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Nrega Workers Protest: नरेगा कार्यकर्ताओं ने किया जंतर मंतर पर प्रदर्शन, बजट आवंटन घटने समेत कई मांगों को उठाया

देश भर के सैकड़ों नरेगा कार्यकर्ताओं ने दिल्ली के जंतर मंतर पर अपनी कई मांगों के लिए तीन दिवसीय धरना प्रदर्शन शुरू किया है। नरेगा संघर्ष समिति के नेतृत्व में मंगलवार से देश के 15 से ज्यादा राज्यों के सैकड़ों कार्यकर्ता जंतर मंतर में पहुंचे। बुधवार को भी कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन जारी रहा। सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने जंतर मंतर में अपनी मांगों को उठाया। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा), 2005 के अंतर्गत काम कर रहे कार्यकर्ताओं की मांग है कि उनके बजट के आंवटन को बेहतर किया जाए।

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नरेगा कार्यकर्ताओं ने कहा है कि सरकार की तरफ से लगातार बजटीय आवंटन घट रहा है। साथ ही महिनों से नरेगा कार्यकर्ताओं के वेतना का भुगतान भी नहीं हुआ है। वेतन भुगतान लंबित है। मुआवजे का भुगतान भी नहीं हो रहा है, देश में बहुत कम मजदूर दर है। इन सब गतिविधियों से नरेगा के क्रियान्वयन प्रभावित हो रहा है। सरकार से कई कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि उनका वेतन सातवें वित्तीय आयोग के तहत सबसे सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाले वेतन के बराबर किया जाए।

कार्यकर्ताओं ने कहा कि नरेगा के जरिए देश भर के श्रमिकों को कानूनी रूप से काम करने का अधिकार मिलता है। यह देश का श्रम कानून है जो श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा देता है। कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार मौजूदा स्थिति में श्रमिकों पर ध्यान नहीं दे रही है। एनएमएमएस एप्लीकेशन के जरिए श्रमिकों को अपनी हाजिरी लगाने में भी दिक्कतें आ रही हैं।
प्रदर्शन करते हुए कई कार्यकर्ताओं ने अपना विरोध जताते हुए गीत भी गाए और साथ ही नरेगा के कुछ उत्साह करने वाले नारे भी लगाए। कार्यकर्ताओं ने नारे लगाते हुए कहा कि ...हर हाथ को काम दो, काम का पूरा दाम दो, लड़ेंगे, जीतेंगे!, "हम अपना अधिकार मांगते, नहीं किसी से भीख मांगते"।

पश्चिम बंगाल के मजदूरों का बकाया है 2600 करोड़ रुपये

पश्चिम बंगाल खेत मजदूर समिति की अनुराधा तलवार ने मांग करते हुए कहा कि नरेगा के मजदूरों का वेतन प्रति दिन 600 रुपये तक बढ़ाया जाए। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि सातवें वेतन आयोग के तहत सबसे कम वेतन पाने वाले सरकारी कर्मचारियों के बराबर सरकार मजदूरों के वेतन को स्थापित करे। उन्होंने पश्चिम बंगाल राज्य की स्थिति के बारे में बताया कि देश के सबसे खराब वेतन दर से राज्य ग्रस्त है। पिछले दो वित्तीय वर्ष में नरेगा के मजदूरों को 2600 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना बाकी है। दिसंबर 2021 से कोई भुगतान नहीं किया गया है।

कई राज्यों के श्रमिकों के भुगतान में देरी, नहीं मिल रहा बेरोजगारी भत्ता

पश्चिम बंगाल, तेलंगाना बिहार और यूपी के सभी श्रमिकों ने भुगतान में देरी और मांग पूरी न होने के मुद्दों को उठाया। कई कार्यकर्ताओं ने कहा कि वह अप्रैल से काम की मांग कर रहे हैं, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। कार्यकर्ताओं ने कहा कि उन्हें वह बेरोजगारी भत्ता भी नहीं मिला है जो उन्हें कानूनी रूप से मिलना चाहिए था। कार्यकर्ताओं ने यह भी कहा कि उपस्थिति दर्ज करने के लिए हाल ही में शुरू किया गया एनएमएमएस एप्लीकेशन देश भर के श्रमिकों को बहुत परेशान कर रहा है।

सांसदों ने दिया नरेगा कार्यकर्ताओं को सहयोग

धरना प्रदर्शन में कई सांसद व राजनीतिक नेता भी पहुंचे और मजदूरों के प्रति अपनी एकजुटता व्यक्त की। केरल के सीपीआई सांसद बिनॉय विश्वम ने 'जल, जंगल, ज़मीन' मुद्दे पर अपना समर्थन व्यक्त किया और केंद्र सरकार से कहा कि वह मजदूरों को जवाब दें। हावड़ा, कोलकाता से 8 बार सीपीआईएम सांसद और अखिल भारतीय किसान सभा के वरिष्ठ नेता हन्नान मोलाह ने किसानों और नरेगा मजदूरों के आम मुद्दों के बारे में बात की। उन्होंने सरकार को किसान विरोधी, मजदूर विरोधी बताया और आंदोलनों की एकता का आह्वान किया। स्वराज्य इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए और इस मुद्दे के प्रति अपनी एकजुटता व्यक्त की। एनएफआईडब्ल्यू की एनी राजा भी मौजूद थीं। एमकेएसएस के निखिल डे और शंकर सिंह भी प्रदर्शन में मौजूद हुए। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि सरकार नरेगा कार्यकर्ताओं व मजदूरों के प्रति जवाबदेही बने। बुधवार को भी कई लोग नरेगा कार्यकर्ताओं का सहयोग देने के लिए प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे।