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यॉडलिंग में कभी बंदरों की बराबरी नहीं कर पाएंगे इंसान

उतार-चढ़ाव में माहिर : स्वर यंत्र में ‘चीप ट्रिक’ की वजह से आवाज के मामले में वानर आगे

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लंदन. किशोर कुमार गाते हुए आवाज में उतार-चढ़ाव (यॉडलिंग) के लिए मशहूर थे। एक नए शोध में कहा गया है कि इंसान कितनी भी कोशिश कर लें, बंदरों से बेहतर यॉडलिंग नहीं कर सकते। बंदरों के स्वर यंत्र (वॉयस बॉक्स) में ‘चीप ट्रिक’ छिपी होती है। यॉडलिंग करते समय इंसान ज्यादा से एक ऑक्टेव (सप्तक) की छलांग लगा सकते हैं। इससे फ्रीक्वेंसी दोगुनी हो जाती है। बंदर एक बार में साढ़े तीन ऑक्टेव की छलांग लगा सकते हैं।ब्रिटेन की एंग्लिया रस्किन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का शोध फिलोसॉफिकल ट्रांजैक्शंस ऑफ द रॉयल सोसाइटी जर्नल में छपा है। शोध के मुख्य लेखक जेकब डून का कहना है कि स्वर यंत्र में ‘चीप ट्रिक’ की वजह से बंदर इस मामले में हमेशा इंसानों से आगे रहेंगे। इंसान आवाज में अचानक बड़ी छलांग लगाते हैं तो यह टूटकर चीख में बदल जाती है। आवाज में लंबी छलांग की क्षमता के कारण बंदरों का एक-दूसरे से बातचीत का तरीका ज्यादा पेचीदा होता है।

झिल्लियों की अतिरिक्त जोड़ी से बड़ी रेंज

अब तक माना जाता था कि इंसानों और बंदरों के स्वर यंत्रों में एक जोड़ी वोकल फोल्ड होते हैं। इनके कंपन से ध्वनि पैदा होती है। नए शोध में पता चला कि बंदरों के पास झिल्लियों की अतिरिक्त जोड़ी होती है। इसकी बदौलत उन्हें इंसानों से कहीं ज्यादा बड़ी पिच रेंज मिल जाती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि विकास की यात्रा में किसी पड़ाव पर संभवत: इंसानों ने ये झिल्लियां खो दीं।

अलग-अलग प्रजाति का विश्लेषण

वैज्ञानिकों ने बोलीविया के अभयारण्य में अलग-अलग प्रजाति के बंदरों के गलों पर सेंसर डाले थे। इससे वे देख पाए कि बंदरों के स्वर यंत्र में क्या-क्या होता है। स्पाइडर प्रजाति के बंदर को सबसे अच्छी यॉडङ्क्षलग करने वाला पाया गया। वे करीब चार ऑक्टेव की छलांग लगा रहे थे। मरे हुए बंदरों के स्वर यंत्रों का भी अध्ययन कर कंप्यूटर मॉडलिंग के जरिए उनकी अलग फ्रीक्वेंसी का विश्लेषण किया गया।