
नई दिल्ली। संसद में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की जगह वीबी जी राम जी बिल पास होने के बाद कांग्रेस अब बड़े आंदोलन की तैयारी कर रही है। 27 दिसंबर को कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में इसकी रूपरेखा बनेगी।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने 24 अकबर रोड स्थित कांग्रेस कार्यालय में पत्रकार वार्ता में कहा कि मनरेगा के मुद्दे को छोड़ने वाली नहीं है। उन्होंने बताया कि 27 दिसंबर को होने वाली कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक में वीबी जी-राम-जी बिल सहित मजदूर विरोधी नीतियों पर विस्तार से चर्चा की जाएगी आगे की रणनीति तय की जाएगी। कांग्रेस कमजोर वर्गों और राज्यों के अधिकारों की रक्षा के लिए संसद से सड़क तक संघर्ष जारी रखेगी। जिस तरह किसानों से जुड़े कानूनों को वापस लेना पड़ा, वैसा ही मजदूरों से जुड़े कानून को वापस लेना होगा। जयराम रमेश ने कहा कि इस बिल का सीधा असर कमजोर वर्ग के लोगों पर पड़ेगा और दूसरा बड़ा असर राज्यों की वित्तीय स्थिति पर होगा। 40 प्रतिशत खर्च राज्यों पर डालकर सरकार उनके अधिकारों और संसाधनों को कमजोर कर रही है। यह कोई कानूनी अधिकार नहीं, बल्कि सरकार की मनमानी व्यवस्था है। उन्होंने सवाल उठाया कि इस बिल को लाने से पहले सरकार ने किन-किन राज्य सरकारों से सलाह ली। जयराम ने चुनौती देते हुए कहा कि सरकार बताए कि क्या आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस बिल पर सहमति ली गई थी।
जयराम ने कहा कि शीतकालीन सत्र के संचालन और सरकार की प्राथमिकताओं पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि शीतकालीन सत्र से पहले सरकार ने सर्वदलीय बैठक में 12 विधेयक लाने की बात कही थी, लेकिन उनमें से पांच विधेयक सदन में आए ही नहीं। यह संसद और लोकतांत्रिक परंपराओं के साथ मजाक है।
जयराम रमेश ने कहा कि सरकार ने सत्र की शुरुआत रवीन्द्रनाथ टैगोर के नाम से की, लेकिन पूरे सत्र के दौरान जवाहरलाल नेहरू का अपमान किया गया और समापन महात्मा गांधी के अपमान के साथ हुआ।
कांग्रेस नेता जयराम ने कहा कि प्रदूषण जैसे गंभीर विषय पर सरकार का रवैया बेहद गैर-जिम्मेदाराना रहा। जयराम ने आरोप लगाया कि सरकार ने संसद में यह जवाब दिया कि प्रदूषण का असर फेफड़ों पर नहीं पड़ता, जबकि देश और दुनिया की कई वैज्ञानिक स्टडी यह साबित कर चुकी हैं कि प्रदूषण का सीधा असर फेफड़ों के साथ-साथ मृत्यु दर पर भी पड़ता है। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि यह शीतकालीन सत्र नहीं, बल्कि “प्रदूषण कालीन सत्र” बनकर रह गया। लोकसभा में प्रदूषण पर व्यापक बहस के लिए कांग्रेस पूरी तरह तैयार थी और सुझाव देने को भी इच्छुक थी, लेकिन सरकार ने अचानक सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया। इससे साफ है कि सरकार इस मुद्दे पर चर्चा से भाग रही है।
Published on:
19 Dec 2025 02:50 pm
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