दिल्ली में आयोजित हुए इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस प्रभाग, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय (मीटवाई) के उपाध्यक्ष ब्राह्मानंद झा ने कहा कि भारत के ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (जीसीसी) अब केवल लागत कम करने के साधन नहीं हैं, बल्कि वे नवाचार के रणनीतिक केंद्र बन रहे हैं। जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था डिजिटल-प्रथम दिशा में बढ़ रही है, जीसीसी लचीले, तकनीक-सक्षम और भविष्य को ध्यान में रखते हुए संगठनों के विकास में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। आईआईएम संबलपुर जैसे शिक्षण संस्थान, डाटा साइंस, एआई और जन नीति पर केंद्रित कार्यक्रमों के माध्यम से इस परिवर्तन के लिए आवश्यक प्रतिभा और सोच विकसित कर रहे हैं। मंत्रालय में हमारा लक्ष्य है कि अकादमिक, उद्योग और शासन के बीच समन्वय स्थापित कर एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करें, जो सतत नवाचार और डिजिटल नेतृत्व को बढ़ावा दे।
आईआईएम संबलपुर के निदेशक प्रो. महादेव जैसवाल ने कहा कि यह नए कार्यक्रम भविष्य के नेतृत्वकर्ताओं को तैयार करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। मुख्य वक्ता नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के निदेशक लेफ्टिनेंट कर्नल पीयूष शुक्ला ने कहा कि भारत की परीक्षा प्रणाली अब इस दिशा में विकसित हो रही है कि ऐसे प्रतिभाशाली छात्रों की पहचान की जा सके जो तेज़-रफ्तार और नवाचार-प्रेरित संस्थानों जैसे जीसीसी में सफल हो सकें। एनटीए निदेशक (सीयूईटी) राजेश कुमार ने जीसीसी की भूमिका और वैश्विक डिजिटल परिवर्तन में इसके योगदान पर महत्वपूर्ण विचार साझा किए। इस अवसर पर ऑपरेशन्स में परिवर्तन, नीति नवाचार और टैलेंट अपस्किलिंग का संरेखण पर पैनल चर्चा की गई।