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गुरु परमहंस स्वामी विश्वानंद को 24 को मिलेगी विश्वगुरु की उपाधि

- वृंदावन में दीक्षा प्रक्रिया से दी जाएगी उपाधि

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गुरु परमहंस स्वामी विश्वानंद को २४ को मिलेगी विश्वगुरु की उपाधि

गुरु परमहंस स्वामी विश्वानंद को २४ को मिलेगी विश्वगुरु की उपाधि

नई दिल्ली। भारत में विविध आध्यात्मिक संगठनों में, प्रामाणिकता सुनिश्चित करने के लिए उनके संबंधित प्रमुख को एक प्राचीन दीक्षा प्रक्रिया के बाद विशिष्ट उपाधियां प्रदान की जाती हैं। 'विश्वगुरु' उपाधि जो एक वैश्विक आध्यात्मिक नेतृत्व का प्रतीक है। परमहंस विश्वानंद को एक दीक्षा से सम्मानित संतों की उपस्थिति में प्रदान की जाएगी। संपूर्ण आयोजन महार निर्वाणी अखाड़े के प्रमुख महंत धर्म दास के मार्गदर्शन में होगा। यह समारोह गिरिधर धाम आश्रम वृंदावन में होने वाला है। स्वामी विश्वानंद और उनके अंतर्राष्ट्रीय संघ के नवंबर के अंत में भारत पहुंचने की उम्मीद है, जो एक भव्य उत्सव का आरम्भ होगा। दीक्षा समारोह 24 नवंबर, प्रात: 8 बजे आरम्भ होगा, जिसमें प्रतिष्ठित संतों और साधुओं द्वारा परमहंस विश्वानंद का पूर्ण अभिषेक किया जाएगा। इसके पश्चात् भंडारा का आयोजन है , जिसके दौरान भक्ति मार्ग 4,000 महंतों, साधुओं और भक्तों के लिए भोजन प्रदान करेगा और वृंदावन के साधुओं को प्रसाद के 4,000 पैकेट वितरित करेगा। भक्ति मार्ग के सभी सदस्यों, महंतों और साधुओं के साथ वृन्दावन के चारों ओर परिक्रमा और कीर्तन करते हुए इस गौरवशाली दिन का जश्न मनाया जाएगा। 25 नवंबर को दर्शन होंगे जहां परमहंस विश्वानंद हजारों भक्तों को व्यक्तिगत आशीर्वाद प्रदान करेंगे। समारोह का समापन अगले दिन कार्तिक रात्रि के उत्सव के साथ होगा। कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए आध्यात्मिक गुरु परमहंस स्वामी विश्वानंद भी मौजूद रहेंगे। वे यहां विश्व गुरु की उपाधि प्राप्त करने आ रहे हैं। यह सम्मान अद्वितीय ज्ञान और वैश्विक प्रभाव वाले आध्यात्मिक व्यक्तित्व के लोगों को दिया जाता है, जो आध्यात्मिक परिदृश्य में उनके असाधारण योगदान को दर्शाता है। इससे पहले 2015 में नासिक कुंभ मेले में ‘महामंडलेश्वर’ की प्रतिष्ठित उपाधि से सम्मानित किया गया था।

भक्ति मार्ग, जिसका मुख्यालय निलय आश्रम जर्मनी में है। इसकी स्थापना परमहंस श्री विश्वानंद ने की थी और इसने वैश्विक आध्यात्मिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। भक्ति मार्ग के माध्यम से, स्वामी विश्वानंद ने पूरे यूरोप, अफ्रीका के कुछ हिस्सों, एशिया और दक्षिण अमेरिका में मंदिर और आश्रम स्थापित किए हैं। भारत में, इनका मुख्य आश्रम गिरिधर धाम, वृंदावन में है और पंढरपुर, महाराष्ट्र में एक दूसरे आश्रम के साथ विस्तार की योजना है, जिससे भक्ति मार्ग की आध्यात्मिक विरासत और समृद्ध हो जाएगी। उनका व्यापक मिशन मानवता के हृदयों को उस दिव्य प्रेम के प्रति प्रकाशित करना है जो आस्था और विश्वास की सभी सीमाओं से परे है।


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