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क्या वह आपके दोस्त हैं? जस्टिस वर्मा केस में वकील के संबोधन पर भड़के सीजेआई, लगा दी फटकार

Justice Yashwant Verma Case: सीजेआई गवई ने कहा, "क्या वह आपके दोस्त हैं? वे अभी भी जस्टिस वर्मा हैं। कुछ शिष्टाचार रखें। आप एक विद्वान जज का जिक्र कर रहे हैं।"

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Justice Yashwant Verma Case: क्या वह आपके दोस्त हैं? जस्टिस वर्मा केस में वकील के संबोधन पर भड़के सीजेआई, लगा दी फटकार

जस्टिस यशवंत वर्मा को 'वर्मा' कहने पर भड़की सुप्रीम कोर्ट। (फोटोः सोशल मीडिया)

Justice Yashwant Verma Case: सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को उस समय चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई भड़क उठे, जब जस्टिस यशवंत वर्मा को वकील ने सिर्फ वर्मा कहकर संबोधित किया। इस दौरान मुख्य न्यायाधीश ने अधिवक्ता को न्यायालय की गरिमा और शिष्टाचार का ध्यान रखने को कहा। दरअसल, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील मैथ्यूज जे. नेदुमपारा ने दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा का उल्लेख केवल "वर्मा" कहकर किया। इस पर भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने सख्त प्रतिक्रिया दी और अदालत की मर्यादा की याद दिलाई। सीजेआई गवई ने कहा, "क्या वह आपके दोस्त हैं? वे अभी भी जस्टिस वर्मा हैं। कुछ शिष्टाचार रखें। आप एक विद्वान जज का जिक्र कर रहे हैं।" यह टिप्पणी तब आई जब नेदुमपारा ने जस्टिस वर्मा के आधिकारिक आवास से नकदी मिलने के मामले में तीसरी बार एफआईआर दर्ज कराने की मांग वाली याचिका दाखिल की।

याचिका को तत्काल सुनवाई से इनकार

मुख्य न्यायाधीश ने याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार करते हुए तीखा सवाल किया, "क्या आप चाहते हैं कि याचिका को अभी खारिज कर दिया जाए?" इस पर नेदुमपारा ने कहा, "एफआईआर दर्ज होनी ही चाहिए, अब तो वर्मा भी यही चाहते हैं।" इस बयान के बाद सीजेआई ने उन्हें एक बार फिर शिष्टाचार बरतने की चेतावनी दी और कहा कि वे अभी भी जज हैं।

जानिए क्या है पूरा मामला?

नेदुमपारा की याचिका के अनुसार, 14 मार्च को जस्टिस वर्मा के आधिकारिक बंगले में आग लगने की घटना के बाद वहां के स्टोररूम से जली हुई नकदी बरामद हुई थी। उनका आरोप है कि दिल्ली पुलिस को इस मामले में एफआईआर दर्ज करनी चाहिए, क्योंकि वह केंद्र सरकार के अधीन है। मई में सुप्रीम कोर्ट इस विषय पर एक याचिका खारिज कर चुकी है, यह कहते हुए कि मामला इन-हाउस जांच के अधीन है और रिपोर्ट राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को भेज दी गई है। दूसरी ओर, जस्टिस यशवंत वर्मा ने खुद सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर इन-हाउस समिति की जांच को चुनौती दी है। उन्होंने आरोप लगाया है कि समिति ने पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया और उन्हें अपनी बात रखने का पूरा अवसर नहीं दिया गया।

आवास में आग लगने के दौरान मिली थी नकदी

दरअसल, जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित आधिकारिक आवास में आग लगने के दौरान स्टोररूम में कथित रूप से जली हुई नकदी मिली थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इन हाउस जांच का आदेश दिया था। जांच कमेटी ने रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंप दी है। इसी रिपोर्ट को लेकर जस्टिस यशवंत वर्मा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इसमें आरोप है कि जांच कमेटी ने जस्टिस यशवंत वर्मा को अपनी बात रखने का अवसर नहीं दिया।

जस्टिस वर्मा ने दायर की है याचिका

समाचार एजेंसी IANS के अनुसार, सोमवार को जस्टिस यशवंत वर्मा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश वकील मैथ्यूज नेदुमपारा ने दिल्ली पुलिस से एफआईआर दर्ज कराने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिसे कोर्ट ने पहले भी खारिज किया था। सोमवार को सुनवाई के दौरान नेदुमपारा ने जस्टिस वर्मा को केवल "वर्मा" कह दिया, जिस पर सीजेआई बीआर गवई ने नाराजगी जताई और उन्हें शिष्टाचार बरतने की सलाह दी। उधर, जस्टिस वर्मा ने जांच समिति की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।