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टीकों पर वैश्विक फंडिंग घटने से फिर लौटी कई बीमारियां

वरदान है वैक्सीन : विश्व टीकाकरण सप्ताह पर डब्ल्यूएचओ की चेतावनी

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जिनीवा. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने गुरुवार को चेतावनी दी कि टीकाकरण की वैश्विक फंडिंग में हो रही कटौती के कारण कई ऐसी बीमारियों का प्रकोप दोबारा बढ़ रहा है, जिन्हें टीकों की मदद से करीब-करीब खत्म कर दिया गया था। पिछले 50 साल में टीकों ने करीब 15 करोड़ से ज्यादा लोगों की जिंदगी बचाई, लेकिन अब टीकाकरण की दिशा में प्रगति खतरे में है।

विश्व टीकाकरण सप्ताह (24 से 30 अप्रेल) के मौके पर डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ और वैक्सीन अलायंस गावी ने कहा कि टीकाकरण को लेकर फैली अफवाहें, बढ़ती आबादी, मानवीय संकट और वैश्विक फंडिंग में कटौती के कारण लाखों बच्चों, किशोरों और वयस्कों पर संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक दुनियाभर में खसरा, मेनिनजाइटिस और पीला बुखार जैसी बीमारियों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इन बीमारियों को टीकों की मदद से रोका जा सकता है। डिप्थीरिया जैसी बीमारियां, जो कई देशों में करीब-करीब खत्म हो चुकी थीं, फिर से लौट सकती हैं। खसरे के मामले 2023 में एक करोड़ से ज्यादा हो गए। इनमें 2022 के मुकाबले 20 फीसदी की वृद्धि हुई है।

1.45 करोड़ बच्चों को एक भी टीका नहीं

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में करीब 1.45 करोड़ बच्चों को एक भी नियमित टीका नहीं मिला। इनमें से आधे से ज्यादा बच्चे ऐसे देशों में रह रहे हैं, जहां हिंसा, अस्थिरता या संघर्ष के कारण स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं। यूनिसेफ प्रमुख कैथरीन रसेल का कहना है, हम 1.5 करोड़ से ज्यादा बच्चों तक खसरे का टीका नहीं पहुंचा पा रहे हैं। इससे फिर गंभीर हालात बन रहे हैं।

फिर उभरे पीले बुखार के मामले

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयेसस का कहना है, दुनियाभर में टीकों की मदद से रोकी जा सकने वाली बीमारियों के मामले बढ़ रहे हैं। अफ्रीकी और अमरीकी देशों में पीले बुखार के मामले फिर उभर रहे हैं। कई देशों पर इलाज का बोझ बढ़ रहा है। ऐसे देश, जिनके पास सीमित संसाधन हैं, उन्हें असरदार उपायों में निवेश करना चाहिए। इनमें टीकाकरण सबसे अहम है।