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एआई से तैयार जवाब देख सुप्रीम कोर्ट हैरान, अधिवक्ता बोले-इतना शर्मिंदा मैं कभी नहीं हुआ

Supreme Court Surprised: सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता सीए सुंदरम ने इस गलती को खुले तौर पर स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि यह मसौदा वादी के निर्देश पर तैयार किया गया था।

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Supreme Court surprised see answer prepared by AI in high profile business dispute

एआई से लिखवाए सवालों के जवाब देखकर सुप्रीम कोर्ट हैरान।

Supreme Court Surprised: सुप्रीम कोर्ट में एक ऐसा मामला सामने आया, जिसे देखकर जज हैरान रह गए। इसके बाद जवाब दाखिल करने वाले अधिवक्ता ने अपनी गलती मानते हुए दस्तावेज वापस लेने की कोशिश की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अधिवक्ता को दो टूक जवाब देते हुए कहा कि इस गलती को हल्के में नहीं ले सकते। यह मामला एक हाई-प्रोफाइल कारोबारी विवाद से जुड़ा है। इसमें वादी की ओर से अधिवक्ता ने जवाब दाखिल किया था, जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की मदद से तैयार पाया गया। सुप्रीम कोर्ट के जवाब में वादी पक्ष की ओर से सैकड़ों फर्जी केसों का हवाला दिया गया था। इन केसों का न्यायिक रिकॉर्ड मौजूद नहीं मिला। अदालत ने कहा कि इस तरह की गलती को हल्के में नहीं लिया जा सकता, क्योंकि अगर कोर्ट ऐसे दस्तावेजों पर भरोसा कर ले तो न्यायिक प्रक्रिया पर गंभीर असर हो सकता है।

न्यायिक रिकॉर्ड में नहीं मिले जवाब में दाखिल केस

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, यह मामला ओंकारा एसेट्स रिकंस्ट्रक्‍शन प्राइवेट लिमिटेड (Omkara Assets Reconstruction Pvt. Ltd.) बनाम गस्टाड होटल्स प्राइवेट लिमिटेड (Gstaad Hotels Pvt. Ltd.) से जुड़ा है, जो पहले NCLAT में सुना गया और अब सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल ने जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच को बताया कि Gstaad Hotels की ओर से दाखिल प्रत्युत्तर (Rejoinder) में ऐसे केस दिखाए गए हैं जो न्यायिक रिकॉर्ड में मौजूद ही नहीं हैं। कई मामलों के नाम तो सही हैं, लेकिन उनमें लिखे गए ‘कानूनी निष्कर्ष’ पूरी तरह से मनगढ़ंत हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा-गंभीरता से देखेंगे

कौल ने दो टूक कहा कि यह सिर्फ AI का मामला नहीं है, बल्कि कोर्ट को गुमराह करने के लिए फर्जी केस कानून गढ़ने की कोशिश है। उन्होंने चेताया कि सुप्रीम कोर्ट एक दिन में दर्जनों मामलों की सुनवाई करता है और ऐसे में हर केस की सच्चाई जांच पाना हमेशा आसान नहीं होता। अगर कोर्ट गलती से ऐसे जाली केस कानून पर भरोसा कर ले तो यह न्याय प्रणाली के लिए विनाशकारी हो सकता है। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि इस मामले का न्याय पर सीधा प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए इसे गंभीरता से देखा जाएगा।

अधिवक्ता ने मानी अपनी गलती

दूसरी ओर, Gstaad Hotels की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सीए सुंदरम ने इस गलती को खुले तौर पर स्वीकार किया। उन्होंने कहा “मैंने अपने कॅरिअर में कभी इतना शर्मिंदा महसूस नहीं किया।” सुंदरम ने बताया कि दस्तावेज फाइल करने वाले वकील (AOR) ने हलफनामे में बिना शर्त माफी मांगी है और कहा है कि यह मसौदा वादी के निर्देश पर तैयार किया गया था। उन्होंने कोर्ट से गलत दस्तावेज वापस लेने की अनुमति भी मांगी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस गलती को सिर्फ वापस लेने भर से खत्म नहीं किया जा सकता। बेंच ने सवाल उठाया कि जब हलफनामे में साफ लिखा है कि जवाब वादी के मार्गदर्शन में बनाया गया तो फिर पूरी जिम्मेदारी AOR पर क्यों डाली जा रही है?

सुप्रीम कोर्ट ने एआई के इस्तेमाल पर दी चेतावनी

हालांकि विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने केस की सुनवाई उसके मेरिट पर जारी रखी। कोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि AI के बढ़ते इस्तेमाल के दौर में अदालतों को बेहद सतर्क रहना होगा और वकीलों तथा पक्षकारों पर भी यह जिम्मेदारी है कि वे तकनीक का सही और जिम्मेदाराना तरीके से उपयोग करें। यह घटना भारतीय न्यायपालिका में AI के इस्तेमाल से जुड़े जोखिमों की बड़ी नजीर बनकर सामने आई है। इसके साथ यह चेतावनी भी है कि तकनीक कोई भी हो, वह लोगों की मदद तो कर सकती है, लेकिन झूठ को सच नहीं बना सकती।