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देश के लिए कैसा रहेगा 2021-22 : जानिये गणतंत्र दिवस की इस साल की वर्षकुंडली का विश्लेषण

गोचर ग्रहों के अनुसार आने वाले समय में भारत की स्थिति...

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astrology predictions for india on republic day 2021

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आज हम 2021 में 72वां गणतंत्र दिवस मना रहे हैं। ऐसे में हर कोई ये जानने को उत्सुक है कि आखिर आने वाला समय भारत के लिए कैसा रहने वाला है। क्या भारत पर कोई विपत्ति आने वाली है या आने वाले समय में हर ओर भारतवर्ष की जयजयकार सूनने को मिलेगी।

ऐसे में देश की कुंडली को देखते हुए ज्योतिष के जानकारों का मानना है कि 2021 से 2022 तक का समय हमारे प्यारे देश भारत के लिए काफी खास है। ज्योतिष के जानकार पंडित सुनील शर्मा के अनुसार इस वर्ष कुंडली के गोचर ग्रहों के अनुसार भारत अब जहां आर्थिक आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ेगा, वहीं विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी नए मापदंड स्थापित करेगा।

ज्योतिषीय विश्लेषण: ऐसा रहेगा वर्ष 2021-22 :
ज्योतिष के जानकारों के अनुसार भारतवर्ष के 72वें गणतंत्र दिवस की वर्ष कुंडली मिथुन लग्न की बन रही है। इसके अनुसार लग्न में चंद्रमा, छठे भाव में केतु, सप्तम भाव में शुक्र, अष्टम भाव में सूर्य, गुरु और शनि और नवम भाव में बुध और मुन्था बैठे हैं। वहीं मंगल ग्यारहवें और राहु बारहवें भाव में विराजमान है।

वहीं इस बार की सबसे खास बात तो ये है कि ज्योतिष में मंगल को पराक्रम का कारक माना गया है, वहीं एक ओर जहां इस बार गणतंत्र दिवस 2021 मंगलवार को ही पड़ा है। वहीं हिंदू बाहुल्य इस देश में इस बार आने वाले नवसंवत्सर 2078 के राजा व मंत्री दोनों ही मंगल हैं।

मंगल का प्रभाव...
मंगल के इस प्रभाव के चलते माना जा रहा है कि इस समय भारत पराक्रम और वैभव में वृद्धि करेगा साथ ही इस समय हमारी तीनों सेनाओं का मनोबल बहुत उंचा रहेगा। जहां तक हमारी आर्म फोर्स की बात है वे नए तरह के हथियार का इस्तेमाल कर सकती हैं। नए तरह की क्षेत्रों में अपना विस्तार करते हुए नए आपरेशन कर सकती है। कुटनीति व विदेश नीति इस साल नए आंदाज में होगी। जिसे आगे चल कर दुनिया भर में सराहा जाएगा। इसके अलावा इस वर्ष की भारतवर्ष की कुंडली के हिसाब से धनभाव के स्वामी चंद्रमा स्वयं लग्न में अपने पुत्र बुध के घर में गोचर कर रहे हैं, इसलिए भारत और भारतवर्ष की जनता का आर्थिक पक्ष और मजबूत होगा।

वर्ष का अधिपति 'मुंथा' भाग्यभाव में...
भारतवर्ष की कुंडली में इस वर्ष का अधिपति 'मुंथा' भाग्यभाव में बैठा हुआ है जो लग्न के स्वामी बुध के साथ विराजमान है जिसके चलते सरकार द्वारा जनता के लिए अनेकों कल्याण योजनाएं घोषित की जा सकती है। वहीं युवा वर्ग का विदेशी कंपनियों की नौकरी में वर्चस्व बढ़ेगा। वहीं इस दौरान बुध ने भी बेहतरीन योग बनाया हुआ है इसलिए ये वर्ष जनता की स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं के निराकरण का समय है।

इस कारण परेशानी -
अभी गणतंत्र दिवस की वर्ष कुंडली में राहु कुंडली के बारहवें भाव में विराजमान होने और केतु के छठे भाव में होने से आंशिक रूप से शेषनाग कालसर्प योग की छाया का प्रभाव रहेगा। वहीं चंद्रमा का इनके अक्ष से बाहर रहने के परिणामस्वरूप कालसर्प योग भंग होगा किन्तु चन्द्र के प्रभाव में कुछ कमी रहेगी, जिससे जनता को कहीं न कहीं मानसिक उलझनों का शिकार हो सकती है आपसी तनाव भी बढ़ सकता है।

