
विपक्षी एकता में दिखी दरार, राहुल गांधी के धरना प्रदर्शन में पहुंचने से पहले खिसके केजरीवाल
नई दिल्ली। महान शायर बशीर बद्र की एक शायरी है 'मिल भी जाते हैं तो कतरा के निकल जाते हैं, हाये मौसम की तरह दोस्त बदल जाते हैं।’ लगता है यह शायर राजनीतिक लोगों के लिए सटकी बैठता है। शनिवार को मुजफ्फरपुर कांड को लेकर विपक्ष के सभी नेता एक बार फिर से एक मंच पर दिखाई दिए, लेकिन फिर भी विपक्षी एकता पर सवाल खड़े हो गए। इस मंच पर कांग्रेस की खिलाफत कर सत्ता में पंहुचे अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस नेताओं के बीच दूरियां साफ-साफ स्पष्ट दिखाई दीं। दरअसल कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के मंच पर पहुंचने से पहले ही दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल वहां से खिसक गए। इससे यह स्पष्ट होता है कि विपक्षी दलों के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।
मुजफ्फरपुर कांड को लेकर किया जा रहा था धरना-प्रदर्शन
आपको बता दें कि शनिवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव ने मुजफ्फरपुर कांड को लेकर जनंतर-मंतर पर विशाल धरना प्रदर्शन का आयोजित किया था और इसमें शामिल होने के लिए सभी विपक्षी दलों को आमंत्रित भी किया गया था। इस धरना-प्रदर्शन में शामिल होने के लिए सीएम केजरीवाल सबसे पहले पहुंचे लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि जब इस धरने में शामिल होने के लिए राहुल गांधी पहुंचने वाले थे कि उससे पहले केजरीवाल वहां से निकल गए। बता दें कि केजरीवाल को यह बात मालूम थी कि राहुल गांधी भी इस धरना में शामिल होंगे लेकिन उन्होंने उनका इंतजार नहीं किया।
राहुल नहीं मिलना चाहते थे केजरीवाल से…
आपको बता दें कि इस प्रकरण के बाद यह कहा जा रहा है कि राहुल गांधी मंच पर देर से जान बुझकर पहुंचे। दरअसल राहुल गांधी केजरीवाल से मिलना नहीं चाहते थे। क्योंकि केजरीवाल ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार के खिलाफ तीखे प्रहार किए थे। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर इसी जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन किया था। बता दें कि कांग्रेस को दिल्ली समेत पूरे देश में धरातल पर लाने में केजरीवाल की ओर से किए गए धरना-प्रदर्शन ने एक अहम भूमिका निभाई है। बता दें कि इस बार भी जब केजरीवाल भाषण दे रहे थे तो मुजफ्फरपुर कांड को लेकर नीतीश सरकार और निर्भया कांड को लेकर केंद्र सरकार को घेरा। उन्होंने याद दिलाया कि निर्भया कांड ने यूपीए सरकार को हिलाकर रख दिया था। इस कारण यूपीए की सरकार चली गई।
इससे पहले कर्नाटक चुनाव में दिखी थी विपक्षी एकता
आपको बता दें कि इससे पहले कर्नाटक चुनाव के बाद कुमारस्वामी के शपथग्रहण समारोह में विपक्ष की एकता दिखी थी। तकरीबन सभी विपक्षी दलों के प्रमुथ नेताओं ने कुमारस्वामी के शपथग्रहण समारोह में शामिल होकर विपक्षी एकता को दिखाया था और मोदी सरकार के लिए एक चुनौति पेश की थी। इसे लेकर आम चुनाव के साथ-साथ दिल्ली विधानसभा के चुनाव अगले वर्ष होने वाले हैं और इसको लेकर विपक्ष एकजुट होना चाह रहा है। लेकिन अपने-अपने महत्वकांक्षा के लिए कुछ दल एक-दूसरे के साथ दिखना नहीं चाहते हैं। संभवतः दिल्ली में लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर आप और कांग्रेस में खींचातानी हो इससे पहले ही दोनों दल एक-दूसरे से किनारा करना शुरू कर दिए हैं। हालांकि कुछ महीने पहले दिल्ली में आप और कांग्रेस के गठबंधन को लेकर चर्चाएं जोरों पर थी लेकिन दिल्ली कांग्रेस इकाई ने इसे खारिज कर दिया।
Published on:
05 Aug 2018 06:17 pm
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