
सविता गर्ग (Savita Garg) बताती है, नियमित गृहिणी होने से लेकर महिला उद्यमी बनने तक की उनकी लंबी और रोमांचक यात्रा है। राजस्थान (Rajasthan) के सवाई माधोपुर (sawai madhopur) जैसे छोटे से शहर में सुविधाओं का आभाव था। ट्यूशन, कोंचिंग क्लास आदि जैसी कोई व्यवस्था नहीं थी। इसके बावजूद उन्होंने ग्रेजुएशन, मास्टर्स और बीएड तक की पढ़ाई की। 2005 में सविता शादी हो गईं। वो टीचर बनना चाहती थीं और पढ़ाने का उन्हें बेहद शौक था। करौली निवासी पति शीतल गर्ग के सरकारी विभाग में होने के चलते उनके तबादलों के कारण देश के एक शहर से दूसरे शहर में आना-जाना लगा रहता था। 2012 में उनका परिवार दिल्ली शिफ्ट हो गया। यहां उन्होंने एक स्कूल में नौकरी शुरू की, लेकिन बच्चों की जिम्मेदारी और नौकरी के बीच तालमेल बैठाना मुश्किल हो गया और सविता ने नौकरी छोड़ दी।
ऐसे आया ईक्लासोपीडिया का आइडिया
सविता 2015 में अपनी बेटी के लिए गणित के शिक्षक की तलाश कर रही थी, लेकिन निकटतम शिक्षक केंद्र 5 किमी दूर होने के साथ परिवहन लागत, पिक एंड ड्रॉप और सुरक्षा के मुद्दों जैसी समस्याएं बढ़ गईं। ऐसे में सामाजिक और पारिवारिक जिम्मेदारी के चलते बाहर काम करने में असमर्थ महिलाओं के लिए घर से काम करने का मंच बनाने का आइडिया आया। सविता ने तय किया कि ऑनलाइन क्लासेज को बच्चों और टीचस के लिए आसान बनाने का प्लेटफॉर्म खड़ा करेंगी। इसी आइडियए के साथ उन्होंने टीचिंग स्टार्टअप 2015 में ‘ईक्लासोपीडिया’ लॉन्च किया। यह एक ऐसा ऑनलाइन प्लेटफार्म है जहां पर विद्यार्थियों को ऑनलाइन क्लास दी जाती हैं। सबसे पहले कोई भी छात्र-छात्रा, कहीं भी रहते हुए इस प्लेटफॉर्म पर रजिस्टर कर सकते हैं।
जुड़ गई 800 से अधिक महिला शिक्षक और 5 हजार से अधिक विद्यार्थी
ईक्लासोपीडिया से करीब 800 से अधिक महिला शिक्षक जुड़ गई है। यह ऐसी महिलाएं हैं जो कि जो काफी पढ़ी-लिखी है, लेकिन पारिवारिक कारणों से घर से ही काम करना चाहती है। वहीं करीब 5 हजार से अधिक विद्यार्थी जुड़े हुए हैं। अधिकांश विद्यार्थी विदेशों से हैं। इनमें सिंगापुर, आस्ट्रेलिया, कुवैत,यूके, यूएस जैसे देशों के विद्यार्थी शामिल है। अलग-अलग विषय के हिसाब से उनकी एक क्लास की फीस 500 रुपए से लेकर 1500 रुपए प्रति घंटे तक ली जा रही है।
नीति आयोग (NITI Aayog) ने किया सम्मानित
भारत की आजादी के अमृत महोत्सव के हिस्से के तहत पिछले दिनों 75 महिलाओं को ‘सशक्त और समर्थ भारत’ के प्रति उनके योगदान का उत्सव मनाने के लिए डब्ल्यूटीआई पुरस्कार प्रदान किए गए। इस अवसर पर नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने कहा कि डब्ल्यूटीआई पुरस्कार महिलाओं की अनुकरणीय गाथाओं और असाधारण कार्यों को साझा करके उनके गतिशील प्रयासों का उत्सव हैं। सामाजिक सीमाओं को तोडऩे से लेकर एक समान भारत का मार्ग प्रशस्त करने का यह विजेता उदाहरण पेश करते हैं।
Published on:
29 Mar 2022 07:00 am
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