Rajasthan Politics : राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर राजस्थान कांग्रेस ने रणनीति बदल दी है। इस बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत किसी भी कीमत पर रणनीतिक पछाड़ नहीं चाहते हैं।
नई दिल्ली•Jun 24, 2023 / 01:17 pm•
Anand Mani Tripathi
Ashok Gehlot And Vasundhara Raje
rajasthan politics : राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर राजस्थान कांग्रेस ने रणनीति बदल दी है। इस बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत किसी भी कीमत पर रणनीतिक पछाड़ नहीं चाहते हैं। उन्होंने दिल्ली आलाकमान को साफ कह दिया है कि इस बार चुनाव से दो महीने पहले ही 100 प्रत्याशियों को घोषित कर दिया जाए या फिर तय हो जाए कि वह चुनाव वह प्रत्याशी ही लड़ेंगे।
पिछले चुनावों के दौरान यह देखने को मिला है पर्चा वापसी के दिन तक प्रत्याशी तय किए गए हैं। राजस्थान में 200 सीटें हैं और जीत के लिए 101 सीट की जरूरत होती है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का पूरा ध्यान इसी पर है। कई मायनों में यह गहलोत का आखिरी चुनाव माना जा रहा है। ऐसे में इस चुनाव में उन्होंने अपनी पूरी ताकत लगा दी है।
यह है रणनीति
इसके माध्यम से अशोक गहलोत यह तय करना चाहते हैं कि प्रत्याशी की घोषणा जब समय से हो जाएगी तो फिर वह असंुष्ट का संतुष्ट कर पाएंगे। बागियों को भी संभाल लेंगे और प्रत्याशी के पक्ष में उन्हें एक साथ खड़ाकर माहौल बना पाएंगे। अंतिम समय में यह सब नहीं हो पाता है। इसके कारण कई सीटों पर बेहद करीब से हार हो जाती है। समय से काम करने पर इन सीटों पर विजय मिल सकती है।
शिमला समझौते के बाद हो सकता है फैसला
विपक्षी पार्टियों की बैठक संपन्न हो गई है। अब 12 जुलाई को शिमला में तय होगा कि कौन से पार्टी कहां किसका समर्थन करते हुए भाजपा का मुकाबला करेगा। राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में कांग्रेस भाजपा से सीधा मुकाबला करती है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि अन्य विपक्षी पार्टियां यहां कांग्रेस का साथ देते हुए वॉकओवर दे सकती हैं। एक मात्र पार्टी अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी है। राजस्थान में अभी खाता नहीं खुला है, उसके साथ समझौता हो सकता है या फिर आम आदमी पार्टी भी राजस्थान में वॉकओवर दे सकती है।
भाजपा में अभी रणनीति पर ही रार
राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस से अधिक धड़ों में बंटी नजर आ रही है। सात तो मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, सतीश पुनियां, गजेंद्र सिंह शेखावत, सीपी जोशी और राजेंद्र राठौड़ सहित कई खेमें है। चौराहों से लेकर चौबारे तक एक चर्चा साफ है कि वसुंधरा राजे को अगर भाजपा आगे नहीं करती है तो फिर नुकसान तय है। भाजपा के पास राजस्थान में राजे के अलावा कोई भी ऐसा नेता नहीं है जिसके पीछे प्रदेश का जनमानस एकसार खड़ा हो।
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