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1000 इलेक्ट्रिक बसों की खरीददारी पर फंसी केजरीवाल सरकार!

एक साथ 1000 इलेक्ट्रिक बसों की खरीददारी के मामलें में अब केजरीवाल सरकार फंसती हुई नजर आ रही है और इसी के साथ एक बार फिर से सरकार के इस निर्णय पर सवाल खड़े होने शुरु हो गए हैं।

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1000 इलेक्ट्रिक बसों की खरीददारी पर फंसी केजरीवाल सरकार!

1000 इलेक्ट्रिक बसों की खरीददारी पर फंसी केजरीवाल सरकार!

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में यातायात को सुगम बनाने और पुरानी बसों को हटाकर नए बसों को शामिल करने के लिए एक साथ 1000 इलेक्ट्रिक बसों की खरीददारी के मामलें में अब केजरीवाल सरकार फंसती हुई नजर आ रही है। दिल्ली सरकार के इस निर्णय पर सवाल खड़े होने फिर से शुरु हो गए हैं। पर्यावरण संरक्षण व नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) के बाद अब यह सवाल अन्य राज्यों के विशेषज्ञों और सरकारी अधिकारियों ने खड़े किए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे वायु प्रदूषण भी खत्म नहीं होगा। बता दें कि हैदराबाद में एडमिनिस्ट्रेटिव स्टॉफ कॉलेज ऑफ इंडिया में 26-27 जुलाई को जलवायु परिवर्तन पर दो दिवसीय सम्मेलन आयोजित की गई जिसमें वायु प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग, थर्मल पावर प्लांट और ई-वाहनों सहित कई मुद्दों पर चर्चा हुई। इस चर्चा में यह विचार किया गया कि सार्वजनिक परिवहन के रूप में इलेक्ट्रिक बसों को चलाने का निर्णय पायलट प्रोजेक्ट है। यदि यह परियोजना सफल रही तो ही इसे आगे बढ़ाया जाएगा। अब इस निर्णय के बाद केजरीवाल सरकार की ओर से 1000 इलेक्ट्रिक बसों को खरीदने के मामले में पेंच फंस गया है।

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तेलंगाना सरकार केवल 100 बसें खरीदेगी

आपको बता दें कि तेलंगाना सरकार ने पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 100 इलेक्ट्रिक बसों को खरीदने का फैसला किया है। सरकार ने कहा है कि सों की बड़ी खरीद से पहले जांचना होगा कि सार्वजनिक परिवहन के रूप में यह कितनी अनुकूल हैं। तेलंगाना राज्य औद्योगिक ढांचागत निगम लिमिटेड (टीएसआइआइसी) के निदेशक विजय जायसवाल का कहना है कि एक बस में 250 किलोवाट की बैटरी लगाई जाती है। इसे चार्ज करने के लिए बिजली की भी मांग बढ़ेगी। इसके लिए ग्रिड व लोड प्रबंधन को भी मजबूती देनी होगी। इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करने के क्रम में बिजली की दरें भी कई तरह से तय करनी पड़ेंगी। कम व्यस्त समय में दरें कम रखनी होंगी जबकि व्यस्त समय में ज्यादा। दिल्ली के संदर्भ में जायसवाल ने कहा कि एक साथ इतनी अधिक बसें खरीदना तर्कसंगत फैसला नहीं है। अगर यह प्रोजेक्ट सफल नहीं रहा तो आर्थिक नुकसान भी उतना ही बड़ा उठाना होगा।

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केंद्र सरकार ने 2017 में 11 शहरों का किया था चयन

आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने बीते वर्ष 2017 में इलेक्ट्रिक बसों को चलाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर दस लाख से अधिक आबादी वाले 11 शहरों का चयन किया था। केंद्र सरकार के भारी उद्योग मंत्रालय ने इस सूची में दिल्ली के अलावा देश के अलग-अलग शहरों का चयन किया था जिसमें बेंगलुरु, हैदराबाद, इंदौर, लखनऊ, मुंबई, जयपुर, कोलकाता, अहमदाबाद, जम्मू और गुवाहाटी शामिल हैं। उद्योग मंत्रालय ने तब कहा था कि जम्मू और गुवाहाटी में 15-15 बसें और शेष शहरों में 40-40 बसें चलाने की योजना है और इसके लिए केंद्र सरकार सब्सिडी भी देगी।