
नई दिल्ली. स्विट्जरलैंड के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी ‘जीवित’ सामग्री बनाई है, जो न सिर्फ हवा से कार्बन डाइऑक्साइड सोख सकती है, बल्कि उसे मजबूत निर्माण सामग्री में बदलकर इमारतों में इस्तेमाल भी किया जा सकता है। यह सामग्री नील हरित शैवाल की मदद से बनाई है, जो प्रकाश संस्लेषण (फोटोसिंथेसिस) की प्रक्रिया से सीओ2 को ऑक्सीजन और शर्करा में बदलती है। इतना ही नहीं कुछ पोषक तत्त्वों की मौजूदगी में यह सीओ2 को ठोस खनिजों जैसे चूना पत्थर में भी बदल सकती है। इससे न सिर्फ कार्बन को स्थायी रूप से जमा किया जा सकता है, बल्कि यह सामग्री खुद को भी सॉलिड बनाती है। वैज्ञानिकों ने इस सामग्री को एक पेड़ के तनों जैसी आकृति में पेश किया। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह हर साल करीब 18 किलो सीओ2 सोख सकती है, जितना 20 साल पुराना देवदार का पेड़ करता है।
कैसे काम करती है यह सामग्री?
इस सामग्री की नींव एक 3डी प्रिंंटेबल हाइड्रोजेल है। एक ऐसा जेल जैसा पदार्थ, जिसमें पानी की मात्रा अधिक होती है। वैज्ञानिकों ने इसमें छेद वाली संरचना बनाई है, जिसमें प्रकाश, पानी और सीओ2 आसानी से अंदर जा सकें और शैवाल रह सकें। इस जीवित जेल में मौजूद श्यानोबैक्टीरिया, हवा से सीओ2 सोखकर दो रूपों में उसे जमा करते हैं। बायोमास के रूप में जैसे-जैसे शैवाल बढ़ते हैं, सीओ2 को अपने भीतर जमा करते हैं।
भविष्य के लिए उम्मीद
वैज्ञानिकों का मानना है कि इस सामग्री को भवनों की दीवारों पर कोटिंग के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे भवन खुद ही वायुमंडलीय सीओ2 को सोखते रहेंगे और कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद करेंगे।
400 दिन लगातार कार्बन सोखने में सफलता
रिसर्च के अनुसार यह सामग्री लगातार 400 दिन तक सीओ2 सोखने में सफल रही। इससे संग्रहीत हर ग्राम सामग्री में लगभग 26 मिलीग्राम कार्बन को ठोस रूप में जमा किया गया।
Published on:
28 Jun 2025 11:43 pm
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