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मैं किसान का बेटा हूं, कमजोरी नहीं दिखाऊंगा, मैं देश के लिए मर जाऊंगा, मिट जाऊंगा- जगदीप धनखड़

-राष्ट्र और समाज के लिए सदन चलाना आवश्यक

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Vice President Jagdeep Dhankhar will come to visit Veer Tejaji on Teja Dashami

Vice President Jagdeep Dhankhar

नई दिल्ली। मीडिया में चल रहे व्यवस्थित अभियान पर अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा, ‘ दिन-रात केवल सभापति के खिलाफ अभियान चल रहा है। यह अभियान मेरे खिलाफ नहीं, बल्कि मेरी श्रेणी के खिलाफ है।’

उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा, ‘मुझे व्यक्तिगत रूप से पीड़ा है कि मुख्य विपक्षी दल ने सभापति के खिलाफ एक अभियान चला रखा है। उन्हें मेरे खिलाफ प्रस्ताव लाने का संवैधानिक अधिकार है, लेकिन वे संवैधानिक प्रावधानों से विचलित हो रहे हैं। सार्वजनिक डोमेन में जो कुछ भी चलाया जा रहा है मैंने उसका अध्ययन कर लिया है। हम संविधान का पालन क्यों नहीं कर सकते? आपने एक नोटिस दिया, जिसे हमने प्राप्त किया, आपने अपने प्रेस सम्मेलन में पूछा कि नोटिस का क्या हुआ? यह इंगित करते हुए कि सभापति नोटिस पर बैठे हुए हैं।’ आप एक प्रस्ताव लाइए, यह आपका अधिकार है, इस प्रस्ताव पर चर्चा करना आपका अधिकार है, लेकिन आपने क्या किया? आपने संविधान का उल्लंघन किया। किसने आपके प्रस्ताव को रोका? आपके यहां से एक बयान जारी किया गया कि हमारे प्रस्ताव पर क्या हुआ? कानून को पढि़ए, आपका प्रस्ताव आ गया है, 14 दिन के बाद आएगा। आपने एक अभियान शुरू कर दिया है।’

किसान पुत्र होने और देश के लिए अपना जीवन समर्पित करने की बात करते हुए धनखड़ ने कहा, ‘24 घंटे यह आपका काम है और यह स्वीकार करें कि मैं एक किसान का बेटा हूं, मैं कमजोरी नहीं दिखाऊंगा। मैं देश के लिए मर जाऊंगा, मिट जाऊंगा... आप लोग नहीं सोचेंगे, 24 घंटे में केवल एक काम है, किसान का बेटा यहां क्यों बैठा है? मैं अपनी आंखों से देख रहा हूं और पीड़ा महसूस कर रहा हूं।

मिलने का समय निकालें, सदन और विपक्ष के नेता से की अपील

धनखड़ ने विपक्ष के नेता से अपील करते हुए कहा, ‘मैं विपक्ष के नेता और सदन के नेता से अपील करता हूं कि वे दोपहर में मेरे कक्ष में मिलने का समय निकालें। मैं इस गतिरोध को समाप्त करने के लिए पूरी कोशिश करूंगा। सदन में जो कार्यवाही हो रही है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। हम किसी से अच्छी ख्याति नहीं कमा रहे हैं। मैं आपसे संविधान के नाम पर अपील करता हूं, खरगे जी, खुले दिमाग से आएं, मेरे कक्ष में मेरे साथ संवाद करें... हम एक साथ काम करेंगे, गतिरोध को तोडऩे की कोशिश करेंगे। हम उन उच्चतम मानकों को पूरा करने की कोशिश करेंगे, जिनकी पूरे देश से इस सम्मानित सदन द्वारा अपेक्षा की जाती है। मैं आपसे अपील करता हूं, खरगे जी, कृपया समय निकालें। मेरी प्रार्थना को स्वीकार करें, आज मेरे कक्ष में मिलें और यही अनुरोध मैं सदन के नेता से भी कर रहा हूं। मैं आप दोनों के साथ चर्चा करूंगा। चीजों को इस तरह से आगे बढ़ाने की कोशिश करूंगा ताकि हम इस सम्मानित सदन के सदस्यों की तरह काम कर सकें। मैं सम्मानित खरगे जी से अपेक्षा करता हूं कि वे प्रतिक्रिया दें, आइए मेरे कक्ष में मिलें और एक रास्ता निकालें। हम आगे बढ़ेंगे।’ धनखड़ ने कहा ‘सदन चलाना राष्ट्र, देश और समाज के लिए महत्वपूर्ण है।’