
Patrika Interview: प्राइवेट स्कूलों की फीस पर क्या बोले केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल
शिक्षा मंत्री ने कहा,
- फीस पर सहानुभूति से पेश आएं प्राइवेट स्कूल
- फिलहाल ऑनलाइन ही रहेगा पढ़ाई का पसंदीदा तरीका
- सस्ते टैबलेट आदि उपलब्ध करवा कर दूर करेंगे डिजिटल डिवाइड
प्रश्न- ऑनलाइन पढ़ाई में प्राइवेट स्कूलों के खर्च काफी कम हुए। उधर, बहुत से अभिभावकों की आय बुरी तरह प्रभावित हुई है। लेकिन स्कूल कोई रियायत नहीं दे रहे। फीस की टीस कम करने सरकार हस्तक्षेप नहीं कर सकती?
देश भर से कई अभिभावकों की ओर से मेरी जानकारी में यह लाया गया है कि संकट के इस काल में भी कई स्कूल अपनी वार्षिक फीस बढ़ा रहे हैं। बहुत से स्कूल तीन महीने की फीस एक साथ जमा कराने के लिए कह रहे हैं।
मैं सभी स्कूलों से अनुरोध करता हूं कि वे कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में सहयोग करें और इस महामारी के बीच अभिभावकों के साथ सहानुभूति रखें और अपने फैसले पर फिर से विचार करें। मैंने अप्रैल में भी फीस नहीं बढ़ाने की अपील की थी।
प्रश्न- ‘पत्रिका’ के बहुत से पाठकों की शिकायत है कि निर्देशों का खुला उल्लंघन कर प्राइवेट स्कूल छात्रों के नाम काटने की धमकी दे रहे हैं। क्या कदम उठाए गए हैं?
शिक्षा समवर्ती यानी केंद्र और राज्य दोनों का विषय है। राज्य सरकारें भी महामारी के दौरान छात्रों के शिक्षा के अधिकार की रक्षा के लिए कई कदम उठा रही हैं। उदाहरण के लिए, राजस्थान हाई कोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे छात्रों को ट्यूशन फीस का 70 प्रतिशत जमा कर पढ़ाई ऑनलाइन जारी रखने की अनुमति दें। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने आदेश दिये हैं कि शुल्क का भुगतान न करने वाले छात्रों के नाम पंजाब के निजी स्कूलों के रोल से नहीं हटेंगे। दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने भी आदेश दिये हैं कि “स्कूल से किसी का नाम नहीं कटेगा”।
प्रश्न- प्रतियोगिता परिक्षाओं को ले कर छात्रों को कई परेशानियां आईं। क्या स्थानीय स्तर पर दिशा-निर्देशों का पालन नहीं हो पाया?
छात्रों का स्वास्थ्य और उनकी सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। इसीलिए परीक्षा आयोजित करने वाली प्रत्येक संस्था ने कई उपाय किए हैं।
मैं आपको नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की ओर से जेईई और एनईईटी जैसी परीक्षाएं करने के लिये किये गये उपायों के बारे में बताता हूं। कोई भी फैसला लेने से पहले परीक्षा में शामिल प्रत्येक हितधारी को निर्णय में शामिल किया गया। चिकित्सा विशेषज्ञों की उच्च-स्तरीय समिति की सिफारिशों के आधार पर स्टेंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिज़र बनाया गया। छात्रों की आवाजाही की सुविधा के लिए राज्य सरकारों को भी लिखा गया।
प्रश्न- नए दिशा-निर्देश के बावजूद कम ही राज्यों में स्कूल खुल रहे हैं? क्या जो चाहें, उनको स्कूल जाने का विकल्प उपलब्ध होना चाहिए?
गृह मंत्रालय से जारी दिशा-निर्देशों में राज्य सरकारों को 15 अक्टूबर के बाद स्कूलों और कोचिंग संस्थानों को क्रमिक रूप से खोलने का फैसला लेने की छूट दी गई है। वे स्थिति का आकलन कर और स्कूल प्रबंधन से परामर्श कर फैसला ले सकते हैं। लेकिन फिलहाल ऑनलाइन या डिस्टेंस लर्निंग ही पढ़ाई का पसंदीदा तरीका बना रहेगा और इसे प्रोत्साहित किया जाएगा।
प्रश्न- कोरोना के बाद से बुरी तरह प्रभावित शिक्षा व्यवस्था कब तक यह सामान्य हो पाएगी?
