सबसे अहम बदलाव होगा कि वक्फ बोर्ड को किसी भी संपत्ति को वक्फ की संपत्ति घोषित करने का अधिकार नहीं होगा। मिसाल के तौर पर तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने सितंबर 2022 में हिंदू बहुल थिरुचेंदुरई गाँव पर दावा किया था। इस घटना के बाद बोर्ड के असीमित अधिकारों के दुरुपयोग पर बहस छिड़ गई थी ।
क्या होंगे बदलाव ?
पारदर्शिता: वक्फ अधिनियम 1995 में 40 से अधिक संशोधनों से पारदर्शिता सुनिश्चित होगी। वक्फ बोर्ड जिन भी संपत्ति पर दावा करेगा, उसके लिए अनिवार्य सत्यापन से गुजरना होगा। महिलाओं को मौका : वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 9 और 14 में संशोधन से वक्फ बोर्ड में महिला प्रतिनिधि को शामिल करना अनिवार्य होगा। विवाद कम होंगे : नए संशोधनों से वक्फ प्रॉपर्टी को लेकर विवाद भी कम हो सकेंगे, क्योंकि वक्फ संपत्तियों के लिए नई सत्यापन प्रक्रियाएं शुरू की जाएंगी। ज़िला मजिस्ट्रेट को पॉवर मिलेगा। सीमित शक्ति: पुराने कानून बोर्ड को अनियंत्रित शक्तियां देते हैं। बोर्ड पर आरोप लगते थे कि अधिकारों का दुरूपयोग कर किसी भी प्रॉपर्टी को वक्फ की घोषित कर देने का। जिससे विवाद बढ़ते थे।
बिल का विरोध क्यों ?
मुस्लिम हितों की चिंता: बिल का विरोध करने वालों को डर है कि 1995 के कानून में बदलाव से मुस्लिमों के हित प्रभावित हो सकते हैं, जो इन संपत्तियों का उपयोग धार्मिक उद्देश्यों के लिए करते हैं। बोर्ड कमजोर होगा: नए संशोधनों से वक्फ बोर्ड कमजोर होगा। जिससे वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन की क्षमता प्रभावित होती है। ब्यूरोक्रेसी का दखल: वक्फ मामलों में जिला मजिस्ट्रेट को अधिकार मिलने से ब्यूरोक्रेसी का दखल बढ़ेगा। इससे बोर्ड सरकारी नियंत्रण में कार्य करेंगे।