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नई दिल्ली

Rajiv Gandhi Birth Anniversary: इंदिरा गांधी से कितनी अलग थी राजीव की राजनीति, मां की मर्जी के खिलाफ लिए थे कई फैसले

Rajiv Gandhi Birth Anniversary पर हम आपको बताएंगे कि राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) की राजनीति अपनी मां इंदिरा गांधी (Indira gandhi) से कितनी अलग थी। यही नहीं राजीव ने कई ऐसे फैसले भी लिए जो इंदिरा गांधी को कभी स्वीकार नहीं थे।

नई दिल्लीAug 20, 2021 / 10:21 am

Nitin Singh

Rajiv Gandhi Birth Anniversary

Rajiv Gandhi Birth Anniversary

नई दिल्ली। Rajiv Gandhi Birth Anniversary 2021. आज देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) की 77वीं जयंती है। एक ऐसा नेता जिसने प्रधानमंत्री बनने के बाद अपनी मां और कांग्रेस की दिग्गज नेता इंदिरा गांधी की तानाशाही वाली छवि से अलग, एक आम आदमी के नेता की छवि गढ़ने की कोशिश की। बता दें कि आपातकाल जैसे फैसले के बाद लोगों के बीच इंदिरा गांधी की छवि एक तानाशाही नेता की बन गई थी, वहीं राजीव यात्राएं करते थे जिससे वे लोगों से सीधे मुखातिब हो सकें। वे इंटेलीजेंस से जान को खतरे के संकेत को नजरंदाज कर आम आदमी से सीधे मिलते थे।
आज हम आपको कुछ ऐसी घटनाओं के बारे में बताएंगे, जो जाहिर करती हैं कि इंदिरा और राजीव की राजनीति कितनी अगल थी। वहीं कई बार तो राजीव गांधी ने अपनी मां इंदिरा गांधी की बात भी नहीं मानीं और उनकी नसीहत को न मानते हुए कई ऐसे फैसले लिए, जो इंदिरा गांधी को कभी स्वीकार नहीं थे।
राजीव में नहीं मानी मां की बात

भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया जो कुछ महीनों पहले कांग्रेस का बड़ा चेहरा थे। उनके भाजपा में शामिल होने और नागरिक उड्डयन मंत्री बनने पर लोग उनके पिता माधवराज सिंधिया को याद कर रहे थे। बता दें कि माधवराव सिंधिया भी वर्ष 1991 में पीवी नरसिम्हा राव कैबिनेट में नागरिक उड्डयन मंत्री बने थे। वहीं इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने भी माधवराव सिंधिया को अपने मंत्रिमंडल में जगह दी थी, लेकिन शायद कम ही लोगों जानते हैं कि राजीव की मां इंदिरा गांधी ने उन्हें कभी माधवराज सिंधिया को मंत्री न बनाने की नसीहत दी थी।
राशिद किदवई की किताब में है जिक्र
पत्रकार राशिद किदवई ने अपनी किताब 24 अकबर रोड़ में इस वाकये के बारे में बताया है। किदवई ने दिवंगत कांग्रेस नेता और गांधी परिवार के बेहद करीबी रहे माखनलाल फोतेदार के हवाले से यह खुलासा किया है। इसके अनुसार 31 अक्टूबर, 1984 को अपनी हत्या से कुछ दिन पहले इंदिरा ने एक दिन अचानक बेटे राजीव गांधी और अरुण नेहरू को बुलाया।
इंदिरा गांधी ने राजीव को दी थी ये नसीहत

इंदिरा गांधी ने बातचीत के दौरान राजीव से कहा कि तुम यदि कभी प्रधानमंत्री बनो तो माधवराव सिंधिया को अपनी कैबिनेट में मंत्री मत बनाना। इसके अलावा फोतेदार ने भी अपनी आत्मकथा में इस संबंध में जिक्र किया है, लेकिन उन्होंने इसके पक्ष में कोई सबूत नहीं दिए हैं। वहीं इस बारे में भी कोई जानकारी नहीं है कि इंदिरा ने राजीव को यह सलाह क्यों दी थी।
माधवराज ने देश को शताब्दी एक्सप्रेस

हालांकि राजीव गांधी ने माधवराज सिंधिया को रेल मंत्रालय जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी। यहीं से माधवराव की पूरे देश में लोकप्रियता बढ़ने लगी। उन्होंने शताब्दी एक्सप्रेस जैसी तेज रफ्तार ट्रेनें और कंप्यूटराइज्ड टिकट प्रणाली की शुरुआत कर मध्य वर्ग को अपना मुरीद बना लिया।
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मां की इच्छा के खिलाफ लिए कई फैसले

यह कोई पहला ऐसा फैसला नहीं था, जिसे राजीव गांधी ने अपनी मां की नसीहत को न मानते हुए लिया हो। बता दें कि राजीव ने अपने कार्यकाल में कई ऐसे फैसले लिए जो इंदिरा को कतई स्वीकार नहीं थे। एक दफा इंदिरा ने राजीव को कहा था कि बॉलीवुड के अभिनेता अमिताभ बच्चन को अपने साथ कांग्रेस पार्टी में कभी मत लाना। वहीं इंदिरा गांधी की हत्या के बाद अमिताभ बच्चन को भी चुनावी मैदान में उतारा था।
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फोतेदार ने अपनी आत्मकथा में इस वाकये का भी जिक्र किया है। उन्होंने बताया कि इंदिरा की हत्या के बाद लोकसभा चुनाव में राजीव गांधी के कहने पर अमिताभ बच्चन न केवल चुनावी दंगल में कूदे, बल्कि इलाहाबाद में हेमवती नंदन बहुगुणा जैसे दिग्गज को पटखनी देकर संसद तक भी पहुंचे।

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