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शिवराज सिंह चौहान, जिनकी लोकप्रियता नहीं है पद की मोहताज

- मध्य प्रदेश के माथे से मिटा चुके बीमारू राज्य का कलंक, अब देश के खेत-खलिहानों में खुशहाली लाने का मिला जिम्मा - एमपी में सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड बना चुके शिवराज को कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री के रूप में मिला है कांटो का ताज, राह में हैं कई चुनौतियां

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नवनीत मिश्र

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में सबसे अधिक 4 बार मुख्यमंत्री रहने का रेकॉर्ड बना चुके शिवराज सिंह चौहान ने देश के कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री के रूप में नई पारी शुरू की है। देश की 68 प्रतिशत से अधिक गांवों में रहने वाली और खेती-किसानी पर निर्भर जनता की किस्मत संवारने की यह बड़ी जिम्मेदारी है। शिवराज ऐसे नेता हैं, जिनकी लोकप्रियता पद की मोहताज नहीं रही। पिछले साल शानदार नतीजों के बाद भी जब वे मुख्यमंत्री नहीं बने तो उनकी "लाडली बहना" रोतीं नजर आईँ तो जब 2024 का परंपरागत विदिशा से 6 ठीं बार लोकसभा चुनाव लड़े तो 8 लाख से भी अधिक रेकॉर्ड वोटों से विजय हासिल कर अपनी लोकप्रियता कायम रहने का संदेश दिया। शिवराज, पुरानी पीढ़ी के उन नेताओं में है, जो जनता के बीच सदैव बने रहते हैं और विनम्र भी रहते हैं। पांव-पांव वाले भैया से लेकर मामा के रूप में उनकी पहचान उनके सहज व्यक्तित्व का परिचायक है। किसान आंदोलन की तपिश झेल चुके कृषि मंत्रालय के रूप में उन्हें कांटो का ताज मिला है।

खेत-खलिहानों में बहार लाने वाला एमपी मॉडल

कभी मध्य प्रदेश को दूसरे राज्यों से अन्न मंगाना पड़ता था। सिंचाई सुविधाओं का अभाव था और पर्याप्त उपजाऊ खेत भी नहीं थे। लेकिन, मुख्यमंत्री बनने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने कृषि क्रांति लाकर राज्य की तकदीर बदल दी। राज्य को अन्न उत्पादन में न केवल आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि सरकारी एजेंसियों को सप्लाई का रिकॉर्ड भी बनाया। एमपी आज राष्ट्रीय औसत से भी तेज गति से खेती-किसानी में आगे बढ़ रहा है। मिसाल के तौर पर 2013-14 से 2022-23 के बीच मध्य प्रदेश के कृषि क्षेत्र में औसत वार्षिक वृद्धि 6.1 प्रतिशत दर्ज की गई। यह 10 वर्षों के राष्ट्रीय औसत 3.9 प्रतिशत से कहीं अधिक है। जिस मध्य प्रदेश में कभी गेहूं की अधिकतम खरीद 50 हजार टन हो पाती थी, वहां यह बढ़कर लगभग 48 लाख टन हो गई। गेहूं उत्पादन में एमपी ने पंजाब को पीछे छोड़ देश में यूपी के बाद दूसरा स्थान हासिल कर लिया।

यह चमत्कार ऐसे नहीं हुआ। पहले शिवराज ने बंजर पड़ी जमीनों को उपजाऊ बनाने का अभियान चलाया। उर्वरता बढ़ाई। नतीजा निकला कि वर्ष 2004-05 और 2021-22 के बीच मध्य प्रदेश की कुल कृषि भूमि 149.75 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 158.23 लाख हेक्टेयर हो गई। फसलों के लिए सिंचाई सुविधाओं का भी उन्होंने विस्तार किया। नहरों का जाल बिछाया। वहीं पंप कनेक्शन भी खूब दिए। वर्ष 2010-11 तक जहां 13 लाख किसानों के पास कनेक्शन थे, जो 10 वर्षों में बढ़कर 32.5 लाख हो गए। जिससे सिंचित क्षेत्र का रकबा दोगुना हो गया है।

चर्चा में रहा अंत्योदय मेला

मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री रहते हुए शिवराज सिंह चौहान ने आम आदमी को खास होने का अहसास दिलाने के लिए अंत्योदय मेले की पहल की। मकसद रहा कि आम आदमी को सरकार की सेवाओं और योजनाओं के लाभों के लिए किसी के चक्कर नहीं काटने पड़े। शुरुआती कार्यकाल में ऐसे मेले लाभार्थियों के बीच काफी हिट रहे।

चुनावी राजनीति का सफरनामा

मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के जैत गांव में 5 मार्च 1959 को जन्मे शिवराज सिंह चौहान के सार्वजनिक जीवन की शुरुआत संघ और एबीवीपी से हुई और 1990 में पहली बार बुधनी से विधायक बने। इसके बाद 1991 से लगातार 2004 तक पांच बार सांसद बने। 29 नवंबर 2005 को पहली बार एमपी के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखे। इस बार 2024 में विदिशा से छठीं बार जीते। शिवराज सर्वाधिक 4 बार मुख्यमंत्री रहने वाले एमपी के इकलौते नेता हैं। वे 3-3 बार सीएम रहे अर्जुन सिंह और श्यामाचरण शुक्ल का रिकॉर्ड तोड़ चुके हैं। शिवराज का खेती-किसानी से पुराना संबंध रहा है। अटल सरकार के दौरान 1999-2000 में कृषि मंत्रालय की समिति के सलाहकार सदस्य भी रह चुके हैं। भोपाल के बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में स्वर्ण पदक के साथ मास्टर्स की शिक्षा हासिल करने वाले शिवराज संगीत और आध्यात्मिक साहित्य में गहरी रुचि रखते हैं। भजन जब गाते हैं तो वीडियो वायरल हो जाते हैं।

चुनौतियां

  • किसानों की एमएसपी की मांग पूरी करना
  • किसानों की आय दोगुनी करना
  • कृषि में विविधता लाकर किसानों की स्थिति में सुधार
  • दलहन और तिलहन का आयात रोकना
  • गांवों का ग्रोथ मॉडल बनाना