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दृष्टिबाधित फैला रहे हैं खुशियों का उजियारा

- दीवाली मेले में जीवंत प्रदर्शन से कर रहे हतप्रभ

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दृष्टिबाधित फैला रहे हैं खुशियों का उजियारा

ब्लाइंड रिलीफ एसोसिएशन की ओर से दिल्ली के लाल बहादुर शास्त्री मार्ग पर लगाए गए दिवाली मेले में दीए-मोमबत्तियां व अन्य उत्पाद बनाने का जीवंत प्रदर्शन करते दृष्टिबाधित युवा व इनके उत्पाद खरीदने के लिए उमड़ी भीड़। फोटो- निपुण चान्ना

नई दिल्ली। दीपावली का मौका हो और रोशनी की बात न हो, यह हो नहीं सकता। पूरे देश में इन दिनों दिवाली की रात को जगमग करने की तैयारियां चल रही है और खुशियों का उजियारा फैलाने में देश के अलग अलग हिस्सों के दृष्टिबाधित युवा भी भागीदार बन रहे हैं।

विभिन्न व्यवसायों में वोकेशनल ट्रेनिंग हासिल करने वाले ये युवा इन दिनों यहां चल रहे एक दिवाली बाजार में आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। इनके बनाए दीपक और मोमबत्तियां ही नहीं, अन्य उत्पाद खरीदने के लिए उमड़ रही भीड़ मेले में उत्पाद तैयार करने का जीवंत प्रदर्शन देख आंखों तले अंगुली दबा लेती है। दिल्ली की ब्लाइंड रीलिफ एसोसिएशन की ओर से लगाए गए इस दिवाली मेले में लगभग तीन दर्जन दृष्टि बाधित युवा दीपक, मोमबत्तियां, कपड़ों के बने उत्पाद व साबुन बना रहे हैं और लोग इनकी जज्बा देखकर चकित रह जाते हैं।

राष्ट्रीय राजधानी के लाल बहादुर मार्ग स्थित एसोसिएशन के परिसर में लगे इस मेले में व्यावसायिक कौशल का प्रशिक्षण हासिल करने वाले युवा मुख्यतः देश के उत्तरी भागों के हैं। एसोसिएशन पिछले 43 साल से यह मेला लगाती है और इसमें हर साल व्यावसायिक कौशल प्रशिक्षण हासिल करने वाले दृष्टिबाधित युवा अपने उत्पाद प्रदर्शित करते हैं। इस बार शुक्रवार को शुरु हुआ यह मेला 9 नवम्बर तक चलेगा। मेले में दृष्टिबाधित युवाओं के अलावा कई अन्य स्टाल भी लगे हैं, लेकिन आकर्षण का केंद्र इन युवाओं का जीवंत प्रदर्शन है।

एनजीओ के रूप में पिछले आठ दशकों के काम कर रही एसोसिएशन दिल्ली में दृष्टिबाधित बच्चों के लिए जोरमल पेड़िवाल मेमोरियल सीनियर सैकंड्री स्कूल, विशेष शिक्षा (दृष्टिबाधित) शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय और एक वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटर संचालित करती है।