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पूर्ववर्ती सरकार की बजट घोषणा तक सीमित कृषि मंडियां, अब तक नहीं हुई विकसित, किसानों को उपज बेचने जाना पड़ रहा दूर

करौली. करौली जिले में गुढाचन्द्रजी, मंडरायल व सपोटरा की कृषि मंडियां विकसित नहीं होने से किसानों को जिंस बेचने दूर शहर की मंडियों में जान पड़ रहा है।

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करौली. करौली जिले में गुढाचन्द्रजी, मंडरायल व सपोटरा की कृषि मंडियां विकसित नहीं होने से किसानों को जिंस बेचने दूर शहर की मंडियों में जान पड़ रहा है। स्थानीय स्तर पर कृषि मंडी के अभाव में किसानों को अपनी उपज का उचित दाम नहीं मिल रहा है। किसानों को जिंस औने-पौने दामों पर बेचनी पड़ती है। गुढ़ाचंद्रजी के दलपुरा पंचायत के मांचड़ी गांव के समीप डेढ़ दशक बाद भी कृषि उपज मंडी यार्ड का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है। गुढ़ाचंद्रजी कस्बे में डेढ़ दशक पूर्व राज्य सरकार की ओर से कृषि उपज मंडी यार्ड की स्वीकृति मिली थी। मंडी के लिए राजस्व विभाग ने मांचड़ी गांव में 35 बीघा आठ बिस्वा जमीन आवंटित की थी। हिंडौन कृषि उपज मंडी समिति की ओर से आवंटित भूमि पर करीब दस साल पहले तारबंदी भी कर दी गई, लेकिन उसके बाद कार्य को बंद कर दिया गया। जिससे किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। इसी प्रकार मंडरायल व सपोटरा कृषि मंडी का विकास भी अटका हुआ है। जिंस बाहर बेचने की मजबूरी किसानों ने बताया कि स्थानीय क्षेत्र में मंडी का लाभ नहीं मिलने से जिंस बेचने के लिए कई किलोमीटर दूर बाहर की मंडियों में जाना पड़ता है। हिंडौन, गंगापुर सिटी, टोडाभीम, लालसोट, दौसा आदि की मंडियों में जाना पड़ता है। जिससे समय व किराया लगता है। आने जाने में परेशानी भी होती है। नहीं हो रहा रखरखाव कृषि उपज मंडी हिंडौन सिटी द्वारा गुढ़ाचंद्रजी मंडी यार्ड पर ध्यान नहीं देने से अब यहां कीकर बबूल उग आए हैं। लोगों ने तारबंदी सहित बनाए गए सीमेंट के पिलरों को तोड़ दिया है। रखरखाव नहीं होने से भूमि पर बबूल व झाडियां उग आई है। नियमों की भी अड़चन नियमों की अड़चन के कारण भी दुकानों का नक्शा पास नहीं हो पा रहा है। नियमानुसार मंडी निर्माण के लिए 10 लाइसेंस धारी दुकानदारों के आवेदन तथा उनके 3 साल पुराने लाइसेंस होने चाहिए। मंडी में दुकानों के लिए आवेदन कर सकता है। तिमावा के किसान राम खिलाड़ी मीणा ने बताया कि नियमों में संशोधन होना चाहिए। 3 साल के बजाय नवीन लाइसेंस धारकों को प्राथमिकता दी जाए तो व्यापारियों को सुविधा मिलेगी। मांचड़ी के मुथरेश गुर्जर ने बताया कि यदि स्थानीय क्षेत्र में मंडी की सुविधा मिले तो किसानों को जिंस बेचने बाहर नहीं जाना पड़ेगा। मजदूरों को रोजगार भी मिलेगा। सबसे अधिक फायदा क्षेत्र के किसानों को होगा जो अपना माल स्थानीय स्तर पर ही बेच सकेगा। होती है भरपूर पैदावार किसानों का कहना है, कि यह इलाका माड़ क्षेत्र के अन्तर्गत आता है। जिससे भरपूर पैदावार होती है। सरसों, गेहूं, चना सहित अन्य जिंसों की अच्छी पैदावार होती है, लेकिन जिंस को बेचने के लिए स्थानीय स्तर पर मंडी का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसके अलावा यहां गेहूं व चने की भी अच्छी पैदावार होती है। लेकिन मंडी का अभाव बना हुआ है। नादौती तहसील में 63 हजार हेक्टेयर भूमि में पैदावार होती है। किसान रायसिंह मीना धड़ांगा ने बताया कि कृषि मंडी के अभाव में किसानों को अपनी उपज को औने-पौने दामों में बेचना पड़ता है। इनका कहना है मंडी संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए हमने सरकार को पत्र भेज रखा है। राजेश कर्दम, मंडी सचिव, हिण्डौनसिटी।