जम्मू-कश्मीर की राजनीति में कभी कश्मीरी पंडितों की अहम भूमिका थी। माखनलाल फौतेदार जैसे नेताओं ने केंद्र की राजनीति में भी बड़ी पैठ बनाई तो 1990 तक राज्य की विभिन्न सरकारों में कश्मीरी पंडितों को पूरा प्रतिनिधित्व मिलता रहा। स्व. प्यारेलाल हुंडू, खेमलता वाखलू, डीपी धर, अमिताभ मट्टू जैसे कई नाम गिनाए जा सकते हैं, लेकिन आज भाजपा नेता रविंद्र रैना जैसे कुछ नाम ही सामने आते हैं। साल 2002 के चुनाव में रमन मट्टू निर्दलीय जीतकर विधानसभा पहुंचे और कांग्रेस के नेतृत्व वाली पीडीपी सरकार में मंत्री बने। यह संभवतः राज्य की सत्ता में कश्मीरी पंडितों का आखिरी प्रतिनिधित्व था। कश्मीरी पंडित भी विधानसभा में प्रतिनिधित्व की मांग उठाते रहे हैं।
राज्यसभा में प्रस्तुत एक जवाब के अनुसार कश्मीर घाटी में अभी 6514 पंडित निवास कर रहे हैं। इनमें 2639 कुलगाम व 1204 बडगाम में है। सबसे कम 19 कुपवाड़ा व 66 बांदीपोरा में रह गए हैं। श्रीनगर में इनकी संख्या 455 व अनंतनाग में 808 बताई गई है।