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Mysterious Story: प्यार अंधा होता है, यह लाइन रुपहले पर्दे के साथ-साथ अक्सर लोगों के जीवन में भी सच साबित होती है। दिल्ली से सटे गाजियाबाद में शनिवार को एक ऐसी ही कहानी का मंचन किया गया। जिसमें प्यार के बाद शुरू हुआ धोखे का खेल दर्शकों के मन पर गहरा असर डाल गया। मामला अदालत तक पहुंचा तो सारे सबूत निर्दोष प्रेमी के खिलाफ पाए गए। इतना ही नहीं, प्रेमी की पत्नी ने भी अपने पति के खिलाफ गवाही देकर केस को मजबूत बना दिया, लेकिन कहते हैं न, जब कुदरत न्याय पर उतरती है तो पाई-पाई चुका देती है। इस कहानी में भी कुछ ऐसा ही हुआ, अदालत में एक निर्दोष को सजा होने से पहले ही कुदरत ने अपना न्याय कर दिया और असली गुनाहगार सबके सामने आ गया। इस कहानी ने जहां लोगों को रोमांचित किया, वहीं एक गहरी शिक्षा भी दी है।
दरअसल, गाजियाबाद के हिन्दी भवन में शनिवार की शाम रहस्य और रोमांच से भरपूर ‘सच कहें तो’ नाटक का मंचन हुआ। इसमें कानपुर रंगमंडल के कलाकारों ने अपने अभिनय से इस नाटक को जीवंत बना दिया। नाटक की मूल कहानी इस विचार पर केंद्रित थी कि गुनाहगार भले ही अदालत से बच निकले, लेकिन प्रकृति या कुदरत के न्याय से वह नहीं बच सकता। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में दर्शक मौजूद रहे। जिन्होंने पूरी प्रस्तुति के दौरान तालियों की गड़गड़ाहट से कलाकारों का उत्साह बढ़ाया।
नाटक की कहानी धनवान अविवाहित युवती शिरीन वाडिया और बेरोजगार शादीशुदा युवक नितिन सावरकर के इर्द-गिर्द घूमती है। शिरीन अपनी एक सहयोगी के साथ अपने आलीशान घर में रहती है, जबकि नितिन गरीबी और बेरोजगारी के चलते एक छोटे से मकान में पत्नी के साथ रहता है। एक दिन शिरीन कहीं जा रही होती है तो रास्तें में उसके साथ हादसा होता है, उस समय नितिन उसके लिए मसीहा बनकर आता है और उसकी जान बचाता है। इसके बाद नितिन और शिरीन की एक सिनेमाघर में फिर मुलाकात होती है।
सिनेमाघर में शिरीन नितिन को अपने घर आने का निमंत्रण देती है। इसके बाद नितिन और शिरीन की मुलाकातों का सिलसिला शुरू होता है और दोनों में नजदीकियां बढ़ने लगती हैं, जो शिरीन की सहयोगी सरस्वती को पसंद नहीं आता है। इसी बीच यह कहानी मोड़ लेती है और एक दिन रहस्यमयी हालत में शिरीन की उसके ही घर में मौत हो जाती है। शिरीन की बाई सरस्वती नितिन पर हत्या का आरोप लगा देती है। इसके बाद मामला अदालत में पहुंचता है।
HT की रिपोर्ट के अनुसार, अदालत में मुकदमे की सुनवाई शुरू होती है, जहां सरकारी वकील परांजपे गवाही और सबूतों के आधार पर नितिन को दोषी ठहराने की कोशिश करते हैं। नितिन की पत्नी आयशा भी उसके खिलाफ बयान देती है। अदालत में चल रही जिरह और तर्क-वितर्क ने दर्शकों को सीट से बांधे रखा। इसी बीच कुदरत अपना न्याय करती है और घटनाक्रम की पूरी सच्चाई सामने आ जाती है। यह नाटक उदय नारकर के प्रसिद्ध मराठी नाटक “खरं सांगायचं तर” का हिंदी रूपांतरण था। जिसे डॉ. वसुधा सहस्त्रबुद्धे ने संचाालित किया, जबकि निर्देशन की जिम्मेदारी डॉ. ओमेंद्र कुमार ने निभाई।
Published on:
14 Sept 2025 12:40 pm
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