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मिशन 2026: रामनवमी पर रामेश्वर जाकर हिंदुत्व और विकास के एजेंडे को धार देंगे पीएम मोदी

- तमिलनाडु में डीएमके से मुकाबले के लिए पुराने सहयोगी अन्नाद्रमुक को साथ लाने के लिए आगे बढ़ा मामला - गृहमंत्री अमित शाह से अन्नाद्रमुक महासचिव पलानिस्वामी की बैठक के बाद गरमाई राजनीति

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पॉडकास्ट में पीएम मोदी से RSS से जुड़ा सवाल पूछा

पॉडकास्ट में पीएम मोदी से RSS से जुड़ा सवाल पूछा

नवनीत मिश्र
नई दिल्ली। दक्षिण के प्रमुख राज्य तमिलनाडु में 2026 में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा ने तैयारियां तेज कर दी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छह अप्रैल को रामनवमी के दिन रामेश्वर जाकर हिंदुत्व और विकास दोनों के एजेंडे को धार देंगे। रामेश्वर के रामानाथस्वामी मंदिर जाकर जहां हिंदुत्व को साधेंगे, वहीं देश के पहले वर्टिकल समुद्री पंबन पुल का उद्घाटन कर विकास के एजेंडे को भी आगे बढ़ाएंगे। पंबन ऐसा चमत्कारिक पुल है जो रामेश्वर द्वीप को रेल नेटवर्क से जोड़ता है। जिस तरह से सत्ताधारी डीएमके नेताओं ने हिंदी और हिंदुत्व को लेकर काफी समय से भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है, उसका इस दौरे पर प्रधानमंत्री जवाब भी दे सकते हैं।

गठबंधन की कवायद शुरू

पत्रिका की खबर सच साबित होती दिख रही है। पत्रिका ने पहले ही 29 फरवरी को प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताया था कि तमिलनाडु में भाजपा और अन्नाद्रमुक के बीच दोबारा गठबंधन हो सकता है। अन्नाद्रमुक महासचिव और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एडप्पादी के पलानीस्वामी ने बीते मंगलवार की रात नई दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह के आवास पर भेंट की। पलानीस्वामी ने राज्य के सियासी समीकरणों के बारे में गृहमंत्री को जानकारी दी। सत्ताधारी डीएमके के हिंदी विरोध की राजनीति पर भी चर्चा हुई। सूत्रों के मुताबिक, भाजपा और अन्नाद्रमुक के बीच संभावित गठबंधन की बातचीत सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ती दिख रही है। तमिलनाडु में मुख्य विपक्षी दल अन्नाद्रमुक ने भाजपा के राज्य नेतृत्व के साथ खटपट के बाद 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले सितंबर 2023 में एनडीए से रिश्ता तोड़ लिया था।

लोकसभा से गठबंधन टूटने का खामियाजा भुगत चुके दोनों दल

2024 के लोकसभा चुनाव से पहले गठबंधन टूटने का खामियाजा भाजपा और अन्नाद्रमुक दोनों भुगत चुके हैं। दोनों दल अगर मिलकर चुनाव लड़ते तो कुछ सीटें जीत सकते थे। अलग-अलग लड़ने पर दोनों दलों का खाता भी नहीं खुला था, जबकि अन्नाद्रमुक को 23 और भाजपा को 18 प्रतिशत वोट मिले थे। एक भी सीट नहीं मिलने के बावजूद दोनों दल 41.33 प्रतिशत वोट पाने में सफल रहे थे। वहीं सत्ताधारी डीएमके नेतृत्व इंडिया गठबंधन महज 5 प्रतिशत अधिक 46.97 प्रतिशत वोट हासिल कर सभी 39 सीटें जीतने में सफल रहा था। ऐसे में भाजपा और अन्नाद्रमुक को 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले गठबंधन की जरूरत महसूस हो रही है।