12 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

कंपनी के नाम पर गोरखधंधे का पर्दाफाश, 24 साल की लड़की सरगना, तरीका देख हैरान रह गई पुलिस

OTT Subscriptions Fraud: दिल्ली से सटे नोएडा में साइबर पुलिस ने एक ऐसे गैंग का पर्दाफाश किया है, जिसकी सरगना एक 24 साल की लड़की है, जो अपने बॉयफ्रेंड के साथ मिलकर आलीशान ‌बिल्डिंग में गोरखधंधा करती थी।

4 min read
Google source verification
Noida OTT subscriptions fraud Six accused arrested including Girl

नोएडा में फर्जी कॉल सेंटर में गोरखधंधा करते पकड़ी गई 24 साल की लड़की।

OTT Subscriptions Fraud: दिल्ली से सटे नोएडा की फेज-1 थाना पुलिस ने एक शातिर गैंग का पर्दाफाश किया है। इसमें सबसे हैरान करने वाली ये है कि इस गैंग की सरगना एक 24 साल की बीए पास लड़की है। जिसकी पहचान तनिष्का के रूप में हुई है। तनिष्का अपने बॉयफ्रेंड के साथ मिलकर एक आलीशान बिल्डिंग में गोरखधंधा चला रही थी। पुलिस ने केंद्रीय विहार निवासी तनिष्का के साथ ही छह आरोपियों को मौके से ही गिरफ्तार कर लिया। इनमें तनिष्का का बॉयफ्रेंड 28 साल का वृंदावन निवासी अनिल बघेल, 32 साल का मनीष त्रिपाठी, 23 साल का गौरव बघेल, 30 साल का राधा वल्लभ, 20 साल का योगेश बघेल शामिल हैं। इन सबको तनिष्का ने अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंप रखी थीं। वो हम आपको खबर में नीचे बताएंगे। उससे पहले ये जान लीजिए आखिर आलीशान बिल्डिंग में ऑफिस बनाकर आरोपी किस तरह के गोरखधंधे को अंजाम दे रहे थे?

आलीशान ऑफिस और ठगी का मायाजाल देख पुलिस हैरान

नोएडा की फेज-वन थाना पुलिस की मानें तो उन्हें गुप्त सूचना मिली थी कि नोएडा सेक्टर दो में एक संदिग्ध ऑफिस संचालित किया जा रहा है, जहां स्टाफ विदेशी लोगों को निशाना बनाकर लाखों रुपये की ठगी को अंजाम देता है। गुरुवार को फेज-वन थाना पुलिस ने ऑफिस में छापेमारी की तो हकीकत जानकर पुलिसकर्मी भी हैरान रह गए। दरअसल, यह गिरोह ओटीटी प्लेटफॉर्म के सस्ते सब्सक्रिप्‍शन का लालच देकर विदेशों में बैठे भारतीय मूल के लोगों को अपना निशाना बनाता था। पहले उन्हें ओटीटी प्लेटफॉर्म्स जैसे नेटफ्लिक्स, प्राइम वीडियो और अमेजॉन की मेंबरशिप बेची जाती थी। इसके बदले 100 से 300 डॉलर यानी 9000 से 27000 रुपये तक वसूले जाते थे। ज्यादातर लोग एक साल का सब्सक्रिप्‍शन लेते थे, लेकिन यह सब्सक्रिप्‍शन चार महीनों में ही बंद कर दिया जाता था।

बीए पास है गैंग की सरगना तनिष्का

नोएडा साइबर सेल प्रभारी हरवीर सिंह ने बताया कि इस गैंग की सरगना तनिष्का बीए पास है। यह डिग्री उसने कोविड काल में इग्नू से प्राप्त की। तनिष्का ने कई आईटी कंपनियों में जॉब की है, वहीं उसकी मुलाकात अनिल बघेल से हुई। अनिल बघेल तनिष्का का बॉयफ्रेंड है और खुद बीटेक है। दोनों को टेक्निकल कंपनियों में काम करने का अनुभव है। इसी अनुभव का फायदा उठाकर दोनों ने एक WEBBIZ SERVICES LLC नाम की कंपनी खोली, जिसका नोएडा सेक्टर-2 में शानदार ऑफिस बनाया। जिसका करीब डेढ़ लाख रुपये किराया था। इस कंपनी में सिर्फ उन्हीं लोगों की भर्ती की जाती थी, जिन्हें फर्राटेदार अंग्रेजी बोलना आता हो। कॉल सेंटर बताकर अभ्यर्थियों को जॉब ऑफर करने वाली तनिष्का उनसे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स का सब्सक्रिप्‍शन बेचने के नाम पर ठगी करवाती थी। पुलिस को प्राथमिक जांच में 6 अकाउंट्स की जानकारी मिली है। जिसमें लाखों रुपये का ट्रांजेक्‍शन हुआ है। पुलिस ने इन खातों को फ्रीज करवा दिया है।

