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इंडिया एनर्जी वीक 2025: देशभर में हाइड्रोजन फ्यूल सेल से बस चलाने की तरफ बढ़े कदम

दिल्ली में चल रहे 'इंडिया एनर्जी वीक 2025' में ग्रीन हाइड्रोजन और इसके लिए सरकार के मिशन को लेकर काफी चर्चा की गई। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने दुनियाभर की कंपनियों, एक्सपर्टस और निवेशकों से ग्रीन हाइड्रोजन मिशन से जुड़े कई पहलुओं पर मंथन किया।

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भवनेश गुप्ता/ नई दिल्ली। दिल्ली में चल रहे 'इंडिया एनर्जी वीक 2025' में ग्रीन हाइड्रोजन और इसके लिए सरकार के मिशन को लेकर काफी चर्चा की गई। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने दुनियाभर की कंपनियों, एक्सपर्टस और निवेशकों से ग्रीन हाइड्रोजन मिशन से जुड़े कई पहलुओं पर मंथन किया। इलेक्ट्रिक वाहनों को सड़कों पर पूरी तरह से उतारने के लिए सरकार एक्शन मोड में है। इवेंट में आए एक्सपर्ट्स का मानना है कि ग्रीन हाइड्रोजन की दिशा में हम अगले दो से तीन सालों में तेजी दिखेगी। मीडिया सलाहकार राजीव जैन ने बताया की इंडिया एनर्जी वीक में मुद्दों पर चर्चा हुई, उसकी केंद्रीय मंत्री पुरी आगामी दिनों में निरंतर समीक्षा करेंगे।

2030 तक 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य

केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि हम हाइड्रोजन फ्यूल सेल से बस चला सकते हैं। पंद्रह बस राजधानी दिल्ली में चल रही हैं और कई गुजरात में भी चल रही हैं। राजस्थान का भी नंबर आने वाला है। जैसे- जैसे ग्रीन हाइड्रोजन की लागत कम होगी, इसका प्रोडक्शन बढ़ेगा। इस मिशन का लक्ष्य साल 2030 तक 50 लाख टन हर साल हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करना है।

एक्सपर्ट बोले- 'पूरे सिस्टम को बना रहे सस्टेनेबल'

कार्यक्रम में देश दुनिया से आए एक्सपर्ट्स का मानना है कि ग्रीन इलेक्ट्रिसिटी को इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ जोड़ सकते हैं और इस प्रकार पूरे सिस्टम को सस्टेनेबल बनाया जा सकता है।हालांकि, इसके लिए सड़कों पर चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, निगरानी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्लाउड-आधारित प्लेटफॉर्म और संचार जैसी कई अन्य चीजों की भी जरूरत होगी।

वर्ष 2022 को हुई थी मिशन की शुरूआत

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 4 जनवरी, 2022 को इस मिशन की शुरूआत की थी। यह मिशन न केवल टिकाऊ ऊर्जा कार्यप्रणालियों को बढ़ावा देता है, बल्कि वैश्विक अक्षय ऊर्जा समाधानों में भारत की स्थिति को भी मजबूत कर रहा है।  भारत सरकार जीवाश्म ईंधन से हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया में बदलने के लिए कई कदम उठा रही है। पारंपरिक ईंधन के बजाय हरित ऊर्जा के स्रोतों को अपनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। यह पर्यावरण के लिए बेहतर होगा और प्रदूषण कम करेगा।