Childhood Education: एंट्री स्तर पर 3 से 6 वर्ष के बच्चों की शिक्षा पर GDP का 1.2 से 2.2 पर्सेंट हो खर्च, एनजीओ सेव द चिल्ड्रन ने रिपोर्ट जारी की
नई दिल्लीPublished: Sep 20, 2022 10:11:35 pm
भारत में तीन से छह साल की उम्र के बच्चों की एंट्री लेवल पर मिलने वाली शिक्षा पर देश की GDP का सिर्फ 0.1 परसेंट ही खर्च किया जाता है। सेव द चिल्ड्रन एनजीओ ने मंगलवार को अपनी रिपोर्ट जारी करते हुए इन आंकड़ों के बारे में जानकारी देते हुए दावा किया। एनजीओ के अनुसार इन छोटे उम्र के बच्चों के लिए देश भर में केंद्र व राज्य सरकारों को कदम उठाने चाहिए। एनजीओ की एजुकेशन हेड कमल गौड़ ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि इन बच्चों के लिए देश के जीडीपी का 1.2 से 2.2 पर्सेंट तक खर्च किया जाना चाहिए।


सेद द चिल्ड्रन एनजीओ ने मंगलवार को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर एनेक्स में अर्ली चाइल्डहुड एजुकेशन (ECE) की भारत की स्थिति पर रिपोर्ट जारी की।
सेद द चिल्ड्रन एनजीओ ने मंगलवार को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर एनेक्स में कार्यक्रम का आयोजन किया। जिसमें अर्ली चाइल्डहुड एजुकेशन (ECE) की भारत की स्थिति पर रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि देश में तीन से छह साल की उम्र के बच्चों की प्राथमिक शिक्षा पर देश के जीडीपी का 1.2 से 2.2 पर्सेंट तक खर्च किया जाना चाहिए। एनजीओ ने कई मॉडल टाइप को भी साझा किया। इसमें दो परिदृश्यों पर दो टाइप के मॉडल को प्रस्तुत किया गया। पहले परिदृश्य के तहत ECE में 3 से 6 साल की उम्र के देश के सभी बच्चों को देश की जीडीपी के कुल फीसद लागत को खर्च करने का विश्लेषण करते हुए मॉडल पेश किया। इस मॉडल में बताया गया कि प्री स्कूलों और डे केयर सेंटर में 1.6 से 2.5 परसेंट देश की जीडीपी का खर्च किया जा सकता है। वहीं, आंगनबाड़ी केंद्रों में 1.5 से 2 पर्सेंट तक देश के जीडीपी का खर्च किया जा सकता है। वहीं, प्राइमरी स्कूलों में प्री प्राइमरी सेक्शन में 2.1 से 2.2 पर्सेंट तक देश की कुल जीडीपी का खर्च किया जा सकता है।