25 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

इंसानियत का चेहरा: नोट बैन के बाद ट्रक ड्राइवरों को उधार में खाना खिला रहे हैं कई ढाबा मालिक

भारत की तरक्की में ट्रक और ट्रक ड्राइवर अहम भूमिका निभाते हैं, अगर ट्रक के पहिए थम जाते हैं तो अर्थव्यवस्था थोड़ी बहुत डगमगाने लगती है

2 min read
Google source verification

image

Parul Sharma

Nov 17, 2016

Highway Dhaba owners showing mercy

Highway Dhaba owners showing mercy

भारत की तरक्की में ट्रक और ट्रक ड्राइवर अहम भूमिका निभाते हैं, अगर ट्रक के पहिए थम जाते हैं तो अर्थव्यवस्था थोड़ी बहुत डगमगाने लगती है। लेकिन इस दौड़ को जारी रखने में अहम रोल अदा करने वाले ट्रक ड्राइवर भी इन दिनों कैश की समस्या से जूझ रहे हैं। लगातार के सफर में आम जरूरतें तो दूर, ढाबा-हॉटल में रोटियां खरीदने भी उन्हें मुश्किल हो रही है।

मुसीबत की घड़ी में मदद को आगे आए ढाबा संचालक-

हालांकि मुसीबत की इस घड़ी में अब हाइवे के बहुत सारे ढाबा संचालक सामने आए हैं। ये लोग खुले रुपये नहीं होने के बावजूद भी ट्रक ड्राइवरों और अन्य लोगों को इंसानियत और भरोसे के आधार पर खाना खिला रहे हैं। कई किराना बिज़नेसमैन और अन्य छोटे व्यापारी भी लोगों को जरूरत की वस्तुएं उधार पर उपलब्ध करा रहे हैं।

Image result for truck driver at dhaba
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इंदौर-इच्छापुर हाइवे पर देशगांव और छैगांवमाखन के ढाबों पर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, आंध्रप्रदेश सहित देश के अन्य क्षेत्रों के ट्रक रुकते हैं। इनमें से ज्यादातर ड्राइवर और हेल्पर के पास कैश के नाम पर 500 और 1000 के नोट ही होते हैं। लेकिन सालों से इसी रूट पर चलने के कारण ढाबे को चलाने वाले कई लोग इन पर विश्वास करते हैं।

निचले तबके को हो रही है खासी परेशानी-
देश के उच्च व मध्यमवर्गीय तबका भले ही नोट बैन के इस फैसले से ज्यादा प्रभावित न हो, लेकिन निचले वर्ग का तबका नोट बैन के बाद से ही जबरदस्त तकलीफ झेल रहा है, खासतौर पर वो लोग जो रोजी रोटी कमाने के चक्कर में घर के बाहर सड़कों पर रोजी-रोटी तलाशते हैं। ऐसे में ढाबा संचालकों के ये प्रयास साबित करते हैं कि इंसानियत अभी खत्म नहीं हुई है

ये भी पढ़ें

image

बड़ी खबरें

View All

ट्रेंडिंग