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एक नहीं, हम जीवन में दो बार झेलते हैं वृद्धावस्था की लहर

कैलिफोर्निया की स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के शोध में दावा

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वॉशिंगटन. वृद्धावस्था से पहले चेहरे पर झुर्रियां, शरीर में दर्द और कमजोरी महसूस होने की शिकायतें आम हैं। अमरीकी वैज्ञानिकों के नए शोध में इन शिकायतों का कारण खोजने का दावा किया गया है। शोध के निष्कर्षों के मुताबिक इंसान धीरे-धीरे वृद्ध नहीं होता। जीवन में दो बार वृद्धावस्था की लहर आती है। पहली 44 साल में और दूसरी 60 साल की उम्र में। इन दोनों पड़ाव पर वृद्ध होने की प्रक्रिया तेज हो जाती है।द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक कैलिफोर्निया की स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के नेचर एजिंग जर्नल में छपे शोध में बताया गया कि 75 साल की औसत उम्र वालों को दोनों पड़ाव पर स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें महसूस होती हैं। इनमें ज्यादातर मांसपेशियों, हड्डियों, दिल या फेफड़ों से जुड़ी होती हैं। शोध के मुख्य लेखक प्रो. माइकल स्नाइडर का कहना है कि 40 से 49 साल की उम्र काफी नाटकीय होती है। ऐसा ही 60 साल की उम्र में होता है। त्वचा और मांसपेशियों से जुड़े मॉलीक्यूल्स 44वें और 60वें साल में बदलते हैं। इसलिए झुर्रियां, दर्द और कमजोरी महसूस होती है।

सात साल तक हर माह जांचे 108 के सैंपल

शोध में 108 लोगों के खून, मल, त्वचा, लार के सैंपलों की जांच की गई। ऐसे सैंपल सात साल तक हर महीने लिए गए। इनमें वैज्ञानिकों को 1.35 लाख अलग-अलग मॉलीक्यूल्स (कण) मिले। इसके अलावा माइक्रोब्स (रोगाणु) भी मिले। ज्यादातर मॉलीक्यूल्स और माइक्रोब्स तय तरीके से नहीं बढ़ रहे थे। जो लोग उम्र के 40वें और 60वें दशक में थे, उनके मॉलीक्यूल्स और मॉइक्रोब्स तेजी से बदल रहे थे।

महिलाओं-पुरुषों में बदलाव एक जैसे

शोध के मुताबिक महिलाओं में उम्र के 40वें दशक में आने वाला बदलाव पेरीमेनोपॉजल (रजोनिवृत्ति की ओर बढऩा) होता है। मेनोपॉज (मासिक धर्म) के अलावा पुरुषों में शारीरिक बदलाव महिलाओं जैसे होते हैं। वृद्धावस्था की पहली लहर में बदलाव कार्डियोवस्कुलर (दिल और नसों संबंधी) बीमारियों के कारण आते हैं। दूसरी लहर में बदलाव का कारण इम्यून सिस्टम कमजोर होना है।