इसके अलावा राहु कुंडली के बारहवें भाव में विराजमान होने से हानि और व्यय का भाव का संकेत है, वहीं केतु के छठे ऋण, रोग और शत्रु के भाव में विराजमान होने से इसके अशुभ प्रभावस्वरुप देश की जनता को अपने देश में छुपे हुए गुप्त शत्रुओं से भी लड़ना पड़ेगा। वहीं इस कुंडली में सूर्य, बृहस्पति और शनि के आठवें भाव में विराजमान होने से और वर्तमान समय में शनि और बृहस्पति के अस्त होने से कार्य व्यापार में कुछ शिथिलता आ सकती है, जिसके परिणामस्वरूप खाद्यान्न, पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस, दवाएं जैसी रोजमर्रा की वस्तुओं में महंगाई बढ़ सकती है।


गंभीर निर्णय और कोई नया कानून...
भारतवर्ष की कुंडली में इस वर्ष पंचम यानि संतान भाव का स्वामी शुक्र सप्तम केंद्र भाव में है, ऐसे में ग्रह संकेत दे रहे हैं कि मुमकिन है कि सरकार जनसंख्या नियंत्रण के प्रति कुछ गंभीर निर्णय लें या कोई नया कानून लेकर आए। वहीं ये भी संकेत हैं कि इस समय देश के युवा नए नए आविष्कारों से सरकार व जनमानस को चौंका देंगे। शिक्षा-प्रतियोगिता की दृष्टि से देश के लिए यह वर्ष बहुत अच्छा रहने वाला है।

लाभ भाव में मंगल...
इस वर्षकुंडली में मंगल लाभ भाव में अपने ही घर में विराजमान है। वहीं अप्रैल से आने वाले 'राक्षस' नामक संवत्सर के राजा और मंत्री दोनों का अधिकार मंगल के पास है। ऐसे में भारत का मुद्रागत ढांचा मजबूत होगा और अप्रत्याशित आर्थिक उन्नति होगी।

इस भाव में मंगल का एक नकारात्मक प्रभाव यह भी रहेगा कि सरकार और विपक्ष के बीच आपसी टकराव चरम पर होगा। आपसी आरोप-प्रत्यारोप से देश की छवि को नुकसान पहुंच सकता है। विपक्ष जनता से जुड़ी कल्याण परियोजनाओं को भी बाधा पहुंचाने से पीछे नहीं रहेगा, ऐसे में जनता बनाम विपक्ष का भी वाद-विवाद देखने को मिल सकता है। ऐसे में माना जा रहा है कि अप्रैल 2021 के बाद भारतवर्ष को कई कठिन चुनौतियों से लड़ना पड़ेगा किंतु अंततः विजय देश की ही होगी।

युद्ध की संभावना...
युद्ध की स्थिति फरवरी मार्च 2022 में ज्यादा बनती दिख रही है। लेकिन यदि इसके बाद भी बनी तो बहुत अधिक पराक्रम के साथ भारत का एक नया रूप देखने को मिलेगा। इसका कारण मंगल होगा और मंगल भूमि का कारक है।

युद्ध भी भूमि को ही लेकर होगा, कुल मिलाकर इस बार भूमि का विस्तार भारत का होगा या यूं समझें कि भारत की भूमि विमुक्त हो जाएगी। भारत अपनी गरीमा को प्राप्त होगा, अफगानिस्तान भी इसमें भारत का साथ देगा।

ये भी मुमकिन है कि गिलगित,ग्लवान घाटी,गिलगिट,तिब्बत का क्षेत्र व मुजफ्फराबाद तक का क्षेत्र आदि भारत में ही मिल सकता है, या आजाद हो सकता है। पाकिस्तान के एक दो टुकडे हो सकते हैं। भारत का सम्मान पूरी दुनिया में बढ़ेगा।

ज्योतिष के जानकर वीडी श्रीवास्तव के अनुसार नवसंवत्सर 2078 जो अप्रैल 2021 से शुरु होगा, इस साल संवत का स्थान धोबी का घर है जो वर्षा का योग बनाता है। नार्थ इस्ट का नए तरीके से विकास होगा। चोरी, लूट , ठगी आदि में वृद्धि हो सकती है। प्राकृतिक विपदाओं से जनधन की हानि हो सकती है। भारत कई नए उपग्रह आकाश में भेज सकता है। कई नई कंपनियों के आने से रोजगार में वृद्धि होगी।
लेकिन रक्तपात की घटनाएं, हिंसा आदि भी इस साल होने की आशंका है। सम्प्रदायिक दंगों की भी संभावनाएं हैं। इसके अलावा भूकंप, भूस्खलन आने की संभावना के साथ ही बाढ़ आदि का प्रकोप भी इस साल देखने को मिल सकता है।

ज्योतिष के जानकारों अनुसार कोरोना को हराने में भारत के योेगदान को लेकर भारत को कोई नोबल या उसी तरह के पुरस्कार भी मिल सकता है, आने वाले वर्ष में...यानि अप्रैल 2022 के आसपास।