्देश दिए हैं। वहीं दिल्ली में हवा की गुणवत्ता खराब होने की वजह से दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने एक सर्कुलर जारी किया है, जिसमें हाइब्रिड मोड में अदालती काम करने के निर्देश दिए हैं।

बिना जानकारी के दाखिल हुई याचिका

यह मामला “अदिति शिवचरण राठौड़ बनाम दिल्ली नगर निगम व अन्य” नाम की याचिका से जुड़ा है। इस याचिका में जामिया नगर के जाकिर नगर इलाके की एक प्रॉपर्टी में अवैध निर्माण को लेकर कार्रवाई की मांग की गई थी। लेकिन सुनवाई के दौरान प्रतिवादी पक्ष ने इस याचिका से संबंधित एक चौंंकाने वाला खुलासा किया। वकील ने बताया कि जिस महिला के नाम से यह याचिका दायर की गई है, उसे इसकी जानकारी तक नहीं है। साथ ही कोर्ट को यह भी बताया गया कि एक जैसे दस्तावेजों के साथ अलग-अलग नाम से याचिकाएं दायर की जा रही हैं। कोर्ट को बताया गया कि इससे पहले 20 अगस्त 2025 को भी इसी नाम से एक और याचिका दायर की गई थी। उस याचिका में भी किसी प्रॉपर्टी पर अपना हक जताया था। उसमें जीपीए और एग्रीमेंट टू सेल जैसे दस्तावेजों का प्रयोग किया गया था, जिसके बाद यह याचिका भी फर्जी निकल गई थी। लगातार ऐसे मामले सामने आने की वजह से हाई कोर्ट ने इस केस की गहराई से जांच करने के आदेश दिए थे।

पुलिस जांच में हुआ खुलासा

हाईकोर्ट के आदेश पर डीसीपी दक्षिण-पूर्व ने इस मामले की जांच की और 10 दिसंबर 2025 को स्टेटस रिपोर्ट सबमिट की। पुलिस ने जांच के दौरान अदिति शिवचरण राठौड़ से पूछताछ की। इस दौरान सामने आया कि अदिति ने कोई याचिका दायर ही नहीं की है और न ही उन्होंने दिल्ली में कोई प्रॉपर्टी खरीदी है। साथ ही उन्होंने पुलिस को यह भी बताया कि याचिका के साथ जो दस्तावेज लगे हुए हैं, उन पर उनके हस्ताक्षर नहीं हैं। उनका मानना है कि उनकी पहचान का गलत इस्तेमाल कर दस्तावेज तैयार किए गए और कोर्ट में याचिका लगाई गई है।

जांच में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई कि दस्तावेजों में जिन लोगों को गवाह बताया गया है, वह वास्तविकता में मौजूद ही नहीं है। इस जांच में वकीलों की भूमिका पर भी सवाल उठे। इस वजह से पुलिस ने याचिकाकर्ता की वकील अवंतिका से भी पूछताछ की। इसमें सामने आया कि यह मामला उन्हें किसी दूसरे वकील सबरज सिंह ने दिया था और उनकी मुलाकात उस वकील से दिल्ली हाई कोर्ट में हुई थी। यह जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने सूरज सिंह से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन अभी उनके नंबर सक्रिय नहीं है, जिस वजह से अभी तक संपर्क नहीं हो पाया है।

कोर्ट की सख्त टिप्पणी

इस मामले का सुनवाई करते हुए जस्टिस मिनी पुष्करणा ने कहा कि पुलिस की जांच से यह स्पष्ट होता है कि किसी अज्ञात व्यक्ति ने महिला की पहचान का गलत इस्तेमाल कर फर्जी दस्तावेज तैयार किए हैं। साथ ही अदालत को भी गुमराह करने का प्रयास किया गया है। कोर्ट ने इसे महिला के खिलाफ धोखाधड़ी माना और न्यायिक प्रक्रिया के साथ खिलवाड़ बताया। अदालत ने साफ कहा कि किसी भी हाल में कोर्ट को फर्जीवाड़े का साधन नहीं बनने दिया जा सकता है। मामले में हुए खुलासों की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने पुलिस को FIR दर्ज कर आगे की कानूनी कार्रवाई करने के आदेश दिए। साथ ही कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया को आदेश दिया कि वह इस मामले में शामिल वकीलों की भूमिका की जांच करे और जरूरी कदम उठाए। इसके अलावा एमसीडी को भी निर्देश दिए गए कि मामले से जुडी़ संपत्ति को लेकर अपीलीय न्यायाधिकरण एमसीडी (ATMCD) के आदेशों के तहत ही आगे की कार्रवाई की जाए।

कोर्ट ने दी हाइब्रिड पेशी की सलाह

दिल्ली में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण और कोहरे को देखते वकीलों और पक्षकारों से अपील की गई है कि वह अदालत की कार्रवाई के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हाइब्रिड मोड में पेश हो सकते हैं। रविवार को CJI सूर्यकांत ने भी मौजूदा हालात को देखते हुए हाइब्रिड मोड में पेश होने की सलाह दी थी। अब दिल्ली हाईकोर्ट में शारीरिक और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग दोनों तरह से सुनवाई हो सकती है। दिल्ली में ग्रैप-4 लागू होने के बाद भी सुबह AQI 498 दर्ज किया गया, जो गंभीर श्रेणी में आता है। दिल्ली में 39 में से 38 स्टेशन की एयर क्वालिटी गंभीर और बेहद गंभीर श्रेणी में दर्ज की गई है। IMD के अनुसार हवा का स्पीड 10 किलोमीटर प्रति घंटे से भी कम है, जिससे प्रदूषक कणों का बिखराव नहीं हो पा रहा है।