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गमगीन माहौल में बेटे ने किया पिता का अंतिम संस्कार, दो दिन बाद घर में बैठा मिला पूजन, बेसुध हो गई पत्नी

Gurugram: पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह स्पष्ट हुआ कि उस व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी। सिर धड़ से अलग था और शव को जानवरों ने बुरी तरह नोच दिया था। यह सुनकर परिवार शोक में डूब गया। पत्नी लक्ष्मिनिया प्रसाद बेहोश हो गईं।

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Man found alive in home two days after funeral in Gurugram

प्रतीकात्मक तस्वीर

Gurugram: क्या कभी आपने सुना है कि किसी व्यक्ति का अंतिम संस्कार हो जाए और दो दिन बाद वही शख्स अपने घर लौट आए? यह किसी फिल्मी कहानी जैसा लगता है, लेकिन गुरुग्राम में बिल्कुल ऐसा ही हुआ। यहां एक 47 साल का व्यक्ति अंतिम संस्कार के दो दिन बाद जिंदा घर लौट आया। उसे परिजनों ने दो दिन पहले मृत समझकर श्मशान घाट तक पहुंचा दिया और अस्थियां तक विसर्जित कर दीं। अचानक जीवित अवस्था में घर लौट आया। यह घटना न केवल परिवार बल्कि पूरे इलाके के लिए किसी चमत्कार साबित हो रही है। दूसरी ओर पुलिस के लिए उस शव की पहचान करना चुनौती बन गया है, जो कुछ दिन पहले झाड़ियों में लावारिस मिला था।

लापता होने से शुरू हुई कहानी

सेक्टर-36 के मोहम्मदपुर झरशा निवासी पूजन प्रसाद, जो लेबर कॉन्ट्रैक्टर के रूप में काम करते हैं, अगस्त के आखिरी सप्ताह से अचानक लापता हो गए थे। परिजनों ने उन्हें हर जगह खोजा, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। आखिरकार 1 सितंबर को पुलिस में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई गई। इसी बीच पुलिस ने पूजन के बेटे संदीप कुमार को 28 अगस्त को मिले एक अज्ञात शव की जानकारी दी।

शव उनके घर से मात्र डेढ़ किलोमीटर दूर से बरामद हुआ था। जब पुलिस संदीप को सरकारी मुर्दाघर ले गई और शव दिखाया गया, तो उसने उसमें अपने पिता जैसी समानताएं देखीं। शव पर वही कपड़े थे जो अक्सर पूजन पहनते थे और सबसे बड़ी बात, दाहिने पैर पर चोट का निशान भी वैसा ही था जैसा उसके पिता के पैर पर था। संदीप को पूरा विश्वास हो गया कि शव उसके पिता का ही है। उसने परिवार और पुलिस को यही बताया और अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू हो गई।

सदमे में डूबा परिवार और अंतिम संस्कार

पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह स्पष्ट हुआ कि उस व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी। सिर धड़ से अलग था और शव को जानवरों ने बुरी तरह नोच दिया था। यह सुनकर परिवार शोक में डूब गया। पत्नी लक्ष्मिनिया प्रसाद बेहोश हो गईं और रिश्तेदारों के बीच मातम छा गया। मंगलवार को राम बाग श्मशान घाट पर पूरे रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार किया गया। बेटे ने पिता की चिता को अग्नि दी। अगले दिन अस्थियां विसर्जन के लिए बेटा और रिश्तेदार दिल्ली की ओर रवाना भी हो गए। लेकिन तभी कहानी ने नाटकीय मोड़ लिया।

साले ने देखा जीजा को जिंदा

रास्ते में ही पूजन के साले राहुल प्रसाद को खांडसा के लेबर चौक पर एक पहचान-सी शक्ल नजर आई। पास जाकर देखा तो वह उनके जीजा पूजन ही थे। पहले तो राहुल को विश्वास नहीं हुआ, लेकिन करीब जाकर देखा तो यह हकीकत निकली। उन्होंने तुरंत उन्हें पकड़कर ऑटो में बैठाया और घर ले आए। जब बेटे अस्थियां विसर्जन के रास्ते से लौटकर घर पहुंचे तो पिता को जिंदा देखकर फूट-फूटकर रो पड़े। पत्नी लक्ष्मिनिया को तो जैसे विश्वास ही नहीं हुआ। उन्होंने HT से कहा, “मुझे लगा मैं सपना देख रही हूं। मैंने उन्हें हमेशा के लिए खो दिया था, लेकिन वे लौट आए। यह मेरे लिए दूसरी जिंदगी जैसा है।”

शराब और भटकाव की वजह से गुम हुए थे पूजन

पड़ोसी भी उतने ही हैरान थे। बगल के रहने वाले अवनीश शर्मा ने कहा कि उन्होंने खुद अंतिम संस्कार देखा था, इसलिए पूजन को जिंदा देखकर दंग रह गए। पुलिस जांच में सामने आया कि पूजन कई दिनों से नशे में भटक रहे थे। वे कभी चौराहों पर तो कभी निर्माण स्थलों पर रात गुजारते रहे। इसी कारण वे घर नहीं लौट पाए। परिवार को उनकी कोई खबर नहीं मिली और शव की गलत पहचान हो गई।

अब नए सिरे से होगी हत्या की जांच

इस घटना के बाद पुलिस के सामने एक नई चुनौती खड़ी हो गई है। दरअसल, जिस शव का अंतिम संस्कार पूजन के नाम पर हुआ, वह वास्तव में किसी और का था, जिसकी हत्या कर दी गई थी। अब पोस्टमार्टम के दौरान सुरक्षित रखे गए डीएनए सैंपल का मिलान कर शव की वास्तविक पहचान की जाएगी। गुरुग्राम पुलिस प्रवक्ता संदीप तूरन ने बताया कि पहचान में देरी से जांच भी प्रभावित होती है। सेक्टर-37 थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया है। पुलिस का कहना है कि डीएनए रिपोर्ट आने के बाद हत्या की गुत्थी जल्द सुलझा ली जाएगी।

पुलिस की जांच प्रक्रिया पर भी खड़े हुए सवाल

पूजन प्रसाद की वापसी भले ही परिवार के लिए सौभाग्यपूर्ण हो, लेकिन इस घटना ने पुलिस जांच और शव पहचान की प्रक्रिया पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। गलत पहचान से एक ओर जहां परिवार ने अपनों के खोने का असहनीय दुख झेला, वहीं असली मृतक की पहचान और उसके परिवार तक सूचना पहुंचने में देरी हो गई। गुरुग्राम की यह घटना लोगों के लिए चमत्कार से कम नहीं, लेकिन साथ ही यह सावधानी और संवेदनशीलता की भी बड़ी सीख देती है।