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हाईकोर्ट का फैसला सुप्रीम कोर्ट में धड़ाम; CISF जवान को महंगी पड़ गईं दो-दो पत्नियां, एक शिकायत पर चली गई नौकरी

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने पत्नी के रहते दूसरी शादी करने वाले CISF जवान की बर्खास्तगी को सही ठहराया है। कोर्ट ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय का आदेश रद्द करते हुए CISF की अनुशासनात्मक अथॉरिटी के फैसले को बहाल कर दिया। यह अपील केंद्र सरकार की ओर से दायर की गई थी।

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Supreme Court terminates CISF jawan job for marrying 2 wife

Supreme Court: देश की सर्वोच्च अदालत ने पत्नी के रहते दूसरी शादी करने वाले CISF जवान को नौकरी से निकाले जाने के फैसले को सही ठहराया है। कोर्ट ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें बर्खास्तगी को ज्यादा सख्त सजा मानते हुए दंड कम करने को कहा गया था। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने CISF की अनुशासनात्मक अथॉरिटी के फैसले को बहाल कर दिया। बता दें कि इस फैसले को केंद्र सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।

न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति विपुल एम. पंचोली की पीठ ने केंद्र सरकार की अपील स्वीकार करते हुए कहा कि हाई कोर्ट से इस मामले में गलती हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने CISF नियम 2001 की धारा 18 (बी) का हवाला दिया, जिसमें साफ लिखा है कि कोई भी कर्मचारी पहली पत्नी के रहते हुए अगर दूसरी शादी की तो वह नौकरी के योग्य नहीं माना जाएगा। इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने यह भी कहा कि कानून के शब्द बिल्कुल स्पष्ट हैं और इसमें किसी तरह की अस्पष्टता नहीं है। साथ ही, अनुशासनात्मक कार्रवाई के दौरान नियमों और प्रक्रिया का पूरा पालन किया गया था। इसलिए इसमें सजा कम करने का कोई आधार नहीं बनता।

कानून भले ही कठोर हो, कानून ही होता है- Supreme Court

कोर्ट ने कहा कि “कानून भले ही कठोर हो, लेकिन वह कानून ही होता है।” कानून के उल्लंघन से होने वाली परेशानी या नुकसान के आधार पर नियमों को कमजोर नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोट ने कहा, "यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ऐसे नियम बल के सभी सदस्यों के लिए अनुशासन, सार्वजनिक विश्वास और सत्यनिष्ठा के उच्चतम मानकों को बनाए रखने की संस्थागत आवश्यकता पर आधारित हैं।" उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द करते हुए, पीठ ने अनुशासनात्मक प्राधिकारी के उन निष्कर्षों की बहाल कर दिया, जिनकी पुष्टि अपीलीय और पुनरीक्षण प्राधिकारियों द्वारा की गई थी।

क्या है पूरा मामला?

प्रणब कुमार नाथ ने 22 जुलाई 2006 को CISF में कॉन्स्टेबल के रूप में नौकरी शुरू की थी। उसकी पत्नी ने लिखित शिकायत देकर और जांच के दौरान अधिकारियों को बताया कि उसने मार्च 2016 में पत्नी के रहते दूसरी शादी कर ली थी। मामले की जांच के लिए एक जांच अधिकारी नियुक्त किया गया। जांच पूरी होने के बाद अनुशासनात्मक, अपीलीय और पुनरीक्षण अधिकारियों ने दूसरी शादी को नियमों का उल्लंघन मानते हुए उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया। इसके बाद मामला हाई कोर्ट पहुंचा। हाई कोर्ट के एकल न्यायाधीश ने माना कि नौकरी से बर्खास्त करना ज्यादा सख्त सजा है और इसके बजाय सेवा से हटाना अधिक उचित होगा। इसी वजह से उन्होंने मामला दोबारा संबंधित प्राधिकरण को भेज दिया था। इसके खिलाफ केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची, जहां अब सुप्रीम कोर्ट ने CISF के फैसले को सही ठहरा दिया है।


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