कोरोना ने तो पढ़ाई को बहुत प्रभावित किया है। लेकिन मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हमने इस दौरान वेब पोर्टल और मोबाइल एप्लिकेशन से ही नहीं बल्कि टीवी चैनल और रेडियो जैसे विविध तरीकों से भी हमारे बच्चों तक पहुंचने के लिए काम किया है। इसका बहुत असर भी दिखा है।
इसके साथ-साथ ही कई पहल की गई, जैसे वैकल्पिक शैक्षणिक कैलेंडर, प्रज्ञाता दिशा-निर्देश, शिक्षकों के लिए कार्यक्रम और लर्निंग एन्हांसमेंट दिशा-निर्देश आदि। इन सबके जरिए कोशिश है कि स्कूली शिक्षा में निरंतरता को बनाए रखा जा सके।
प्रश्न- गरीब छात्रों की पढ़ाई के साथ ही मिड डे मील भी प्रभावित रहा है। क्या किया जा रहा है?
पोषण की कमी से कोरोना का खतरा भी बढ़ता है। विशेष रूप से गरीब और जरूरतमंद बच्चों की पोषण आवश्यकताओं को पूरा करना और भी जरूरी हो गया है।
बच्चों को दोपहर का भोजन या इसके बराबर भत्ता देने को कहा गया है। इसमें खाना और खाना पकाने की लागत शामिल है। इसके लिए बजट 7300 करोड़ रुपयों से बढ़ा कर 8,100 करोड़ रुपये किया गया है। यह 10.99 प्रतिशत की बढ़ोतरी है।
प्रश्न- अधिकांश छात्रों को आज भी मोबाइल या कंप्यूटर और इंटरनेट कनेक्शन नहीं है। ऐसे छात्रों की पढ़ाई प्रभावित नहीं हो, इसके लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
डिजिटल डिवाइड से निपटने के लिए बहु-मॉडल पहुंच वाली प्रधानमंत्री-विद्या जैसी पहल शुरू की गई है। वैकल्पिक शैक्षणिक कैलेंडर जारी किया गया है। डिजिटल शिक्षा के लिए प्रज्ञाता दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। नई परिस्थितियों में स्कूल क्या करें और क्या नहीं करें।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति भीमानती है कि ऑनलाइन शिक्षा का लाभ तभी मिलेगा जब डिजिटल डिवाइड दूर हो। हम डिजिटल इंडिया अभियान के जरिए और सस्ते कंप्यूटिंग उपकरणों को उपलब्ध करवा कर इसे दूर करेंगे। टैबलेट जैसे उपयुक्त उपकरणों की छात्रों तक पर्याप्त पहुंच प्रदान करने की संभावना पर विचार किया जाएगा और उन्हें विकसित किया जाएगा।
प्रश्न- अमेरिका में सरकार के पास इतना बड़ा बजट होने के बावजूद युवाओं को सस्ती उच्च शिक्षा उपलब्ध नहीं, क्या हम भी उसी रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं?
हमारी कोशिश तो अच्छी शिक्षा को सबकी पहुंच में लाने की हो रही है। नई शिक्षा नीति की सिफारिश है कि केंद्र और राज्य शिक्षा क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश को जल्द से जल्द जीडीपी के 6% तक बढ़ाने के लिए मिलकर काम करें।
सीखने के संसाधन सभी की पहुंच में हों, पर्याप्त संख्या में शिक्षक और कर्मचारी हों इन सब के लिए विशेष रूप से धन उपलब्ध करवाया जाएगा। सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूहों को भी वैसी ही उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा मिले यह सुनिश्चित किया जाएगा।
प्रश्न- नई शिक्षा नीति की घोषणा तो हुई, लागू करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे? क्या समयबद्ध कार्ययोजना है?
नई शिक्षा नीति की प्रत्येक सिफ़ारिश को लागू करने के लिए किस एजेंसी को कितने समय में क्या करना है और उनके क्या परिणाम आने हैं इनका पूरा खाका तैयार है। मुख्य फोकस है कि इन्हें केंद्र और राज्य मिल कर लागू करें और निगरानी भी संयुक्त रूप से हो। 297 काम की लिस्ट भी राज्यों के साथ साझा की गई है। उनकी प्रतिक्रिया मांगी गई है।
Published on:
30 Nov 2020 03:47 pm
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