अवैध कॉल सेंटर की आड़ में हो रही थी महाठगी

नोएडा डीसीपी यमुना प्रसाद ने बताया कि फेज-वन थाना पुलिस और सर्विलांस टीम ने संयुक्त रूप से कार्रवाई की। उन्हें सेक्टर-दो स्थित वेबबिज सर्विस एलएलसी नामक कंपनी में अवैध कॉल सेंटर चलने की सूचना मिली थी। पूछताछ में आरोपियों ने ठगी के पूरे तरीके का खुलासा किया। वे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए विदेशों में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों को भारतीय, पाकिस्तानी और अन्य देशों के ओटीटी प्लेटफॉर्म का सब्सक्रिप्शन कम दामों पर अवैध रूप से उपलब्ध कराते थे। आरोपी अपनी कंपनी के नाम पर बिना किसी लाइसेंस के ओटीटी प्लेटफॉर्म के विभिन्न चैनलों के कंटेंट को रिकॉर्ड करते थे और फिर उसकी कॉपी को प्रसारित करते थे, जिससे उपभोक्ता को लगता था कि उन्हें वैध सब्सक्रिप्शन मिल रहा है।

तनिष्का का शातिर दिमाग देख चकराई पुलिस

डीसीपी ने बताया कि तनिष्का ने पूछताछ में स्‍वीकार किया है कि कुछ समय बाद ही उपभोक्ताओं का सब्सक्रिप्शन अचानक बंद कर दिया जाता था। इसके बाद 'रिनुअल' के नाम पर उपभोक्ताओं से बार-बार 100 डॉलर से 300 डॉलर तक की मांग करते थे। पुलिस को मौके पर पता चला कि आरोपी कंप्यूटर पर एक विशेष सॉफ्टवेयर का उपयोग करके अमेरिका में बैठे लोगों को इंटरनेट कॉल कर रहे थे, ताकि वे पकड़े न जाएं। डीसीपी ने बताया कि आरोपी पहले मूल ओटीटी प्लेटफॉर्म का सब्सक्रिप्शन लेते थे और फिर कैप्चर कार्ड जैसे सॉफ्टवेयर की मदद से एक्सेस लिमिट में सेंधमारी करके फर्जीवाड़ा करते थे। ग्राहकों को झांसे में लेने के लिए लिंक भेजकर दो साल तक के सब्सक्रिप्शन का ऑफर दिया जाता था। ठगी को छिपाने के लिए, वे निर्धारित टेलीकॉलिंग प्रक्रिया का पालन नहीं करते थे और कॉलिंग लाइन आइडेंटिफिकेशन नंबर (CLIN) को बदल देते थे, ताकि ग्राहक को कॉल करने वाले का वास्तविक नंबर दिखाई न दे।

अमेरिकी डॉलर में होती थी वसूली

ठगी की गई रकम को आरोपी अमेरिकी डॉलर में कंपनी के नाम से बने खाते में ट्रांसफर कराते थे। इसके बाद, आरोपी अनिल बघेल अपनी कंपनी के खाते में यह रकम ट्रांसफर करा लेता था। आरोपियों ने बताया कि वे अमेरिकी लोगों से इसलिए ठगी करते थे, ताकि वे भारतीय पुलिस की पकड़ से दूर रहें। खुद को कंपनी का निदेशक बताने वाली तनिष्का ने स्वीकार किया कि वह विदेशी नागरिकों को कॉल करके 12 से 27 महीने के लिए सब्सक्रिप्शन बेचती थी, जिसे अल्प अवधि में ही बंद कर दिया जाता था। पुलिस ने आरोपियों के पास से ठगी में इस्तेमाल किए गए कई उपकरण बरामद किए हैं। इसमें 20 मोबाइल फोन, 5 सीपीयू, 5 कंप्यूटर मॉनिटर, 1 लैपटॉप, 6 कीबोर्ड, 6 माउस, 6 हेडफोन, 1 आईपीटीवी बॉक्स, 2 एयरटेल एक्सट्रीम फाइबर राउटर और 3 मोहर बरामद की गई है।

सबकी अलग-अलग जिम्मेदारी

डीसीपी ने बताया कि पकड़े गए सभी आरोपियों का सामान्य बैकग्राउंड है, लेकिन अंग्रेजी में सभी दक्ष हैं। इसमें तनिष्का का बॉयफ्रेंड अनिल बघेल टेक्निकल हैकर का काम करता था। उसके पास आईपीटीवी बॉक्स सेटअप, लाइव चैनल कैप्चर करना और सर्वर बदलकर OTT को अनलॉक करने की जिम्मेदारी थी। इसके अलावा मनीष त्रिपाठी डेटा मैनेजर का रोल निभाता था। इसके तहत वह विदेशों में बैठे भारतीय लोगों का डेटा जुटाता और सब्सक्रिप्‍शन हिस्ट्री बनाता था। इसके साथ वह वह पेमेंट ट्रेल छिपाने का काम भी करता था। गौरव बघेल ऑपरेशन्स टीम की जिम्मेदारी संभाल रहा था। राधा वल्लभ सॉफ्टवेयर ऑपरेटर बनकर कस्टम पैनल बनाने और फर्जी ओटीटी एप चलाने का काम करता था। इसके अलावा योगेश बघेल नए ग्राहकों को अपने जाल में फंसाता था। इसके लिए वह फेसबुक, इंस्टाग्राम और टेलीग्राम पर विज्ञापन चलाता था। तनिष्का पूरे गैंग की सरगना थी और पैसों का पूरा जिम्मा संभालती थी।