
दिल्ली हाईकोर्ट का अहम फैसला, अब भीख मांगना नहीं होगा अपराध
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को एक जनहित याचिका की सुनवाई की और एक अहम फैसला सुनाया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि भीख मांगना अब अपराध नहीं होगा। अदालत ने भीख मांगने की क्रिया को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अधिनियम में दंडित करने के प्रावधान असंवैधानिक हैं। बता दें कि हाईकोर्ट की कार्यकारी चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी हरि शंकर की पीठ ने मामले की सुनवाई की। अपने फैसले में पीठ ने कहा कि इस फैसले का अपरिहार्य नतीजा यह होगा कि भीख मांगने जैसे अपराध के कथित आरोपी के खिलाफ मुंबई के 'भीख मांगना रोकथाम कानून' के तहत लंबित मुकदमे रद्द किए जा सकेंगे। आपको बता दें कि कोर्ट ने अपने फैसले में सख्त टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि यदि कोई सुनियोजित ढंग से भिखारियों का गैंग या रैकेट चलाता है तो उस पर कार्रवाई की जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि भीख मांगने के लिए मजबूर करने वाले गैंग व गिरोहों पर कार्रवाई करने के लिए सरकार वैकल्पिक कानून लाने को आजाद है।
कोर्ट ने पूछा था भीख मांगना अपराध कैसे है…
आपको बता दें कि इससे पहले मई 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए सरकार से पूछा था कि यदि आप देश में भोजन या नौकरी देने में असमर्थ है तो भीख मांगना अपराध कैसे हो सकता है? हालांकि इस बार फिर से जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी. हरिशंकर की पीठ ने कहा कि एक व्यक्ति केवल अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए भीख मांगता है न कि ये करना उसे पसंद है। अदालत ने कहा कि भीख मांगना लोगों की जरूरत के मुताबिक होती है, कुछ लोग भोजन के लिए अपना हाथ पसारते हैं। बता दें कि बॉम्बे प्रिवेंशन ऑफ बेगिंग एक्ट के मुताबिक यदि कोई भीख मांगते हुए पहली बार पकड़ा जाता है तो उसे तीन वर्ष तक की सजा हो सकती है। इस कानून में अधिकतम 10 वर्ष तक के कारावास का प्रावधान है।
केंद्र सरकार ने अदालत से क्या कहा…
आपको बता दें कि इससे पहले सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि यदि गरीबी के कारण ऐसा किया गया है तो भीख मांगना अपराध नहीं होना चाहिए और भीख मांगने को अपराध की श्रेणी से बाहर नहीं किया जाएगा। बता दें कि हर्ष मंदर और कर्णिका की ओर से अदालत में यह जनहित याचिका दायर की गई थी और अदालत से मांग की थी कि भीख मांगने को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के अलावा राष्ट्रीय राजधानी में भिखारियों को आधारभूत मानवीय और मौलिक अधिकार दिए जाएं। इससे पहले केंद्र सरकार और दिल्ली की 'आप' सरकार ने अक्टूबर 2016 में दिल्ली हाई कोर्ट में कहा था सामाजिक न्याय मंत्रालय भीख मांगने को अपराध की श्रेणी के बाहर करने और उनके पुनर्वास को लेकर मसौदा तैयार कर रही है, लेकिन कुछ समय होते ही क़ानून में बदलाव करने के फैसले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
बेरोजगारी एक अहम कारण...
बता दें कि भारत एक विकाशसील देश है और आबादी के नजरिए से विश्व में दूसरा स्थान रखता है। भारत में रोजगार हमेशा से एक समस्या रहा है। वैसे तो विकसित देशों में भी रोजगार एक समस्या रहा है हालांकि इसके समाधान के लिए हर देश की सरकार की ओर से कुछ न कुछ कदम उठाए जाते रहे हैं। लेकिन फिर भी आज विश्व में बेरोजगारी धीरे-धीरे बढ़ता चला जा रहा है। इन सबके बीच देश का एक बड़ा वर्ग दैनिक जीवन की आवश्यक्ताओं की पूर्ति करने के लिए दूसरों के सामने हाथ फैलाने लगते हैं। बता दें कि भारत इकलौता देश नहीं हैं जहां पर लोग भीख मांगते है। विकसित देशों में भी लोग भीख मांगते हुए दिखाई दे जाते हैं। भीख मांगने के लिए मजबूर व्यक्ति के सामने कई तरह की विषम परिस्थितियां होती है। हालांकि अब कोर्ट के फैसले के बाद देखना दिलचस्प होगा कि सरकार किया कदम उठाएगी।
Published on:
08 Aug 2018 09:59 pm
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