खत्म होगा इंतजार : पश्चिमी सीमा पर बढ़ेगी ताकत
नई दिल्ली. देश की पश्चिमी सीमा पर सेना की ताकत और बढऩे वाली है। अमरीका से नए अपाचे लड़ाकू हेलिकॉप्टरों की डिलीवरी इसी महीने शुरू होने के आसार हैं। आर्मी एविएशन कॉप्र्स ने मार्च 2024 में जोधपुर में पहला अपाचे स्क्वाड्रन बनाया था। गठन के करीब 15 महीने बाद भी स्क्वाड्रन लड़ाकू हेलिकॉप्टरों का इंतजार कर रहा है।अमरीका के साथ 2020 में छह अपाचे एएच-63ई हेलिकॉप्टरों के लिए 60 करोड़ डॉलर का सौदा हुआ था। सेना को मई-जून 2024 तक डिलीवरी की उम्मीद थी। सप्लाई चेन की दिक्कतों के कारण पहले समय-सीमा दिसंबर 2024 तक बढ़ाई गई। तकनीकी समस्याओं के कारण इसे फिर बढ़ा दिया गया। डिलीवरी शेड्यूल से वाकिफ सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि इन हेलिकॉप्टरों का पहला बैच इस महीने सेना की एविएशन कॉप्र्स को सौंपा जा सकता है। पहले बैच में तीन हेलिकॉप्टर होंगे। बाकी तीन हेलिकॉप्टरों का दूसरा बैच इस साल के आखिर तक पहुंचेगा। अपाचे एएच-63ई हेलिकॉप्टर पश्चिमी मोर्चे पर सेना के अहम अभियानों को मजबूत करेंगे। यह एडवांस हेलिकॉप्टर चपलता, मारक क्षमता और उन्नत लक्ष्य प्रणालियों के लिए जाना जाता है। भारतीय वायुसेना को 2015 में हुए सौदे के तहत 22 अपाचे हेलिकॉप्टर पहले मिल चुके हैं। एएच-63ई इनका उन्नत संस्करण है। एविएशन कॉप्र्स विभिन्न अभियानों के लिए जरूरी हवाई सहायता देती है। ऑपरेशन सिंदूर के मद्देनजर पश्चिमी सीमा पर तैनाती को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
ये हैं विशेषताएं-
2. 30 मिमी चेन गन, हेलफायर मिसाइल और 70 मिमी रॉकेट। विभिन्न लक्ष्यों को भेदने में सक्षम।
3. रडार और नाइट विजन सिस्टम से कम दृश्यता में भी संचालन।
4. बेहतर थ्रस्ट, लिफ्ट और डिजिटल कनेक्टिविटी से लैस।
5. सटीक निशाने के लिए नया इन्फ्रारेड लेजर।