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कोविड वैक्सीन के कारण मौत पर मुआवजा की नीति क्यों नहीं?

सुप्रीम कोर्ट: केंद्र सरकार से मांगा तीन सप्ताह में जवाब

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नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार से पूछा कि क्या कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट से होने वाली मौतों के लिए मुआवजा नीति तैयार कर सकती है? कोर्ट ने केंद्र सरकार से तीन सप्ताह में इस पर जवाब देने को कहा है। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि केवल कोविड-19 बीमारी को ही आपदा घोषित किया गया है, इसलिए आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत वैक्सीन से जुड़ी मौतों के लिए मुआवजा देने की नीति नहीं है। इस पर बेंच ने कहा कि वैक्सीन के दुष्प्रभाव से होने वाली मौतों को कोविड से होने वाली मौतों से अलग नहीं माना जाना चाहिए। आप यह नहीं कह सकते कि इनका आपस में जुड़ाव नहीं है। केंद्र सरकार इसका परीक्षण करे कि कोविड मौतों की तरह ही वैक्सीन के साइड इफेक्ट से होने वाली मौतों पर भी मुआवजे की नीति बन सकती है या नहीं? केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि कोविड वैक्सीन को वैश्विक प्रथाओं के अनुरूप तैयार किए गए एक चिकित्सा प्रोटोकॉल द्वारा संचालित किया जाता है जो टीकाकरण के बाद किसी भी दुष्प्रभाव का पता लगाने और उसमें सुधार सुनिश्चित करता है। बेंच ने मौखिक सुझाव दिया कि आप केरल हाईकोर्ट के आदेश को स्वीकार कर एक नीति बना सकते हैं कि पीडि़त मुआवजे के हकदार हैं या नहीं? एएसजी भाटी ने पीठ को आश्वासन दिया कि वह सरकार जवाब लेकर आएगी और उन्होंने तीन सप्ताह का समय मांगा जिसे बेंच ने स्वीकार कर लिया। अगली सुनवाई 18 मार्च को होगी।

हाईकोर्ट के निर्देश पर लगी थी रोक

बेंच एक महिला के मामले पर पर विचार कर रही था जिसके पति की कोविड वैक्सीन के दुष्प्रभाव के कारण मौत हो गई थी। महिला की मुआवजे की मांग वाली याचिका पर केरल हाईकोर्ट ने 2022 में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को आदेश दिया था कि वैक्सीन के साइड इफेक्ट से हुई मौत के मामलों की पहचान के लिए नीति तैयार करे ताकि प्रभावितों को मुआवजा दिया जा सके। केंद्र सरकार की अपील पर सुप्रीम कोर्ट नेहाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी।